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'भारत इस्‍पात का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता'

इस्‍पात क्षेत्र की चुनौतियों और आयात-निर्यात पर विमर्श

इंजीनियरिंग सामान निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 12 June 2019 02:06:07 PM

meeting with the steel manufactures' association

नई दिल्ली। भारत सरकार में वाणिज्‍य उद्योग एवं रेलमंत्री पीयूष गोयल और इस्‍पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्‍पात क्षेत्र की चुनौतियों और आयात-निर्यात रुझानों पर इस्‍पात विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श किया। दोनों ने इस्‍पात उद्योग को आश्‍वासन दिया कि वाणिज्‍य एवं उद्योग तथा इस्‍पात मंत्रालय अगले पांच वर्ष के दौरान इंजीनियरिंग सामान के निर्यात को दोगुना करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि निर्यात का लक्ष्‍य 2030 तक 200 बिलियन डॉलर निर्धारित किया गया है, इससे भारतीय निर्यात को न सिर्फ प्रोत्‍साहन मिलेगा, बल्कि यह विनिर्माण क्षेत्र, विशेषकर एमएसएमई क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों का सृजन करेगा। उन्होंने कहा कि भारत इस्‍पात का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता है, परंतु भारत इस्‍पात आयात भी करता है। बैठक में इस्‍पात निर्यात परिषदों के प्रतिनिधियों ने अन्‍य देशों में संरक्षणवादी कानूनों के संबंध में चर्चा की।
पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान ने टैरिफ तथा गैर-टैरिफ उपायों पर विस्‍तार से चर्चा की, ताकि अनावश्‍यक आयात को कम किया जा सके और निर्यात में बढ़ोतरी की जा सके। एमएसएमई ने इस्‍पात विनिर्माताओं से आग्रह किया कि वे निम्‍नदर पर कच्‍चे माल की आपूर्ति करें, ताकि यह क्षेत्र अंतर्राष्‍ट्रीय बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कर सके। बैठक में फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते, इस्‍पात सचिव विनय कुमार, वाणिज्‍य सचिव अनूप वाधवा, विदेश व्‍यापार के महानिदेशक आलोकवर्धन चतुर्वेदी, वाणिज्‍य तथा इस्‍पात मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी, सेल के चेयरमैन, ईईपीसी के सदस्‍य, भारतीय इस्‍पात परिसंघ, इस्‍पात विनिर्माता और इस्‍पात क्षेत्र के परिसंघ मौजूद थे।

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