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मी‌डिया के एक वर्ग ने सेवा क्षेत्र में भ्रम फैलाया

भारत के सेवा क्षेत्र उद्यमों की तकनीकी रिपोर्ट जारी की गई

राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय ने ‌दिया स्पष्टीकरण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 11 May 2019 06:08:11 PM

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नई दिल्ली। राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय ने हाल ही में राष्‍ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 74वें चक्र के अंतर्गत अंतिम रूप दिए गए भारत के सेवा क्षेत्र उद्यमों की तकनीकी रिपोर्ट जारी कर दी है। सर्वेक्षण में 35456 उद्यमों के आंकड़ों का उपयोग किया गया है, जो कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय के डेटाबेस से लिए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 35456 उद्यमों का 38.7 प्रतिशत सर्वेक्षण से बाहर की इकाईयों का है। मीडिया के कुछ वर्गों ने सर्वेक्षण से बाहर की इकाइयों (सेवा क्षेत्र के सर्वेक्षण के उद्देश्‍य से ऐसा वर्गीकरण किया गया है) की गलत व्‍याख्‍या की है और इन इकाइयों को ऐसी इकाइयां माना है, जो अस्तित्‍व में नहीं हैं। इस व्‍याख्‍या के आधार पर यह कहा गया है कि एमसीए डेटाबेस से सर्वेक्षण से बाहर के उद्यमों को नहीं हटाकर केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने देश के सकल घरेलू उत्‍पाद का आकलन अधिक किया है। भारत सरकार ने कहा है कि ‌मीडिया ने गलत धारणा प्रस्तुत की है ‌और यह प्रेस वक्‍तव्‍य इस गलत धारणा का स्‍पष्‍टीकरण है।
एनएसएसओ रिपोर्ट में 38.7 प्रतिशत सर्वेक्षण से बाहर के उद्यमों में 21.4 प्रतिशत ऐसे उद्यम शामिल हैं, जो कवरेज से बाहर हैं। कवरेज से बाहर उद्यम साधारण तौर पर ऐसे उद्यम हैं, जो ऐसे कार्यकलाप नहीं करते हैं, जिन्‍हें सेवा क्षेत्र सर्वेक्षण में शामिल किया जा सके, हालांकि ये उद्यम कुछ आर्थिक क्रियाकलाप करते हैं। उदाहरण के लिए विनिर्माण क्षेत्र में। परिणामस्‍वरूप देश के जीडीपी आकलन के लिए इन उद्यमों को कवरेज से बाहर के उद्यम नहीं माना जा सकता। दूसरे शब्‍दों में ये कवरेज से बाहर उद्यमों के आधार पर जीडीपी का आकलन देश की जीडीपी का अभिन्‍न हिस्‍सा है। शेष 17.3 सर्वेक्षण से बाहर उद्यमों के संदर्भ में ऐसी इकाइयां जो जीडीपी आकलन के लिए एमसीए डेटाबेस का हिस्‍सा नहीं हैं, मात्र 0.9 प्रतिशत हैं। शेष 16.4 प्रतिशत उद्यम या तो बंद हो चुके हैं या उनका कोई अता-पता नहीं है। हालांकि एमसीए डेटाबेस के निरंतर अद्यतन होने से बंद पड़े और अज्ञात उद्यमों के अनुपात में कमी आ रही है, इसलिए जीडीपी के अधिआकलन की सीमा नहीं के बराबर है।
भारत सरकार का कहना है कि महत्वपूर्ण रूप से हमें यह नोट करना चाहिए कि गैर उत्तरदायी उद्यमों द्वारा आंकलित निजी कॉरपोरेट सेक्टर की कुल प्रदत्त पूंजी का हिस्सा एमसीए डाटा बेस का उपयोग करते हुए जीडीपी अनुमानों को प्रभावित करता है। निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र में गैर उत्तरदायी उद्यमों की संख्या इसे प्रभावित नहीं करती है। वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक ऐसे उद्यमों की संख्या, जिनका सकल घरेलू उत्पाद आकलन के लिए वार्षिक रिटर्न उपलब्ध नहीं था, उनकी प्रदत्त पूंजी एमसीए डेटाबेस में सभी उद्यमों की प्रदत्त पूंजी की केवल 12-15 प्रतिशत थी। उत्तरदायी उद्यमों के अनुमानित जीवीए अनुमान में पूरे निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के जीवीए की तुलना में केवल 1.13-1.17 बढ़ोतरी हुई। अधिकांश गैर उत्तरदायी उद्यमों ने अपना डाटा उपलब्ध नहीं कराया है। उन्होंने अनुवर्ती वर्षों में रिटर्न फाइल के लिए अपने विवेक का उपयोग किया है। उनके पहले दर्ज रिटर्न में उनकी गतिविधियां जारी रहीं, तद्नुसार समग्र जीवीए अनुमानों में उनका समावेश वैध था।
भारत सरकार के अनुसार जहां पर अनुमान कुछ कम या अधिक रहा है, जीडीपी के स्तर पर उतार-चढ़ाव का जीडीपी के स्तर पर प्रभाव पड़ता है और यह वर्ष दर वर्ष वार्षिक वृद्धि दर को भौतिक रूप से प्रभावित नहीं करता है। एमसीए डेटा बेस आधार में फर्मों के अनुपात ने उनके परिचालन को कम कर दिया है, इससे वर्ष 2012-13 से 2016-17 के वर्षों में न्यूनतम रूपसे भिन्नता आती है। यह स्थिति सुनिश्चित करती है कि जीडीपी स्तर वास्तविकता के मुकाबले थोड़ा बहुत कम हो सकता है, लेकिन उससे जीवीए की वर्ष दर वर्ष विकास दर में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एमसीए डेटा बेस जीडीपी के आकलन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग देश में आर्थिक गतिविधि का अधिक सही माप उपलब्ध कराता है।

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