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जलियांवाला बाग स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि

उपराष्ट्रपति ने स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया

जलियांवाला में अमानवीय नरसंहार की पीड़ा आज भी-नायडू

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 15 April 2019 01:36:53 PM

venkaiah naidu paying homage to udham singh ji sunam, at the jallianwala bagh memorial

अमृतसर। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अमृतसर में जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ पर वहां स्मारक स्‍थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि यह भारत में ब्रिटिश शासन के सबसे काले अध्‍याय और मानव इतिहास की सबसे रक्‍त रंजित घटना थी। भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था। उपराष्ट्रपति ने एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। उन्हें स्मारक के पुनरोद्धार से संबंधित प्रस्तावित कार्यों की जानकारी भी दी गई। उपराष्ट्रपति ने ट्वीट करके कहा कि जलियांवाला बाग नरसंहार हम में से हर एक को यह याद दिलाता है कि हमारी आजादी कितनी कठिन और मूल्‍यवान है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह दुर्भाग्‍यपूर्ण घटना 1919 में बैसाखी के ही दिन की गई औपनिवेशिक क्रूरता और विवेकहीन क्रोध को दर्शाती है, जिसके लिए यह दिन इस हत्‍याकांड में शहीद हुए प्रत्‍येक निर्दोष भारतीय के लिए मौन अश्रु बहाने का एक मार्मिक क्षण है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस अमानवीय नरसंहार को भले ही 100 वर्ष व्‍यतीत हो गए हों, लेकिन इसकी पीड़ा और वेदना आज भी हर भारतीय के हृदय में व्याप्त है, इतिहास घटनाओं का मात्र क्रम ही नहीं है, बल्कि यह हमें गहराइयों के साथ अतीत में घटी घटनाओं से सीखने की प्रेरणा देने के और उनसे सावधान रहने के लिए भी सचेत करता है तथा यह हमें यह भी दर्शाता है कि बुराई की शक्ति क्षणिक होती है। वेंकैया नायडू ने लोगों से इतिहास से सबक लेने और मानवता के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व समुदाय का दुनिया के सभी क्षेत्रों में चिरस्थायी शांति को बढ़ावा देने की अपील करते हुए विद्यालयों से लेकर वैश्विक शिखर सम्‍मेलनों के हर स्‍तर पर सतत विकास को सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रगति को शांति के बिना हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने विश्व के देशों से एक नई और न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था स्थापित करने की अपील की, जहां शक्ति और जिम्मेदारियों को साझा किया जा सके साथ ही सलाह और विचारधाराओं के सम्‍मान के साथ पृथ्वी के संसाधनों को साझा किया जा सके। वेंकैया नायडू ने कहा कि यह दिन हमें अदम्य मानवीय भावनाओं की याद दिलाता है, जो गोलियों के रोष को शांत करते हुए अंततः स्वतंत्रता और शांति के ध्वज को ऊंचा बनाए रखता है। उन्‍होंने उम्मीद जताई कि यह दिवस हमें उत्पीड़न रहित विश्‍व के निर्माण की प्रेरणा देगा साथ ही एक ऐसी दुनिया के निर्माण के लिए प्रेरित करेगा, जिसमें मित्रता, शांति और प्रगति के साथ सभी देश आतंकवाद और हिंसा की अमानवीय शक्तियों को हराने के लिए एकजुट होंगे। उन्होंने कहा कि यह दिवस वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्श के प्रति भारत की सदियों पुरानी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का भी दिन है।
उपराष्ट्रपति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ब्‍यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्‍युनिकेशन के क्षेत्रीय आउटरीच ब्‍यूरो के द्वारा अमृतसर के जलियांवाला बाग में लगाई गई एक फोटो प्रदर्शनी का भी दौरा किया। प्रदर्शनी में जलियांवाला बाग की घटना को समर्पित 45 पैनलों के माध्‍यम से उस समय के समाचार पत्रों के अंश, महात्मा गांधी के पत्र, रवींद्रनाथ टैगोर और स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं एवं योद्धाओं को दर्शाया गया है। यह प्रदर्शनी स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण आयामों को भी दिखाती है। श्रद्धांजलि सभा में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुण गोयल और केंद्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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