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पेंच कान्हा पार्क से बाहर जा रहे हैं बाघ!

मृत बाघ के मिलने के बाद वन विभाग में खलबली

बाघ संरक्षण परियोजना पर अनेक प्रश्नचिन्ह हैं

अय्यूब कुरैशी

Monday 29 October 2018 06:16:56 PM

tiger

सिवनी। कान्हीवाड़ा क्षेत्र में हिर्री नदी के पास हाल ही में मिले बाघ के शव के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि राष्ट्रीय उद्यानों के अलावा अन्य स्थानों पर बाघों का रखवाला कौन है? क्या सिर्फ पेंच और कान्हा नेशनल पार्क के बाघों का ही संरक्षण वन विभाग द्वारा किया जाएगा? ज्ञातव्य है कि जिले में ही अनेक मामले ऐसे भी प्रकाश में आए हैं, जिनमें बाघों का शव पेंच नेशनल पार्क की सीमा के बाहर मिला है। क्या इसका तात्पर्य यह नहीं है कि बाघ का निवास स्थान पेंच नेशनल पार्क के अलावा भी जिले के अन्य क्षेत्रों के जंगलों में हो सकता है। इन परिस्थितियों में उनके संरक्षण के लिए वन विभाग की क्या कार्ययोजना है?
वरिष्ठ वन अधिकारी का कहना है कि दरअसल बाघ का रहने का स्थान सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय प्राणी उद्यानों की सीमा में ही माना जाता है, इस लिहाज से राष्ट्रीय प्राणी उद्यानों में बाघ संरक्षण पर लाखों करोड़ों रूपये खर्च किए जाते हैं। इस अधिकारी का मानना है कि वन्य जीव अपनी सीमाओं को बांधते हैं, जिनमें बाघ या तेंदुए खासतौर से अपनी सीमा चिन्‍हित करते हैं। पेंच नेशनल पार्क में जितने बाघ हैं, उस हिसाब से पेंच नेशनल पार्क का कुल रकबा कम ही प्रतीत होता है, यही कारण है कि आपसी संघर्ष में वन्य जीवों विशेषकर बाघ या तेंदुए के काल कलवित होने की खबरें आम हुआ करती हैं।
वरिष्ठ वन अधिकारी का मानना है कि वन विभाग को राष्ट्रीय प्राणी उद्यान क्षेत्र के बाहर के हिस्सों में भी बाघों की गणना करवानी चाहिए, यद्यपि यह काम कठिन और समय लेने वाला है, पर बाघ संरक्षण के लिए देश-प्रदेश की सरकारें जो काम कर रही हैं, उस लिहाज से यह जरूरी है कि यह भी पता लगाया जाए कि राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के अलावा भी अन्य जंगलों में कितने बाघ हो सकते हैं। आए दिन इस तरह की खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि ग्रामीणों ने आबादी के पास बाघ की पदचाप सुनी या बाघ को देखा है। ये क्षेत्र राष्ट्रीय प्राणी उद्यान की सीमा के बाहर या बहुत दूर के क्षेत्र हैं।
वन क्षेत्र की दृष्टि से यह माना जा सकता है कि अनेक बाघ या तेंदुओं ने अपना आवास नेशनल पार्क से दूर भी बनाया हुआ है, तब इन प्राणियों की गणना और इनके संरक्षण के प्रति सरकार को उदासीन नहीं रहना चाहिए। बाघ या तेंदुए की मौत के बाद उसका शव परीक्षण कर उसके शव को जला दिया जाता है। इसकी बजाय सरकार को चाहिए कि वह उसके शव को संरक्षित रखे, इसके लिये पेंच नेशनल पार्क के तीनों प्रवेश द्वारों पर एक संग्रहालय बनवाकर बाघ के इतिहास के साथ उसका संरक्षित शव रखा जा सकता है, जो पर्यटकों के लिए कौतूहल और जानकारी का विषय हो सकता है।

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