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कश्मीरी पंडितों की परम आराध्‍य है शारदापीठ

सर्वज्ञ शारदापीठ के शंकराचार्य ने की राज्यपाल से भेंट

भारत-पाक सीमा पर हैं शारदा देवी मंदिर के अवशेष

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Monday 9 July 2018 03:31:05 PM

shankaracharya of shardapitha meets governor

लखनऊ। देश की सर्वज्ञ शक्तिपीठों में से एक शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ ने राजभवन लखनऊ में राज्यपाल राम नाईक से भेंट की। राज्यपाल से स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ ने कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा की और आशा व्यक्त की कि कश्मीर के गुमराह युवा भारत सरकार के प्रयासों से अमन और शांति का मार्ग अपनाएंगे। राज्यपाल ने स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ को वर्ष 2019 में इलाहाबाद में होने वाले कुम्भ के आयोजन से जुडे़ कार्यों और बनारस, अयोध्या एवं मथुरा से संबंधित विकास कार्यों से अवगत कराया।
शारदा शक्तिपीठ कश्मीर की नीलम घाटी में शारदा नदी के किनारे अवस्थित सर्वज्ञ शारदापीठ 18 शक्तिपीठों में से एक है। य‌ह कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी भी कहलाती है और माना जाता है कि इसकी उपासना के बिना कश्मीरी पंडितों की आध्यात्मिक शक्ति अधूरी है। भारत पाकिस्तान के तनाव का शारदापीठ की अलौकिकता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। शारदापीठ स्‍थान आदिकाल से ‌एशिया में हिंदुओं, बौद्धों की शिक्षा का एक बहुत बड़ा केंद्र रहा है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में जानामाना आध्यात्मिक स्‍थान रहा है। यहां तिब्बत, इंडोनेशिया, कंबोडिया, म्यांमार, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, ईरान, चीन और थाईलैंड के लोगों ने शिक्षा हासिल की है। इस जगह की महिमा के बारे में सभी जगह वृतांत मिलता है। इस जगह का कलहर्ण, अलबरूनी और जैनुलआबदीन जैसे महान विद्वानों ने अपने शब्दों में उज्जवल बखान किया है। शारदा शक्तिपीठ की महिमा सर्वत्र है और यह कश्मीरी पंडितों की आनबान और शान कहलाती है।
चीनी बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग ने छह सौ बत्तीस ईसवी में इस स्‍थान का दौरा किया और वो यहां दो वर्ष रहे एवं यहां के बौद्ध छात्रों की शिक्षण व्यवस्‍था और यहां के पुजारियों के सामाजिक उत्‍थान की सराहना की थी। कलहर्ण ने लिखा था कि आठवीं शताब्दी सीई में ललितादित्य के शासनकाल में बंगाल के राजा शक्तिपीठ मंदिर के दर्शन करने आए थे। एक हजार तीस ईसवी में मुस्लिम इतिहासकार अलबरूनी ने शारदापीठ का दौरा किया। उन्होंने अपने आलेख में लिखा कि मंदिर में श्री शारदा देवी की एक लकड़ी की भव्य मूर्ति थी। उन्होंने इस मूर्ति की तुलना मुल्तान सूर्य मंदिर थाणेसर और सोमनाथ मंदिर में विष्‍णुचक्र वर्मन मंदिर से की थी। ग्यारह सौ अड़तालीस में कलहर्ण की पुस्तक राजतरंगिणी में मंदिर की भौगोलिक स्थिति का उल्लेख किया है।
अकबर के शासनकाल में सोलहवीं शताब्दी में अबु फजल ने लिखा कि शारदा देवी का मंदिर मधुमती नदी के किनारे स्थित था, जिसमें सोने के कणों की भरमार थी। अबु फजल ने लिखा है कि महीने के उज्जवल पखवाड़े के हर आठवें दिन मंदिर में चमत्कार का अनुभव होता है। चौदहवीं शताब्दी में कई बार प्राकृतिक आपदाओं के कारण मंदिर को क्षति पहुंची और मरम्मत हुई। चौदहवीं शताब्दी में ही पहलीबार शारदापीठ मंदिर पर आक्रमण हुआ और आक्रमणकारियों ने पूरा मंदिर ध्वस्त कर दिया। इस हमले के बाद से धीरे-धीरे लोगों का मंदिर से संपर्क कटता गया। कश्मीर के राजा डोगरा महाराजा गुलाब सिंह ने उन्नीसवीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया था।
कश्मीर भारत-पाकिस्तान के उन्नीस सौ सैंतालीस से उन्नीस सौ अड़तालीस के युद्ध के दौरान पश्तून कबिलाईयों ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया और इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद यहां पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की नवगठित सरकार का नियंत्रण हो गया। सन् दो हजार पांच में वहां भारी भूकम्प आया और शारदा देवी मंदिर ढह गया, इसके बाद से उसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। यह मंदिर सत्तर वर्ष से पाक अधिकृत कश्मीर के कब्जे में है और भारत-पाक नियंत्रण रेखा के निकट इसके भग्नावशेष है। कश्मीर को शारदा देवी की भूमि कहा जाता है। इसी नाम से यह सर्वज्ञ शक्तिपीठ है, जिसके स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ शंकराचार्य हैं। राज्यपाल और शंकराचार्य के बीच इस शक्तिपीठ की महत्ता और पौराणिकता पर भी चर्चा हुई।

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