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कृषि क्षेत्र में नवोन्मेष को प्रोत्साहन-नायडु

उपराष्ट्रपति का केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान में संबोधन

किसानों को दिए आय दोगुनी करने के लिए कई सुझाव

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Tuesday 3 July 2018 06:38:23 PM

venkaiah naidu while talking to the farmer at central barani agricultural research institute

हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा है कि हमें कृषि को लाभकारी बनाने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाने की जरूरत है, कृषि क्षेत्र में नवोन्मेष को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, कृषि से होने वाली आय में गैरकृषि कार्यों से होने वाली आय को भी जोड़ा जाना चाहिए और खाद्य प्रसंस्करण के जरिए मूल्यवर्धन किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने आज हैदराबाद में केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान के कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, कृषि विशेषज्ञों और किसानों को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, यदि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहता है तो देश की प्रगति में एकरुपता नहीं आ सकती। उन्होंने कहा कि कृषि में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता है, क्योंकि जलवायु, बाज़ार की स्थितियों, विश्व परिदृश्य और खाने के तरीकों में परिवर्तन हो रहा है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, फल व सब्जी उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण और पैकेजिंग संबंधी गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभकारी बनाना समय की मांग है, सभी हितधारकों को अन्नदाताओं की सहायता के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौसम में बदलाव से कृषि प्रभावित हो रही है, कहीं भारी बारिश होती है तो कहीं लंबे समय तक सूखा रहता है, कृषि संकट का कारण है ओलावृष्टि, गर्म हवाएं और सूखा, इन अनिश्चिताओं के कारण किसान कर्ज के जाल में फंस जाता है और आत्महत्या तक करने के लिए विवश हो जाता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जल संरक्षण के पारंपरिक और आधुनिक तरीकों के प्रति किसानों को जागरुक किया जाना चाहिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए मवेशियों के स्वास्थ्य की देखभाल की जानी चाहिए। खाद्य सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी सफल देश खाद्य सुरक्षा के लिए किसी अन्य देश पर आश्रित नहीं हो सकता।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने तेलंगाना और उसके आसपास के क्षेत्रों में किसानों को आय दोगुनी करने के लिए कई सुझाव दिए, जैसेकि प्राकृतिक संसाधनों और अनुकूल कृषिप्रणालियों को मापने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए, प्राकृतिक संसाधनों तथा किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाना चाहिए, इसके पश्चात आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के उपाय सुझाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि आधारित अवसंरचना का विकास किया जाना चाहिए, कृषि उत्पादों के लिए प्रथम और द्वितीय स्तर का मूल्यवर्धन किया जाना चाहिए, इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी, उद्योग जगत को एमएसपी पर कृषि उत्पाद खरीदने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। ग्रामसमूह स्तर पर कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाना चाहिए, किसानों को इन प्रसंस्करण उद्यमों में हितधारक बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानंमत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि परंपरागत कृषि विकास योजना जैविक कृषि से संबंधित है, जैविक कृषि में असीम संभावनाएं है, विश्व स्तर पर लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं और इन अवसरों का उपयोग किया जाना चाहिए।
वेंकैया नायडु ने किसानों की सफलता से संबंधित बहुत सी जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि इन जानकारियों को दूसरे किसानों के साथ साझा किया जाना चाहिए और सरकार कृषि उत्पादों के विक्रय से संबंधित समस्याओं पर निरंतर ध्यान दे रही है। उन्होंने बताया कि कृषि बाजार से संबंधित ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार एक योजना है, जिसका टर्नओवर 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है और यह 16 राज्यों व दो केंद्रशासित प्रदेशों के 585 बाजारों में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि बागवानी के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है, चूंकि फल, सब्जी व फूल जल्द ही सड़ जाते हैं ,इसलिए कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला की आवश्यकता है, उत्तरी तेलंगाना में हल्दी और लहसुन का उत्पादन करने वाले किसान कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला से लाभांवित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में किए गए प्रयासों का लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता, यदि कृषि उद्यम क्षेत्र का विकास न किया जाए, इसलिए पूरक उद्योग नीतियों की आवश्यकता है, ताकि कृषि और उद्योग साथ-साथ चल सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि आईटी पार्क और फार्मा पार्क की तरह कृषि पार्कों को भी विकसित किया जाना चाहिए।

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