स्वतंत्र आवाज़
word map

वजन कम कीजिए स्वस्‍थ और सुडौल बनिए!

वॉटर या फैट रिटेंशन बॉडी के लिए अलग-अलग तरीके

वजन को कम करने के ये असरदार उपाय अपनाएं!

Friday 29 June 2018 06:42:46 PM

डॉ नरेश अरोड़ा

डॉ नरेश अरोड़ा

obesity

अनियमित खानपान और मोटापा अधिकांश मनुष्यों की एक गंभीर व्यथा-कथा है और इसके समाधान के लिए दुनियाभर में क्लीनिक, योग सेंटर और अचूक दवाओं के हब काम कर रहे हैं। किसी-किसी मनुष्य की शारीरिक संरचना में मोटापे में भी एक आकर्षण देखा गया है, किंतु सबसे ज्यादा यह अभिशाप माना गया है, क्योंकि इससे दामपत्य जीवन में दरार, संबंध विच्छेद और तलाक के लाखों किस्से जुड़े हैं। यह मनुष्य को डराता भी है और शर्मिंदा भी करता है। महिलाएं हीनभावना से ग्रस्त रहती हैं और उन्हें अक्सर मोटापे का समाधान खोजते देखा जाता है। हम जितना कम खाएंगे, उतना ही वजन घटा पाएंगे, वजन कम करने यानी मोटापे को लेकर अधिकांश लोगों में यह गलतफ़हमी देखी गई है, लेकिन सच्चाई यह है कि सही मात्रा में संतुलित आहार लेने और नियमित व्यायाम करने से बेहतर मानसिक और मनोवैज्ञानिक सेहत प्राप्त होती है।
मोटापा एक
स्थापित और सामाजिक रोग है और काफी अधिक संख्या में यह लोगों की छरहरी सेहत एवं सुंदरता के लिए एक गंभीर खतरा है, जिनमें सभी वर्गों के लोग शामिल हैं। मनुष्य के स्वास्‍थ्य के लिए यह सबसे ज्यादा चिंताजनक है। यह ना केवल खानपान की आदतों से जुड़ी समस्या है, बल्कि काफी हद तक मनोवैज्ञानिक कारणों से भी जुड़ा है, जिसका सामना हम तनावपूर्ण जीवनशैली में करते हैं और ऐसी जीवनशैली को हमने नियति मानकर अपना लिया है। भारत में कुछ अध्ययनों में यह पुष्टि हुई है कि स्कूल जाने वाले करीब 70 प्रतिशत से भी अधिक बच्चे मोटे हैं और जुवेनाइल डायबिटीज से पीड़ित हैं। यह अध्ययन इस लिहाज से अधिक चिंताजनक है कि हमारी 50 प्रतिशत आबादी आहार असंतुलन के विकार की शिकार है। आज हम दुनिया में सबसे अधिक डायबिटीज, दिल की बीमारियों और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों के खतरे से गुजर रहे हैं।
वजन कम करना जोड़-घटाव के बारे में नहीं है, बल्कि यह आंतरिक रूपसे हमारे मनोविज्ञान, हमारी भावनाओं और हमारे विश्वास से भी जुड़ा है। यदि यह केवल गणित होता है तो बस 50 ग्राम प्रोटीन और 50 ग्राम फाइबर के साथ जरूरी विटामिन और मिनरल्स लेने से हम अपना वजन घटा लेते, लेकिन वजन कम करना केवल संख्या नहीं होती, वजन कम करने का प्रभाव देखने के लिए हमें तीन प्रमुख मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा और वो हैं-तनाव, खुशी और व्यवहार। हालांकि क्रॉनिक बीमारियां, अत्यधिक शराब का सेवन, तंबाकू का इस्तेमाल और यहां तक कि तनाव भी खराब पोषण की स्थिति का कारक बनता है, यह शरीर को सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त करने वाला कारक है, जोकि खान-पान की आदतों से जुड़ा है। पारंपरिक भारतीय समाज के भी वर्तमान तौर-तरीकों, जिनमें अत्यधिक प्रोसेस किए गए और सुविधाजनक खाद्य पदार्थ शामिल हैं, उनके परिणामस्वरूप अत्यधिक मात्रा में कैलोरी, कोलेस्ट्रॉल, सैचुरेटेड फैट्स, नमक और डाइसैकेराइड ग्रहण कर लेते हैं। इस दौरान फाइबर की मात्रा ना के बराबर होती है और माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स बहुत कम होता है।
दरअसल दस में से नौ लोगों को ही ऐसे आहार संबंधी बदलावों के बारे में पता होता है, जिसकी वजह से उनका जीवन प्रभावित हो सकता है, इसके बावजूद कई सारे कारण हैं, जिनमें आधुनिक खानपान की सुविधा और आधुनिक जीवन का प्रभाव शामिल है। वाकई में बहुत कम लोग ही ऐसे बदलावों को अपनाते हैं, जोकि वजन कम करने के लिए आवश्यक होते हैं और सेहतमंद जीवनशैली का निर्माण करते हैं। वजन कम करने की दिशा में कदम बढ़ाने से पहले किसी को भी बॉडी टाइप के बारे में जानकारी होना जरूरी है। दो तरह की बॉडी होती है-वॉटर रिटेंशन और फैट रिटेंशन बॉडी।
वॉटर या फ्ल्यूड रिटेंशन बॉडी-मानव शरीर में तकरीबन 60 प्रतिशत पानी होता है, जोकि जीवन के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि पानी का अत्यधिक रिटेंशन यानी एडीमा लंबे समय से हो रही सूजन का दुष्प्रभाव होता है। फ्ल्यूड रिटेंशन के नाम से भी ख्यात एडीमा फूड इनटोलरेंस, खराब खान-पान, टॉक्सिन के संपर्क में आना और किडनी फेल्योर जैसी बीमारियों का कारण हो सकता है। महिलाओं को अपने मासिक चक्र के ल्यूटल चरण और गर्भावस्था में वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है। ज्यादातर लोगों में पानी का अत्यधिक सेवन वजन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण नहीं होता है, हालांकि यह नकारात्मक रूपसे आपके आकार और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
हमारे शरीर का लिम्फेटिक सिस्टम शरीर से टॉक्सिक पदार्थ को निकालने के लिए उपयुक्त रूपसे सक्षम है, हालांकि इस निकासी व्यवस्था में किसी प्रकार का अवरोध होने पर शरीर में अवांछित रूपसे टॉक्सिन जमा हो सकता है, जिसकी वजह से सूजन और एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप अन्य शारीरिक परेशानियां पैदा हो सकती हैं। ऐसेमें असामान्य रूप से शरीर में होने वाली सूजन चिंता का कारण बन जाती है, जो आपके शरीर की बनावट और सोच में भी सूजन पैदा कर देती है।
वॉटर रिटेंशन बॉडी के लिए उपाय
सुबह-सुबह
2 लीटर पानी में दालचीनी का 1-2 टेबलस्पून पानी लें। उसे उबालें और ठंडी जगह पर स्टोर करें और इसका हर दिन 6-8 टेबलस्पून लें। नियमित रूपसे 6-8 टेबलस्पून एलोवीरा जूस लें। तुलसी, लेमनग्रास, ग्रीन टी, कालीमिर्च, इलायची, मेथीदाना, दालचीनी के साथ वजन कम करने वाली या हर्बल टी तैयार कर सकते हैं। बिना नमक का दोपहर का भोजन, भोजन करने के एक घंटे पहले छाछ, लौकी का जूस, सब्जियों का सूप, दो बिस्कुट के साथ वजन कम करने वाली चाय, नारियल पानी, दाल, सलाद लें। रात के भोजन में सब्जियों का सूप, खिचड़ी, नमक के सेवन को कम करें, उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ लें, जिनमें बीज, फल, साबुत अनाज शामिल हैं।
फैट रिटेंशन बॉडी
कुछ लोगों में फैट रिटेंशन बॉडी वजन बढ़ने का कारण होता है, जोकि ज्यादा खाने या शारीरिक श्रम की कमी के कारण नहीं होता है। एंडोक्राइनल सिस्टम, खासतौर से थायरॉइड की क्रियाशीलता कम हो जाने की वजह से एड्रिनल हार्मोन कोर्टिसोल का निर्माण होता है और हार्मोन इंसुलिन के प्रतिरोध से असामान्य रूपसे वजन बढ़ सकता है। ज्यादातर लोग जिनका वजन बढ़ता है, खासतौर से पेट के आस-पास, उनमें इस तरह की कोई समस्या नहीं होती है तो फिर उनका वजन क्यों बढ़ता है और उसे कम करना इतना मुश्किल क्यों होता है? हार्मोनल सिस्टम के असंतुलित होने का प्रभाव हमारे लीवर और पाचन तंत्र पर पड़ता है, खासतौर से फैट, लिपिड के पाचन और उन्हें ग्रहण करने में। इसकी वजह से अपच, अत्यधिक एसिडिटी और कब्जियत होती है, इसके परिणामस्वरूप एडिपोज टिशू (एडमैंट फैट की अत्यधिक मात्रा) के रूप में वसा का जमाव होता है। एडिपोज टिशूज को गलाना और वजन कम करना मुश्किल हो जाता है, जिसकी वजह से और अधिक फैट का निर्माण होता है और हाई कार्ब भी फैट में बदल जाते हैं।
फैट रिटेंशन के उपाय
बॉडी रैपः
अरोमैटिक ऑयल, लैवेंडर, यूकेलिप्टस, बेसिल, रोज़मैरी, लेमन, लेमनग्रास, अदरक, कालीमिर्च, दालचीनी और जुनिपर बेरी फैट रिटेंशन के उपाय हैं। दुबले होने के लिए बेस ऑयल कैसे तैयार करें? एक चम्मच ग्रेप सीड ऑयल या एवोकाडो ऑयल या सोयाबीन ऑयल। इनमें से किसी भी तेल की 2-3 बूंदें मिलाएं। एक-एक दिन के अंतराल पर क्लीनिकल, रिफ्लेक्सोलॉकिल पैडीक्योर। गुनगुने पानी से भरे टब में 1 चम्मच नमक और 2-3 बूंदें उपरोक्त में से कोई भी अरोमा ऑयल मिलाकर कम से कम 15 मिनट उसमें पैर डुबाएं। पैर तौलिये से पोछें और फिर उपरोक्त तरीके से तैयार अरोमा ऑयल से मसाज करें। पंद्रह मिनट तक रिफ्लेक्सोलॉजी का डीप मसाज लें।
सही तरीके से मसाज लेने के बाद कुछ समय के लिये स्टीम लें। हफ्ते में कम से कम दो बार फुल बॉडी मसाज कराएं। उपयुक्त भोजन के साथ व्यायाम करें और इसके जरिये सकारात्मक माहौल बनाएं। पंद्रह से बीस दिन में परिणाम दिखेंगे। प्रतिदिन व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अपने जीवन में बदलाव और सकारात्मक सोच से निश्चित रूपसे समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी। याद रखिए कि सही तालमेल और सही सोच लक्ष्य को पाने का महत्वपूर्ण कारक होता है। आप सपरिजन स्वस्‍थ जीवन पाइए और उन्हें संतोष प्रदान कीजिए, जो आपके स्वस्‍थ जीवन और आपमें अपने सपने देखते हैं। (लेखक डॉ नरेश अरोड़ा चेज अरोमाथैरेपी कॉस्मैटिक्स के फाउंडर हैं)।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]