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'आध्यात्मिक मूल्यों की अवहेलना विनाशकारी'

शिक्षा में आध्यात्मिकता का भी समावेश होना चाहिए-राष्ट्रपति

नई दिल्ली में ब्रह्माकुमारीज़ का राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 27 May 2024 06:13:06 PM

president at the national program of brahma kumaris

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा हैकि विश्व इतिहास और राष्ट्रों के इतिहास के स्वर्णिम अध्याय हमेशा आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित रहे हैं और विश्व इतिहास इस बात का साक्षी हैकि आध्यात्मिक मूल्यों की अवहेलना करके केवल भौतिक प्रगति का मार्ग अपनाना अंततः विनाशकारी साबित हुआ है। द्रौपदी मुर्मु आज नई दिल्ली में ब्रह्माकुमारीज़ के 'स्वच्छ और स्वस्थ समाज केलिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण' राष्ट्रीय कार्यक्रम के शुभारंभ पर बोल रही थीं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की धरती अध्यात्म भूमि है, प्रभु श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के आदर्श, भगवान महावीर और भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाएं, संत कबीर और गुरुनानक देवजी के संदेश, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद और श्रीऑरोबिंदो के दार्शनिक सिद्धांत ये सभी आध्यात्मिक सशक्तीकरण के अक्षय स्रोत हैं। उन्होंने कहाकि एक सम्पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों आयामों से समृद्धशाली होता है, ऐसे व्यक्ति एक स्वस्थ समाज, राष्ट्र और विश्व समुदाय का निर्माण करते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही वास्तविक सशक्तिकरण है। उन्होंने कहाकि जब किसी धर्म या संप्रदाय के अनुयायी आध्यात्मिकता से भटक जाते हैं तो वे कट्टरता के शिकार और अस्वस्थ मानसिकता से ग्रस्त हो जाते हैं, आध्यात्मिक मूल्य सभी धर्मों के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वार्थ से ऊपर उठकर लोककल्याण की भावना से काम करना आंतरिक आध्यात्मिकता की सामाजिक अभिव्यक्ति है, जनहित केलिए परोपकार करना सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक मूल्यों में से एक है। राष्ट्रपति ने कहाकि दुनिया के कई हिस्सों में भय, आतंक और युद्ध को बढ़ावा देने वाली ताकतें बहुत सक्रिय हैं, ऐसे माहौल में ब्रह्माकुमारी संस्था ने 100 से अधिक देशों में कई ब्रह्माकुमारी केंद्रों के माध्यम से मानवता के सशक्तीकरण केलिए एक प्रभावी मंच प्रदान किया है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देकर विश्वबंधुत्व को मजबूत करने का यह एक अमूल्य प्रयास है।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में एक शिक्षक के रूपमें उनका अनुभव इस बात को पुष्ट करता हैकि शिक्षा में आध्यात्मिकता का समावेश करना स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण केलिए अनिवार्य है, बच्चों में सादगी, सत्यनिष्ठा और सेवाभाव केप्रति रुझान पैदा करना प्राथमिक शिक्षा का अंग होना चाहिए। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुईकि ब्रह्माकुमारी संस्था संभवतः महिलाओं द्वारा संचालित दुनिया की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है। उन्होंने कहाकि इस संस्था में ब्रह्माकुमारी आगे रहती हैं और उनके सहयोगी ब्रह्मकुमार पृष्ठभूमि में काम करते हैं। उन्होंने कहाकि इस अनूठे सामंजस्य केसाथ यह संस्था निरंतर आगे बढ़ रही है, ऐसा करके इसने विश्व समुदाय के सामने आध्यात्मिक प्रगति और महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।

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