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भारत में पांच और वेटलैंड्स को मान्यता

तमिलनाडु और कर्नाटक में अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स

भारत में पर्यावरण संरक्षण व अमृत धरोहर पहल का दर्शन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 1 February 2024 12:32:26 PM

wetlands of international importance in tamil nadu and karnataka

नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विश्व वेटलैंड्स दिवस-2024 से पूर्व एक्स पर पोस्ट में साझा किया हैकि भारत में पांच और वेटलैंड्स को रामसर साइटों यानी अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स के रूपमें नामित किया गया है, जिससे इनकी संख्या मौजूदा 75 से बढ़ाकर 80 हो गई है। भूपेंद्र यादव की दिल्ली में वेटलैंड्स कन्वेंशन की महासचिव डॉ मुसोंडा मुंबा से मुलाकात हुई, जिन्होंने पांच वेटलैंड्स के प्रमाणपत्र उन्हें सौंपे। भूपेंद्र यादव ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण केलिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं, जिसके कारण भारत अपनी आर्द्रभूमियों केसाथ कैसे व्यवहार करता है, इसमें एक आदर्श बदलाव आया है और भारत में पांच और वेटलैंड्स को मान्यता उनकी परिकल्पित अमृत धरोहर पहल को दर्शाता है। उन्होंने तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों को बधाई दी है, जिनकी वेटलैंड्स यानी आर्द्रभूमियों ने रामसर साइटों की सूची में जगह बनाई है।
इन पांच वेटलैंड्स में से तीन स्थल अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिज़र्व, अघनाशिनी एस्चुएरी और मगदी केरे संरक्षण रिज़र्व कर्नाटक में हैं, जबकि दो कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य और लॉन्गवुड शोला रिज़र्व वन तमिलनाडु में हैं। इनको अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स की सूची में शामिल करने केसाथ रामसर स्थलों के अंतर्गत आनेवाला क्षेत्र अब 1.33 मिलियन हेक्टेयर हो गया है, जो मौजूदा क्षेत्र में 5,523.87 हेक्टेयर की वृद्धि है। तमिलनाडु में अधिकतम संख्या बनी हुई है, रामसर साइट्स (16 साइट्स) केबाद उत्तर प्रदेश (10 साइट्स) का नंबर आता है। भारत 1971 में ईरान के रामसर में हस्ताक्षरित रामसर कन्वेंशन के अनुबंध पक्षों में से एक है। विश्व वेटलैंड्स दिवस 2 फरवरी 1971 को वेटलैंड्स पर इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते को अपनाने के उपलक्ष्य में दुनियाभर में मनाया जाता है। भारत ने इसकी पुष्टि 1 फरवरी 1982 को की थी, इससे पहले अगस्त 2022 में भारत ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में रामसर साइटों की संख्या 75 तक लेजाने का मील का पत्थर हासिल किया। भारत सरकार के महत्वपूर्ण नीतिगत प्रोत्साहन के कारण दस वर्ष में रामसर साइटों की संख्या 26 से बढ़कर 80 हो गई है, जिनमें से 38 पिछले तीन वर्ष में जोड़े गए हैं।
वर्ल्ड वेटलैंड्स डे-2024 का विषय 'वेटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग' है, जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने में वेटलैंड्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। वेटलैंड्स बाढ़ सुरक्षा, स्वच्छ जल, जैव विविधता और मनोरंजन के अवसरों में योगदान करते हैं, जो सभी मानव स्वास्थ्य और समृद्धि केलिए आवश्यक हैं। इस वर्ष पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से इंदौर में नामित रामसर साइट सिरपुर झील में राष्ट्रीय विश्व वेटलैंड दिवस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। रामसर कन्वेंशन की महासचिव डॉ मुसोंडा मुंबा 2 फरवरी 2024 को इंदौर के सिरपुर रामसर साइट पर होनेवाले वर्ल्ड वेटलैंड डे-2024 में भाग लेने केलिए भारत आई हुई हैं। कार्यक्रम में भारत सरकार, मध्यप्रदेश, राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश वेटलैंड प्राधिकरण के प्रतिनिधि और रामसर साइटों के साइट प्रबंधक समेत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिज़र्व एक मानव निर्मित ग्रामीण सिंचाई टैंक है, जिसे सदियों पहले बनाया गया था और यह अंकसमुद्र गांव से सटे 98.76 हेक्टेयर (244.04 एकड़) क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पारिस्थितिक रूपसे महत्वपूर्ण वेटलैंड है, जो जैव विविधता से समृद्ध है, जिसमें पौधों की 210 से अधिक प्रजातियां, स्तनधारियों की 8 प्रजातियां, सरीसृपों की 25 प्रजातियां, पक्षियों की 240 प्रजातियां, मछलियों की 41 प्रजातियां, मेंढकों की 3 प्रजातियां, तितलियों की 27 प्रजातियां और ओडोनेट्स की 32 प्रजातियां शामिल हैं। इस वेटलैंड पर 30000 से अधिक जलपक्षी घोंसला बनाते हैं और बसेरा करते हैं, जो पेंटेड स्टॉर्क (मेक्टेरिया ल्यूकोसेफला) और ब्लैक हेडेड आइबिस (थ्रेसकोर्निस मेलानोसेफालस) की 1 प्रतिशत से अधिक जैव भौगोलिक आबादी को सपोर्ट करता है। करीब 4801 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला अघनाशिनी एस्चुएरी अघनाशिनी नदी और अरब सागर के संगम पर बना है। एस्चुएरी का खारा पानी बाढ़ और कटाव जोखिम शमन, जैव विविधता संरक्षण और आजीविका सहायता सहित विविध ईकोसिस्टम की सेवाएं प्रदान करता है।
वेटलैंड मछली पकड़ने, कृषि, खाद्य बाइवैल्व और केकड़ों के संग्रह, झींगा जलीय कृषि, एस्चुएरी के चावल के खेतों में पारंपरिक मछली पालन (स्थानीय रूपसे गजनी चावल के खेतों के रूपमें जाना जाता है), बाइवैल्व शैल कलेक्शन और नमक उत्पादन में मदद करके 6000-7500 परिवारों को आजीविका प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त एस्चुएरी की सीमा पर मैंग्रोव तटों को तूफानों और चक्रवातों से बचाने में मदद करते हैं। एस्चुएरी नियमित रूपसे 66 से अधिक जलपक्षी प्रजातियों की 43000 से अधिक गिनती और 15 जलपक्षी प्रजातियों, जिसमें रिवर टर्न, ओरिएंटल डार्टर, लेसर ब्लैकबैक्ड गल, वूली-नेक्ड स्टॉर्क, यूरेशियन ऑयस्टरकैचर शामिल हैं की 1 प्रतिशत से अधिक जैव भौगोलिक आबादी को सपोर्ट करता है। मगदी केरे कंजर्वेशन रिज़र्व लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाली एक मानव निर्मित वेटलैंड है, जिसका निर्माण सिंचाई केलिए वर्षा जल को संग्रहित करने केलिए किया गया था। यह पक्षियों की 166 से अधिक प्रजातियों का घर है, जिनमें से 130 प्रवासी हैं।
वेटलैंड्स में दो कमजोर प्रजातियां कॉमन पोचार्ड (अयथ्या फेरिना) और रिवर टर्न (स्टर्ना ऑरेंटिया) हैं और चार लगभग खतरे वाली प्रजातियां हैं-ओरिएंटल डार्टर (एनहिंगा मेलानोगास्टर), ब्लैक हेडेड आइबिस (थ्रेस्कियोर्निस मेलानोसेफालस), वूली नेक्ड स्टॉर्क (सिसोनिया एपिस्कोपस) और पेंटेड स्टॉर्क (माइक्टेरिया ल्यूकोसेफला)। सर्दियों के दौरान लगभग 8000 पक्षी यहां आते हैं। मगादी केरे दक्षिणी भारत में बार हेडेड हंस (एंसर इंडिकस) केलिए सबसे बड़े शीतकालीन आश्रय स्थलों में से एक है। वेटलैंड एक खास महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र है और भारत में संरक्षण केलिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूपमें भी लिस्टेड है। करीब 453.72 हेक्टेयर में फैला करैवेट्टी पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु के सबसे बड़े अंतर्देशीय वेटलैंड्स में से एक है और क्षेत्र केलिए भूजल पुनर्भरण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। वेटलैंड के पानी का उपयोग ग्रामीण धान, गन्ना, कपास, मक्का और लाल चने जैसी कृषि फसलों की खेती केलिए करते हैं।
कराईवेट्टी तमिलनाडु राज्य में जलपक्षियों के सबसे बड़े समूहों में से एक है, यहां पक्षियों की लगभग 198 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, कुछ महत्वपूर्ण आगंतुकों में बार हेडेड गूज़, पिन टेल्ड डक, गार्गेनी, नॉर्दर्न शॉवेलर, कॉमन पोचार्ड, यूरेशियन विजियन, कॉमन टील और कॉटन टील शामिल हैं। लॉन्गवुड शोला रिजर्व फॉरेस्ट का नाम तमिल शब्द सोलाई से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'उष्णकटिबंधीय वर्षा वन'। 'शोला' तमिलनाडु में नीलगिरि, अनामलाई, पलनी पहाड़ियों, कालाकाडु, मुंडनथुराई और कन्याकुमारी के ऊपरी इलाकों में पाए जाते हैं, ये वनाच्छादित आर्द्रभूमि विश्व स्तर पर लुप्त हो रहे ब्लैक चिन्ड नीलगिरि लाफिंग थ्रश (स्ट्रोफोसिनक्ला कैचिनन्स), नीलगिरि ब्लू रॉबिन (मायोमेला मेजर) और कमजोर नीलगिरि वुड कबूतर (कोलंबा एल्फिन्स्टनी) केलिए आवास के रूपमें काम करती हैं। पश्चिमी घाट की 26 स्थानिक पक्षियों की प्रजातियों में से 14 इन वेटलैंड्स में पाई जाती हैं।

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