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Wednesday 3 May 2023 05:58:30 PM
डिब्रूगढ़। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि समाज में भागीदारी, समानता और प्रगति लाने केलिए शिक्षा सबसे प्रभावी और रूपांतरकारी तंत्र है। उन्होंने रेखांकित कियाकि लोगों की शिक्षा के अतिरिक्त सामाजिक परिस्थितियों को कोई नहीं बदल सकता है। आज असम में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति ने छात्रों से परिवर्तन के एजेंट बनने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने केलिए कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि राष्ट्र 2047 में अपनी स्वाधीनता की शताब्दी मनाएगा, आप उसी भारत के निर्माता और योद्धा हैं। जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहाकि प्रतियोगिता सर्वश्रेष्ठ गुरु है और भय सबसे बड़ा शत्रु।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि विद्यार्थी बड़े सपने देखें और कभीभी तनावग्रसित न हों एवं सपने देखो, लेकिन सिर्फ सपने देखने वाले ही न बनो एक कर्ता की भांति कर्म के बल पर सपनों को पूरा करो। उपराष्ट्रपति ने पूर्वोत्तर राज्यों को भारत की अष्ट लक्ष्मी के रूपमें प्रशंसा करते हुए कहाकि पूर्वोत्तर राज्यों के विकास और योगदान के बिना भारत का विकास अधूरा रहेगा। उन्होंने इन क्षेत्रों की भाषाई विविधता और साहित्यिक परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में काम करने केलिए डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने कहाकि हमारी भाषाओं का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हजारों वर्ष में विकसित हुई हैं। अमृतकाल में भारत की मुख्यधारा की कथा में पूर्वोत्तर को शामिल करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने हमारे इतिहास और स्वाधीनता संग्राम में पूर्वोत्तर के गुमनाम योद्धाओं के योगदान को उजागर करने केलिए एनसीईआरटी और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की प्रशंसा की।
नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र के भौतिक, सामाजिक और डिजिटल मूलभूत ढांचे के सुधार पर ध्यान केंद्रित किए जाने की सराहना करते हुए उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर अवसरों की भूमि के रूपमें उभर रहा है। जगदीप धनखड़ ने पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न परियोजनाओं बोगीबील रेन-कम रोड ब्रिज, 375 सड़क परियोजनाएं, हवाई अड्डों की संख्या 9 से बढ़ाकर 17 करने और 190 नए शैक्षणिक संस्थानों की स्थापित किए जानेकी प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि युवाओं को अपनी ऊर्जा को परिलक्षित करने केलिए नए रास्ते और परिदृश्य उपलब्ध हैं। भारत की विकास गाथा को अनवरत बताते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि दशक के अंततक हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। उन्होंने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष नेभी भारत के विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की प्रशंसा की है और इसे अन्य देशों केलिए एक आदर्श बताया है।
भारत को लोकतंत्र की जननी और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र बताते हुए उपराष्ट्रपति ने सवाल कियाकि हममें से कुछ देश के भीतर और बाहर हमारे लोकतंत्र की निंदा क्यों करते हैं? उन्होंने यह भी रेखांकित कियाकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत में किसीभी तरह की चुप्पी के अधीन नहीं है। संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह एक ऐसा मंच है, जहां जनहित के मुद्दों पर बहस, विचार-विमर्श, चर्चा और निर्णय लिया जाता है। उन्होंने कहाकि लंबे समय तक व्यवधान, संस्थानों और प्रतिनिधियों केप्रति सम्मान और विश्वास का भाव कम करता है, इसलिए उन्होंने एक इकोसिस्टम बनाने का आह्वान किया, ताकि सांसद संविधान के संस्थापकों की मूल भावना के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करें। जगदीप धनखड़ ने उत्तीर्ण छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहाकि वे अपने गुरुओं और अपने अल्मा-मेटर को न भूले और इस शैक्षणिक संस्थान के पूर्व छात्रों के रूपमें भी आपको अपने विश्वविद्यालय के कल्याण केलिए किसीभी रूप में योगदान देना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस अवसर पर असम की प्रतिष्ठित विभूतियों को डॉक्टर ऑफ साइंस और को डी लिट डिग्री (मानद उपाधि) से सम्मानित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण किया। दीक्षांत समारोह में असम के राज्यपाल और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गुलाबचंद कटारिया, असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंता बिस्वा सरमा, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस एवं श्रम और रोज़गार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली, असम सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ रानोज पेगू, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जितेन हजारिका, बोर्ड के सदस्य, निदेशक, संकाय, कर्मचारी, विद्यार्थी और छात्रों के परिजन भी मौजूद थे।