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ब्रह्माकुमारी का गुरुग्राम में राष्ट्रीय सम्मेलन

राष्ट्रपति ने 'परिवार को सशक्त बनाना' अभियान शुरु किया

'मूल्य निष्ठ समाज की नींव महिलाएं' प्रासंगिक विषयवस्तु

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 10 February 2023 12:33:39 PM

national convention of brahma kumaris in gurugram

गुरुग्राम। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ब्रह्माकुमारी के ओम शांति रिट्रीट केंद्र गुरुग्राम में 'मूल्य निष्ठ समाज की नींव महिलाएं' विषयवस्तु पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और अखिल भारतीय जागरुकता अभियान 'परिवार को सशक्त बनाना' की शुरुआत की। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि राष्ट्रीय सम्मेलन की विषयवस्तु काफी प्रासंगिक है, महिलाओं ने भारतीय समाज में मूल्यों और नैतिकता को आकार देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि ब्रह्माकुमारी संस्था ने महिलाओं को केंद्र में रखकर भारतीय मूल्यों को फिरसे जीवित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहाकि यह विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है, जिसे महिलाएं संचालित कर रही हैं, इसकी 46 हजार से अधिक बहनें लगभग 140 देशों में आध्यात्म की परंपरा और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्थान को बहुत करीब से देखा है, इस साल की शुरुआत मेही उन्हें माउंट आबू में ब्रह्माकुमारी के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय जाने का अवसर मिला था, जहां उन्हें असीम आनंद और शांति की अनुभूति हुई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में महिलाओं को यथोचित सम्मान और स्थान दिया गया है, हमारे वेदों, उपनिषदों, पुराणों और महाकाव्यों में महिलाओं की स्तुति शक्ति, करुणा और ज्ञान के स्रोत के रूपमें कीगई है, हमारी संस्कृति में माता पार्वती, मां दुर्गा-काली, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती को जीवन की पोषक और नैतिकता की संरक्षक के रूपमें देखा गया है, इसी तरह अंदाल, मीराबाई और माधवी दासी को नि:स्वार्थ भक्तिभाव तथा आध्यात्मिकता के सर्वोच्च रूपमें सम्मानित किया जाता है। उन्होंने उल्लेख कियाकि गार्गी प्राचीन भारत की महान दार्शनिक और विदुषी थी, उन्होंने विद्वानों और संतों केसाथ अपने दार्शनिक वाद-विवाद से समाज में सम्मान अर्जित किया था, एक अन्य महान विदुषी भारती ने शंकराचार्य को दार्शनिकशास्त्रार्थ में पराजित किया था, गार्गी और भारती बौद्धिक तथा आध्यात्मिक उत्कृष्टता की प्रतीक हैं, ज्ञान केप्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता महिलाओं की असीम क्षमता को प्रदर्शित करता है। राष्ट्रपति ने कहाकि ऐसे अनेकों उदाहरण हैं, जहां महिलाओं ने अपनी बुद्धि, विवेक और ज्ञान के बलपर ख्याति अर्जित करके सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने महिला सशक्तिकरण पर कहाकि महिलाओं को जबभी समान अवसर मिला है, उन्होंने सिद्ध किया हैकि वे हर क्षेत्रमें पुरुषों के बराबर और कभी-कभी उनसे बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं, विज्ञान, खेल, कला, राजनीतिक नेतृत्व, रक्षा, चिकित्सा तथा इंजीनियरिंग आदि क्षेत्रों में महिलाओं ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि गांधीवादी इलाबेन भट्ट ने अपनी संस्थान सेवा और जसवंती बेन ने लिज्जत पापड़ उद्यम की सहायता से अनगिनत महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान कर उन्हें स्वावलंबी बनाने में मदद की, केरल की कार्तियानी अम्मा ने 98 वर्ष की उम्र में साक्षरता प्राप्तकर महिलाओं के धैर्य और संकल्प की एक नई परिभाषा दी है, इसी तरह कर्नाटक में पर्यावरण की रक्षा में सक्रिय वयोवृद्धा सालुमरदा तिमक्का ने हजारों वृक्ष लगाकर वन संरक्षण में अद्भुत योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि चिपको आंदोलन में ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व से पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों केलिए एक अनुकरणीय उदाहरण सामने आया है, यह सब उदाहरण विपरीत परिस्थितियों मेभी भारतीय महिलाओं की संकल्प शक्ति, दृढ़ निश्चय और लगन की जीती-जागती तस्वीर है, देश में असंख्य महिलाएं है, जो बिना किसी डिग्री या औपचारिक शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दे रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि मैं प्राय: कहती हूंकि महिला सशक्तिकरण के सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलू हैं। उन्होंने कहाकि भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, भारत एक और बड़ी आर्थिक महाशक्ति के रूपमें उभरे, उसके लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण हैकि कर्मचारियों की संख्या में और अधिक महिलाएं भागीदारी करें। उन्होंने कहाकि कई क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, हालांकि उनमें से कई शीर्ष स्थान तक पहुंचने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहाकि यह पाया गया हैकि निजी क्षेत्रमें मध्यस्तर के प्रबंधन में एक निश्चितस्तर से ऊपर महिलाओं की भागीदारी में कमी आई है, इसके पीछे मुख्य कारण पारिवारिक जिम्मेदारियां हैं, आम तौर पर कामकाजी महिलाओं को कार्यालय केसाथ-साथ घर कीभी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत हैकि बच्चों को पालना और घर चलाना केवल महिलाओं की जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने कहाकि महिलाओं को परिवार से अधिक सहयोग मिलना चाहिए, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपने करियर में सर्वोच्च पद पर पहुंच सकें। उन्होंने कहाकि महिलाओं के सशक्तिकरण सेही परिवार सशक्त होंगे और सशक्त परिवार ही सशक्त समाज एवं सशक्त राष्ट्र का निर्माण करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहाकि वर्तमान में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, लोग पैसे शक्ति प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा के पीछे भाग रहे हैं, आर्थिक रूपसे मजबूत होने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन केवल धन केलिए जीना उचित नहीं है। उन्होंने कहाकि आर्थिक प्रगति और समृद्धि हमें भौतिक सुख दे सकती है, लेकिन शाश्वत शांति नहीं, आध्यात्मिक जीवन दिव्य आनंद के द्वार खोलता है। राष्ट्रपति ने परिवार में मां की भूमिका का उल्लेख किया और कहाकि मां का स्वभाव हमेशा समावेशी होता है, वह अपने बच्चों में कभी भेदभाव नहीं करती है, इसलिए प्रकृति को प्रकृति माता भी कहा जाता है। उन्होंने कहाकि हम सभी जानते हैंकि मां परिवार में पहली गुरु होती है, वह न केवल बच्चे को परिवार के सदस्यों और पर्यावरण से परिचित कराती है, बल्कि बच्चे में प्रचलित मूल्यों कोभी विकसित करती है, इसे देखते हुए माताओं को चाहिएकि वे अपने बच्चों को सही संस्कार दें। उन्होंने कहाकि बच्चों को उनके बचपन सेही करियर को लेकर जागरुक करने की जगह उन्हें एक अच्छा इंसान बनने केलिए प्रेरित करना चाहिए और मां अपने बच्चों को सिखा सकती हैकि वे पैसे को अपनी एकमात्र प्राथमिकता न बनने दें, मां के प्रयास से एक परिवार आदर्श बनता है, अगर हर परिवार एक आदर्श परिवार बन जाए तो समाज का स्वरूप खुदही बदल जाएगा और इससे हमारा समाज एक मूल्य आधारित समाज बन सकता है।

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