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'शिल्प कौशल भारत की अमूर्त विरासत है'

उपराष्ट्रपति ने सिद्धहस्त शिल्पियों को पुरस्कार प्रदान किए

'हस्तशिल्प उत्पादों के विपणन और ब्रांडिंग को बढ़ावा दें'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 29 November 2022 03:54:29 PM

jagdeep dhankhar visiting the exhibition of handicraft products of shilp gurus

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि हमारे हस्तशिल्प हमारी जीवंत विरासत हैं, हमारे हस्तशिल्पकर्मी और गुरु एकओर राष्ट्रीय धरोहर का संरक्षण और सृजन करते हैं, साथ-साथ सांस्कृतिक राजदूत की भूमिका भी निभाते हैं। उन्होंने हस्तशिल्प के उपभोक्ताओं से स्थानीय निर्मितियों की सराहना करने और इसके बारेमें मुखर होने का आग्रह किया। उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों के संगठित विपणन और उनकी ब्रांडिंग को बढ़ावा देनेकी आवश्यकता पर बल देते हुए कहाकि इंटीरियर डिजाइनरों को इस समृद्ध सम्पदा परभी ध्यान देना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने सम्मान समारोह में वर्ष 2017, 2018, 2019 केलिए सिद्धहस्त शिल्पियों को 'शिल्प गुरु पुरस्कार' एवं 'राष्ट्रीय पुरस्कार' प्रदान किए। उन्होंने कहाकि हमारे उत्कृष्ट शिल्पकारों की अनूठी प्रतिभा भारत का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने शिल्पगुरुओं से कहाकि अपनी सूक्ष्म कारीगरी से वे भारत की सांस्कृतिक विविधता को सुशोभित और समृद्ध करते हैं, वे कौशल एवं शिल्प कौशल की भारत की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय शिल्पकारों को देशकी संस्कृति और रचनात्मकता का प्रभावशाली दूत बताते हुए कहाकि उन्हें सम्मानित करके राष्ट्र उन अज्ञात कुशल शिल्पकारों की असंख्य पीढ़ियों का सम्मान कररहा है, जो अपने पीछे इतनी समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि इन कौशलों में महारत प्राप्त करने केलिए कई पीढ़ियों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है और शिल्पकारों की रचनात्मकता, कौशल और कड़ी मेहनत के कारण भारत की हस्तकला की विश्व में सबसे अधिक मांग है। उन्होंने कहाकि वे भारत की रचनात्मक परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए शिल्प कौशल की भारत की अमूर्त विरासत को बढ़ावा देरहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में हस्तशिल्प क्षेत्र के महत्व पर उन्होंने कहाकि यह सत्तर लाख से अधिक ऐसे लोगों को रोज़गार देता है, जिनमें से एक बड़ा वर्ग ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों के शिल्पकारों का हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि भारत में हस्तशिल्प उद्योग में महिला शिल्पियों का वर्चस्व है और जो कुल हस्तशिल्पियों का 56 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने हस्तशिल्पियों के कल्याण को सुनिश्चित करने केलिए हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद और केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय की पहलें सराहीं।
गौरतलब हैकि शिल्प की विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट शिल्प कौशल केलिए राष्ट्रीय पुरस्कार वर्ष 1965 से प्रदान किए जा रहे हैं। जिन मुख्य शिल्पों केलिए पुरस्कार दिए गए हैं उनमें-धातुओं पर नक्काशी, चिकन पर हाथ से कढ़ाई, खुर्जा की ब्लू पॉटरी, माता नी पछेड़ी कलमकारी, बांधनी, बंधेज की रंगाई,बाघ छपाई का हैंड ब्लॉक, वारली आर्ट, संगमरमर प्रस्तर-धूलि से चित्रकारी, सोजनी हस्त कढ़ाई, पक्की मिटटी से बनी मूर्तियां, तंजौर पेंटिंग, शोलापीठ, कांथा हाथ की कढ़ाई, ताड़ के पत्ते की नक्काशी, लकड़ी पर पीतल के तार की जड़ाई, लकड़ी की तारकाशी, मधुबनी चित्रकला, स्वर्णपत्र की चित्रकला एवं पुआल शिल्प आदि हैं। पुरस्कार में 1 लाख रुपये की पुरस्कार धनराशि, एक ताम्रपत्र, एक शॉल और प्रमाणपत्र शामिल है। वर्ष 2017, 2018 और 2019 के राष्ट्रीय पुरस्कारों केलिए 78 शिल्पकारों का चयन किया गया, जिसमें 2 डिजाइन इनोवेशन पुरस्कार शामिल हैं, इसमें एक डिजाइनर और हस्तशिल्पी किसी एक अद्वितीय उत्पाद बनाने केलिए सहयोग करते हैं। इस अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल, वस्त्र मंत्रालय की सचिव रचना शाह, वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) शांतमनु और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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