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मुंबई में जीवन केबाद उपहार एक जीवन अभियान

खालसा और एसआईईएस कॉलेज के छात्रों की अंगदान की शपथ

भारत में हर साल प्रत्यारोपण करने केलिए अंगों की भारी कमी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 13 August 2022 06:24:18 PM

organ donation pledge of khalsa and sies college students

मुंबई। भारत हर साल प्रत्यारोपण केलिए अंग की भारी कमी से जूझ रहा है। उपलब्ध आंकड़ों और विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार अंगों की अनुपलब्धता के कारण हरसाल अधिकांश लोगों की मृत्यु हो रही है, क्योंकि एक वर्ष में केवल कुछ प्रत्यारोपण किए जाते हैं और हर 10 मिनट में एक नया नाम प्रतीक्षा सूची में जुड़ जाता है। भारत में प्रति मिलियन व्यक्तियों पर 0.8 लोगों की अंगदान दर है, जो दुनिया में सबसे कम है। एक अरब से अधिक लोगों के देशमें एक लाख में एक अंगदाता भी नहीं है। अंगों की उपलब्धता बढ़ाने जीवनदान देनेके बारेमें जागरुकता फैलाने केलिए मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ ग्लोबल हॉस्पिटल ने आज गुरुनानक खालसा कॉलेज और एसआईईएस कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स के विद्यार्धियों को इस विषय पर जागरुक किया।
ग्लोबल हॉस्पिटल परेल के डॉक्टरों ने छात्रों केसाथ कार्यशाला में अंगदान के महत्व पर जोर दिया और उसके बारेमें भ्रांतियों को दूर किया। विश्व अंगदान दिवस अधिक लोगों की जान बचाने के प्रयास में मृत या जीवित अंगदाताओं द्वारा स्वस्थ अंगों के दान को बढ़ावा देता है। डाक्टरों ने कहाकि अंगदान जैसे-गुर्दा, हृदय, अग्न्याशय, आंखें, फेफड़े आदि पुरानी स्थितियों वाले लोगों को लंबा जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। अंगदान के महत्व पर सीनियर कंसल्टेंट प्लास्टिक, हैंड एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी ग्लोबल हॉस्पिटल परेल मुंबई के डॉ नीलेश सातभाई ने कहाकि अंगदान का निर्णय न जानें कितने लोगों का जीवन बचाता है, एक अंगदाता संभावित रूपसे आठ लोगों की जान बचा सकता है। उन्होंने कहाकि हरसाल 5 लाख व्यक्ति अंगों की प्रतीक्षा, उम्मीद और प्रार्थना करते हुए मर जाते हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त अंग उपलब्ध नहीं होते हैं। उन्होंने कहाकि मैं ग्लोबल हॉस्पिटल को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने का मौका देने केलिए दोनों कॉलेजों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
सीनियर कंसल्टेंट हेपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट ग्लोबल हॉस्पिटल परेल मुंबई के डॉ उदय संगलोडकर ने कहाकि यह समझना अनिवार्य हैकि एक स्वस्थ जीवित अंगदाता का लीवर शरीर का एकमात्र अंग है, जो समय केसाथ अपने सामान्य आकार में पुन: प्राप्त हो सकता है। उनका कहना थाकि आमतौर पर लीवर दानदाता एक स्वस्थ जीवन जी सकता है और अपने लीवर का हिस्सा दान करने केबाद अपनी दैनिक गतिविधियां भी कर सकता है। डॉ उदय संगलोडकर ने कहाकि जिन लोगों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, उनमें से ज्यादातर लोग मृतक डोनर के लीवर के इंतजार में कई महीने या साल बिता देते हैं, हालांकि अंतिम चरण की जिगर की बीमारी वाले लोगों केलिए जीवित यकृत दान सबसे अच्छा विकल्प है। खालसा कॉलेज और एसआईईएस कॉलेज के 200 से अधिक छात्रों ने अंगदान करने की शपथ ली।

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