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राजपथ पर विशाल और शानदार स्क्रॉल

राष्ट्रीय गौरव व उत्कृष्टता को व्यक्त करती कलाकारी

स्वतंत्रता संग्राम और वीरता की कहानियों का चित्रण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 21 January 2022 03:04:12 PM

the huge and magnificent scroll on the rajpath

नई दिल्ली। संस्कृति मंत्रालय की एक अनूठी पहल कला कुंभ केतहत बनाए गए विशाल और शानदार स्क्रॉल अब गणतंत्र दिवस 2022 समारोह केलिए राजपथ पर स्थापित किए गए हैं। स्क्रॉल राजपथ के दोनों ओर सुशोभित हैं, जो विस्मयकारी दृश्य प्रस्तुत करते हैं। ये स्क्रॉल देश के विविध भौगोलिक स्थानों से कला के विभिन्न रूपों केसाथ राष्ट्रीय गौरव और उत्कृष्टता को व्यक्त करने के साधन के रूप में कला की क्षमता का विश्लेषण करते हैं। ओडिशा और चंडीगढ़ में दो स्थानों पर कला कुंभ में भाग लेनेवाले 500 से अधिक कलाकारों ने इन्हें परिश्रमपूर्वक शोध से उत्साहपूर्वक चित्रित किया है।
सचिव संस्कृति गोविंद मोहन ने राजपथ का दौरा किया और मीडिया को जानकारी देते हुए कहाकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और 750 मीटर लंबा स्क्रॉल संस्कृति मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की एक अनूठी पहल है। उन्होंने कहाकि शानदार स्क्रॉल को विभिन्न क्षेत्रों के स्थानीय कलाकारों ने चित्रित किया है और बड़े पैमाने पर स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की वीरता की कहानियों को चित्रित किया गया है। गोविंद मोहन ने कहाकि इन कलाकारों के विविध कला रूप भी स्क्रॉल में परिलक्षित होते हैं, जिन्हें एक भारत श्रेष्ठ भारत की सच्ची भावना में एक मंच पर एकसाथ लाया गया है। गोविंद मोहन ने कहाकि गणतंत्र दिवस के बाद स्क्रॉल को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया जाएगा और वहां आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें प्रदर्शित किया जाएगा।
संस्कृति मंत्रालय के कार्यक्रम कला कुंभ में सहयोग और सामूहिक कार्य के पहलू को रेखांकित किया गया है। नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली ने 11 से 17 दिसंबर तक ओडिशा के भुवनेश्वर में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और सिलिकॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी केसाथ सहयोग किया और चंडीगढ़ में 25 दिसंबर से 2 जनवरी 2022 तक चितकारा विश्वविद्यालय केसाथ सहयोग किया गया। कला कुंभ-आजादी का अमृत महोत्सव विविधता में एकता के सार को दर्शाता है, साथ ही प्रगतिशील भारत के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और इसकी उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाने केलिए भारत सरकार की पहल का विश्लेषण भी करता है। भारत के संविधान में रचनात्मक दृष्टांतों से प्रेरणा ली गई है, जिसमें नंदलाल बोस और उनकी टीम द्वारा चित्रित कलात्मक तत्वों ने स्वदेशी कलाओं के कई अभ्यावेदन केसाथ एक विशिष्ट अपील प्रदान की है।

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