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जनभागीदारी भारत का राष्ट्रीय चरित्र-पीएम

देश में 'निष्ठा' ट्रेनिंग प्रोग्राम टीचर्स में नए बदलावों के लिए है

नरेंद्र मोदी का शिक्षक पर्व के सम्मेलन में ऐतिहासिक संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 7 September 2021 03:21:38 PM

narendra modi addressing the inaugural conclave of shikshak parv

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ब्रह्मांड में गुरु की कोई उपमा नहीं, कोई बराबरी नहीं, जो काम गुरु कर सकता है वो कोई नहीं कर सकता, इसीलिए देश अपने युवाओं केलिए शिक्षा से जुड़े जो भी प्रयास कर रहा है, उसकी बागडोर शिक्षकों के ही हाथों में है। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से शिक्षक पर्व के पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि तेजीसे बदलते इस दौर में शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है, 'निष्ठा' ट्रेनिंग प्रोग्राम के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों केलिए तैयार कर रहा है, 'निष्ठा 3.0' अब इस दिशा में एक और अगला कदम है और मैं इसे बहुत महत्‍वपूर्ण कदम मानता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि टीचर्स जब योग्यता आधारित शिक्षण, कला एकीकरण, उच्चक्रम की सोच, रचनात्मक और नए तौर तरीकों से परिचित होंगे तो वो भविष्य केलिए युवाओं को और सहजता से गढ़ पाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है, उनकी ये विशेष पूंजी ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार। प्रधानमंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वे पहलीबार भूटान गए तो वहां का राज परिवार हो, वहां के शासकीय व्‍यवस्‍था के लोग हों, बड़े गर्व से कहते थे कि पहले हमारे यहां करीब-करीब सभी टीचर्स भारत से आते थे और यहां के दूर-सुदूर इलाकों में पैदल जाकर के पढ़ाते थे। वैसे ही जब में साऊदी अरबीया गया और शायद साऊदी अरबीया के किंग से जब बात कर रहा था तो वो इतने गर्व से मुझे उल्‍लेख कर रहे थे कि उन्हें भारत के शिक्षक ने पढ़ाया है, अब देखिए शिक्षक के प्रति कोई भी व्‍यक्‍ति कहीं पर भी पहुंचे उनके मन में क्‍या भाव होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश (श्रवण बाधितों के लिए ऑडियो और पाठ आधारित सांकेतिक भाषा वीडियो, ज्ञान के सार्वभौमिक डिजाइन के अनुरूप), बोलने वाली किताबें (टॉकिंग बुक्स, नेत्रहीनों के लिए ऑडियो किताबें), सीबीएसई की स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और आकलन रूपरेखा, निपुण भारत के लिए ‘निष्ठा’ शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और विद्यांजलि पोर्टल (विद्यालय के विकास के लिए शिक्षा स्वयंसेवकों/ दाताओं/ सीएसआर योगदानकर्ताओं की सुविधा के लिए) का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कठिन समय में देश के छात्रों के भविष्य के प्रति शिक्षकों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि शिक्षक पर्व पर कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं, ये महत्वपूर्ण भी हैं, क्योंकि इस समय देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और आजादी के 100 साल बाद भारत कैसा होगा, इसके लिए नए संकल्प ले रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महामारी की चुनौती का सामना करने के लिए छात्रों, शिक्षकों और पूरे शैक्षणिक समुदाय की प्रशंसा की और उनसे कठिन समय का मुकाबला करने के लिए विकसित की गई क्षमताओं को और आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यदि हम परिवर्तन के दौर में हैं, तो सौभाग्य से हमारे पास आधुनिक और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण और उसके क्रियांवयन में हर स्तर पर शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, शिक्षकों के योगदान की सराहना की। उन्होंने सभीसे इस भागीदारी को एक नए स्तर पर ले जाने और इसमें समाज को भी शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में ये बदलाव न केवल नीति आधारित हैं, बल्कि भागीदारी आधारित भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सबका प्रयास के देश के संकल्प के लिए विद्यांजलि 2.0 एक मंच की तरह है, इसके लिए समाज के निजी क्षेत्र को आगे आना होगा और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में योगदान देना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में जनभागीदारी फिर से भारत का राष्ट्रीय चरित्र बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी के सामर्थ्य के कारण ही भारत में बहुत से ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी पहले कल्पना करना कठिन था। उन्होंने कहा कि जब समाज मिलकर कुछ करता है तो वांछित परिणाम सुनिश्चित होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में युवाओं के भविष्य को आकार देने में सभी की भूमिका है। उन्होंने हाल ही में संपन्न ओलंपिक और पैरालंपिक में देश के एथलीटों के शानदार प्रदर्शन को याद किया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि प्रत्येक खिलाड़ी ने आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान कम से कम 75 स्कूलों का दौरा करने के उनके अनुरोध को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को प्रेरणा मिलेगी और कई प्रतिभाशाली छात्रों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलेगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति के लिए शिक्षा न केवल समावेशी होनी चाहिए बल्कि समान होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नेशनल डिजिटल आर्किटेक्चर अर्थात एन-डियर शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे यूपीआई इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को क्रांतिकारी बनाने का कार्य किया है, वैसे ही एन-डियर भी सभी विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के बीच 'सुपर कनेक्ट' के रूपमें कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि देश टॉकिंग बुक्स और ऑडियो बुक जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है। स्कूल क्वालिटी असेसमेंट एंड एश्योरेंस फ्रेमवर्क (एसक्यूएएएफ) पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र, मूल्यांकन, बुनियादी ढांचे, समावेशी प्रथाओं और शासन प्रक्रिया जैसे आयामों में एक सामान्य वैज्ञानिक ढांचे की अनुपस्थिति की कमी को दूर करेगा, यह असमानता दूर करने में भी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते इस युग में देश 'निष्ठा' प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अपने शिक्षकों को नए परिवर्तनों के लिए तैयार कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के शिक्षक न केवल किसी वैश्विक मानक पर खरे उतरते हैं, बल्कि उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी होती है, उनकी यह विशेष पूँजी, विशेष शक्ति उनके भीतर के भारतीय संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षक अपने काम को केवल पेशा नहीं मानते हैं, उनके लिए शिक्षण एक मानवीय संवेदना और एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने कहा इसीलिए हमारे देश में शिक्षक और बच्चों के बीच केवल पेशेवर संबंध नहीं होते, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है और यह रिश्ता जीवनभर के लिए होता है। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, डॉ सुभास सरकार, डॉ राजकुमार रंजन सिंह, राज्यों के शिक्षामंत्री, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष डॉ कस्तूरी रंगन, विद्वान प्राचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।

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