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शिक्षामंत्री ने लॉंच किया सीबीएसई मूल्यांकन तंत्र

उद्देश्य सीबीएसई स्कूलों में योग्यता आधारित शिक्षा मॉडल पर जोर

'भारत-यूके संबंधों में शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 25 March 2021 01:36:28 PM

ramesh pokhriyal nishank launched the cbse assessment framework

नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सीबीएसई योग्यता आधारित शिक्षा परियोजना के अंतर्गत विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषयों की कक्षाओं के लिए नए सीबीएसई मूल्यांकन तंत्र को लॉंच किया है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था का मार्गदर्शन करना है, जो हमारे युवाओं को बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा कि युवाओं को सही दिशा देने में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षामंत्री ने आशा व्यक्त की कि इस नए मूल्यांकन तंत्र से एनईपी का व्यापक दृष्टिकोण अब सकारात्मक तरीके से ज़मीनी स्तर पर कारगर होता नज़र आएगा और इस मूल्यांकन तंत्र को कारगर बनाने की दिशा में काम करने के लिए सीबीएसई और ब्रिटिश काउंसिल की टीमों को मेरी तरफ से हार्दिक बधाई।
शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि योग्यता आधारित मूल्यांकन तंत्र माध्यमिक स्तर कक्षा 6 से 10 तक भारत की मौजूदा स्कूली शिक्षा व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करेगा और मुख्य रूपसे तीन विषयों-अंग्रेज़ी, विज्ञान और गणित के संदर्भ में देशभर के विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता और परिणामों में सुधार करेगा। उन्होंने कहा कि यह तंत्र सीबीएसई योग्यता आधारित शिक्षा परियोजना का एक अंग है, जिसका उद्देश्य एनईपी-2020 में उल्लिखित रट्टा आधारित शिक्षा मॉडल को योग्यता आधारित मॉडल में परिवर्तित करना है एवं एनईपी के तहत यह परिवर्तन आगामी 2-3 वर्ष में किया जाना है। शिक्षामंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मूल्यांकन के क्षेत्र में वैश्विक मानकों को प्राप्त करने के एनईपी के व्यापक दृष्टिकोण के साथ इस नए मूल्यांकन तंत्र को जोड़ा गया है सीबीएसई के अध्यक्ष मनोज आहुजा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव की परिकल्पना करती है, इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को 21वीं सदी के लिए तैयार करना है, यह नीति विद्यार्थियों को रट्टा आधारित शिक्षण और परीक्षण व्यवस्था के विपरीत योग्यता आधारित शिक्षा व्यवस्था की नींव रखने पर बल देती है।
भारत में ब्रिटिश काउंसिल की निदेशक बरबरा विकहम ओबे ने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग भारत-यूके संबंधों के केंद्र में है और हमें गर्व है कि हम सीबीएसई की अगुवाई में इस महत्वपूर्ण कदम का हिस्सा बन रहे हैं। बरबरा विकहम ओबे ने कहा कि विभिन्न सुधारों के बाद तैयार यह मूल्यांकन तंत्र सीबीएसई स्कूलों में छात्रों के लिए बेहतर शिक्षण अनुभव और परिणाम, दोनों ही क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता आधारित शिक्षण में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशक में भारत में सरकारी एजेंसियों के साथ हमारा काम और ब्रिटेन के शिक्षा नेटवर्क में हमारी पहुंच का मतलब है कि हम एक ऐसे तंत्र को तैयार करने में सक्षम थे, जो न केवल भारतीय स्कूलों में अंतर्राष्ट्रीय मूल्यांकन मानकों को स्थापित करेगा, बल्कि भारत की ज़रूरतों के हिसाब से इसे अलग से डिजाइन भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हम इस परियोजना को सफल बनाने के लिए सीबीएसई और भारतीय स्कूल व्यवस्था से जुड़े हितधारकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सीबीएसई मूल्यांकन तंत्र वर्तमान में जारी एक व्यापक परियोजना अभ्यास का आधार है, जिसके अंतर्गत एक मॉडल प्रश्न बैंक का निर्माण करने और आदर्श पाठ्य योजना को संग्रहित करने के लिए इस तंत्र का इस्तेमाल करते हुए 40 मूल्यांकन डिजाइनर्स, 180 टेस्ट आइटम लेखक और 360 मास्टर ट्रेनर मेंटर्स को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सीबीएसई मूल्यांकन तंत्र के पहले चरण में देशभर के चुनिंदा केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ और प्राइवेट स्कूल इस कार्यक्रम में भाग लेंगे और वर्ष 2024 तक इसे देशभर के सभी 25000 सीबीएसई स्कूलों में लागू कर दिया जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुझाए गए परिवर्तनों को लागू करने और शिक्षण गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से इस नए मूल्यांकन तंत्र को लाया गया है। ब्रिटेन के ज्ञान साझेदार के रूपमें अल्फाप्लस के साथ मिलकर ब्रिटिश काउंसिल ने भारतीय विद्यालयों में वर्तमान में चल रहे शिक्षण और मूल्यांकन मॉडल के व्यापक शोध और विश्लेषण के बाद इस नए मूल्यांकन तंत्र को डिजाइन और विकसित किया है। शिक्षकों का प्रशिक्षण, संस्थानों के क्षमता निर्माण और विद्यालयों के इकोसिस्टम को व्यापक स्तर पर बदलने में योगदान देने के मामले में ब्रिटिश काउंसिल का विभिन्न सरकारों और शिक्षा विभागों को सहयोग देने का लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है। जहां तक इस परियोजना की बात है ब्रिटिश काउंसिल वर्तमान में चुनिंदा यूके पार्टनर्स के साथ काम कर रही है-कैम्ब्रिज अध्यापन कला की दिशा में योग्यता आधारित दृष्टिकोण और पाठ योजना बैंक के आधार पर शिक्षकों के सतत व्यावसायिक विकास मॉड्यूल को विकसित और वितरित कर रहे हैं।
यूके एनएआरआईसी ने मूल्यांकन प्रणाली को क्षमता-आधारित दृष्टिकोण के साथ एकीकृत करने की संभावनाओं की पहचान और समीक्षा करने के लिए सीबीएसई के साथ काम किया है। अल्फाप्लस ने क्षमता-आधारित शिक्षण मूल्यांकन तंत्र को तैयार किया है और 40 मूल्यांकन डिजाइनरों, 180 मास्टर टेस्ट आइटम लेखकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। यह परियोजना प्रत्यक्ष रूपसे शिक्षा क्षेत्र में 15 प्रमुख संस्थाओं, 2000 स्कूल प्रधानाचार्यों, 15 वरिष्ठ सरकारी लोगों, 180 टेस्ट आइटम लेखकों, 360 मास्टर ट्रेनरों को मदद करेगी, जिसका सीधा असर वर्ष 2024 तक सीबीएसई के 25000 स्कूलों पर पड़ेगा, इनमें 2000 जवाहर नवोदय विद्यालय एवं 132000 केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक और 20 मिलियन शिक्षार्थी शामिल हैं।

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