स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 9 October 2019 01:59:57 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि भारत से आने-जाने वाली वस्तुओं की आवाजाही के लिए बांग्लादेश में चट्टोग्राम एवं मोंगला बंदरगाहों के उपयोग के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पहल पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वस्तुओं की परिवहन लागत में उल्लेखनीय कमी लाएगी। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत की यात्रा के दौरान एक मानक प्रचालन प्रक्रिया यानी एसओपी, जिसमें बांग्लादेश में अपने क्षेत्र के जरिए भारत से वस्तुओं की आवाजाही के लिए अपने चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग की अनुमति समझौता किया गया है और 5 अक्टूबर 2019 को भारत एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों के समक्ष इसपर हस्ताक्षर किए गए थे।
चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों के उपयोग पर एसओपी को 6 जून 2015 को दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित एमओयू एवं 25 अक्टूबर 2018 को समझौते के बाद अंतिम रूप दिया गया है। यह समझौता तथा एसओपी जलमार्ग, रेल, सड़क या मल्टीमॉडल परिवहन के जरिए बांग्लादेश में वस्तुओं की आवाजाही की अनुमति देता है। समझौते के तहत 8 रास्तों का प्रावधान है, जो बांग्लादेश के रास्ते पूर्वोत्तर क्षेत्र तक पहुंच को सुलभ बनाएंगे। ये रूट हैं-चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाह से अगरतला (त्रिपुरा) बरास्ते अखुरा, चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाह से दावकी (मेघालय) बरास्ते तामाबिल, चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाह से सुतारकंडी (असम) बरास्ते शिओला एवं चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाह से श्रीमंतपुर (त्रिपुरा) बरास्ते बीबीरबाज़ार। चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों पर एसओपी के सम्पन्न होने से वस्तुओं के परिवहन में लगने वाली दूरी, समय और संभारतंत्र लागत में कमी आएगी तथा यह दोनों देशों के लिए लाभदायक स्थिति है।
भारत के जमीन से घिरे हुए तीन राज्य असम, मेघालय और त्रिपुरा को भारतीय बंदरगाहों के जरिए चट्टोग्राम एवं मोंगला बंदरगाहों से खुले समुद्र व्यापार रास्ते तक पहुंच हासिल होगी। त्रिपुरा दक्षिण त्रिपुरा में सबरूम में फेनी नदी पर मैत्री सेतु और बंगलादेश में रामगढ़ के जरिए चट्टोग्राम बंदरगाह से जुड़ जाएगा। अगरतला सबरूम से 135 किलोमीटर की दूरी पर है, चट्टोग्राम बंदरगाह सबरूम से 75 किलोमीटर दूर है। कोलकाता व हल्दिया से पूर्वोत्तर आईबीपी जलमार्ग के जरिए कार्गो परिवहन 2000 टन पोतों तक सीमित है। अब पूर्वोत्तर के निर्धारित कार्गो वाले बड़े जहाज चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग कर सकते हैं और इस प्रकार व्यापार में बढ़ोतरी होगी तथा संभार तंत्र लागत में कमी आएगी। भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले कई वर्ष के दौरान जहाजरानी और सामुद्रिक मामलों में बहुत घनिष्ठ सहयोग रहा है। पांच पोर्ट्स ऑफ कॉल के अतिरिक्त अंत:स्थली जल पारगमन एवं व्यापार नयाचार के तहत धुबरी (भारत) और पनगांव (बांग्लादेश) जोड़ दिए गए हैं तथा दोनों देशों ने प्रत्येक देश में और अधिक पीओसी जोड़ने पर सहमति जताई है।