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'बढ़ी हुई रक्षा भागीदारी के जरिए साझा समृद्धि'

भारत की ओर से मित्र देशों को उन्नत रक्षा साझेदारी की पेशकश

एयरो इंडिया के दौरान देश-विदेश के रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 14 February 2023 03:56:20 PM

conference of defense ministers of india and abroad during aero india

बेंगलुरु। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में एयरो इंडिया-2023 के दौरान रक्षामंत्रियों के सम्मेलन में आए 27 देशों के रक्षा और उप रक्षामंत्रियों की मेजबानी की। सम्मेलन का विषय 'रक्षा में संवर्धित जुड़ाव के माध्यम से साझा समृद्धि' (स्पीड) था, जिसमें क्षमता निर्माण, निवेश, अनुसंधान एवं विकास, संयुक्त उद्यम, सह विकास, सह उत्पादन और रक्षा उपकरणों के प्रावधान के माध्यम से प्रशिक्षण, अंतरिक्ष, एआई और समुद्री सुरक्षा को एकसाथ विकसित करने केलिए सहयोग को और गहरा करने से संबंधित पहलुओं की मांग की गई। रक्षामंत्री ने तेजीसे जटिल वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में अधिक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहाकि सम्मेलन का विषय 'स्पीड' वर्तमान युग की विशेषता है, जिसमें भू-राजनीतिक और सुरक्षा वास्तविकताएं अबतक अज्ञात गति से बदल रही हैं। उन्होंने ऐसे तेजगति वाले परिवर्तनों का जवाब देने केलिए वास्तविक समय के सहयोग का आह्वान किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विकास और समृद्धि केलिए सामूहिक सुरक्षा को अनिवार्य शर्त बताया। उन्होंने कहाकि आतंकवाद, अवैध हथियारों का व्यापार, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी आदि दुनिया केलिए महत्वपूर्ण सुरक्षा खतरे पैदा करते हैं और इनका मुकाबला करने केलिए नई रणनीति तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि भारत पुराने पितृसत्तात्मक या नव-उपनिवेशवादी प्रतिमानों में इस तरह के सुरक्षा मुद्दों से निपटने में विश्वास नहीं करता है, हम सभी देशों को समान भागीदार मानते हैं, इसलिए हम किसी देशकी आंतरिक समस्याओं केलिए बाहरी या सुपर राष्ट्रीय समाधान थोपने में विश्वास नहीं करते हैं। उन्होंने कहाकि हम धर्मोपदेश या कट-एंड-ड्रायड समाधान देने में विश्वास नहीं करते हैं, जो सहायता की आवश्यकता वाले देशों के राष्ट्रीय मूल्यों और बाधाओं का सम्मान नहीं करते हैं, बल्कि हम अपने साथी देशों की क्षमता निर्माण का समर्थन करते हैं, ताकि वे अपनी प्रतिभा के अनुसार अपनी नियति खुद तय कर सकें। रक्षामंत्री ने कहाकि ऐसे राष्ट्र जो दूसरों की तुलना में समृद्ध, सैन्य या तकनीकी रूपसे अधिक उन्नत हैं, लेकिन यह उन्हें समर्थन की आवश्यकता वाले राष्ट्रों को अपने समाधान निर्धारित करने का अधिकार नहीं देता है।
रक्षामंत्री ने कहाकि समस्याओं को हल करने की दिशा में शीर्ष से नीचे का दृष्टिकोण लंबे समय तक टिकाऊ नहीं रहा है और यह अक्सर कर्ज के जाल, स्थानीय आबादी की प्रतिक्रिया, संघर्ष आदि की ओर ले जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संस्थानों और क्षमताओं के निर्माण के संदर्भ में सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि सहायता प्राप्त राष्ट्रों के लोकाचार के अनुरूप नीचे से ऊपर के समाधान व्यवस्थित रूपसे सामने आ सकें। रक्षामंत्री ने मित्र देशों के रक्षामंत्रियों को बतायाकि भारत अपने मित्र देशों को बढ़ी हुई रक्षा साझेदारी की पेशकश करके इसी सिद्धांत केसाथ काम करते हुए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने उनसे कहाकि हम एक साझेदारी की पेशकश करते हैं, जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुकूल है, हम आपके साथ निर्माण, लॉंच, विकास, सहजीवी संबंध बनाना चाहते हैं, जहां हम एक-दूसरे से सीख सकें, एकसाथ बढ़ सकें और सभीके लिए जीत की स्थिति बना सकें। राजनाथ सिंह ने विश्वास जताया कि एयरो इंडिया के माध्यम से उनको भारत में बनाए जा रहे मजबूत रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के बारेमें ज्ञान प्राप्त होगा। उन्होंने उनसे पूछताछ, टिप्पणियों और फीडबैक के जरिए अपनी आवश्यकताओं और अपेक्षाओं को साझा करने का आग्रह किया, जो रक्षा उद्योग को सीखने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, स्वास्थ्य या जलवायु के क्षेत्रमें किसीभी बड़े बदलाव की वैश्विक प्रतिध्वनि होती है और जब किसी क्षेत्रकी शांति और सुरक्षा को खतरा होता है तो दुनिया इसके प्रभाव को कई तरह से महसूस करती है। उन्होंने कहाकि एक परस्पर जुड़े और नेटवर्क वाले विश्व में झटकों और गड़बड़ी का तेजीसे संचरण किसी के अपने देश को अन्य देशों के मुद्दों से अलग करना असंभव बना देता है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने केलिए शिखर सम्मेलनों के दौरान नियमित बातचीत पर जोर दियाकि सभी की चिंताओं को एक सामान्य, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य केलिए उपयुक्त रूपसे संबोधित किया जाए। रक्षामंत्री ने एक नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था केलिए भारत के रुख की पुष्टि की, जिसमें शक्ति के सही होने की मूल प्रवृत्ति को सभी संप्रभु राष्ट्रों केबीच निष्पक्षता, सहयोग, सम्मान और समानता की सभ्यतागत अवधारणा से प्रतिस्थापित किया जाता है। उन्होंने कहाकि किसीभी गुट या राष्ट्रों के एक समूह के दूसरे के खिलाफ गठबंधन के बिना भारत ने सभी राष्ट्रों विशेष रूपसे विकासशील लोगों के उत्थान केलिए निरंतर काम किया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत हमेशा दुनियाभर से नए विचारों केलिए खुला रहा है और विभिन्न विचारों के मिश्रण और प्रतियोगिता ने हमें एक वैश्विक विचार केंद्र बना दिया है। उन्होंने कहाकि हमारा प्राचीन लोकाचार न केवल पारस्परिक लाभ केलिए सहयोग की दिशामें काम करने केलिए हमारा मार्गदर्शन करता है, बल्कि एक परिवार के रूपमें संपूर्ण मानवता की शिक्षाप्रद पहचान केलिए मात्र लेन-देन के दृष्टिकोण से आगे एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कोविड-19 से निपटने केलिए वैश्विक प्रयासों का उल्लेख किया और कहाकि महामारी ने इस बिंदु को रेखांकित किया हैकि साझा वैश्विक समृद्धि केलिए विभिन्न क्षेत्रों में सभी देशों केबीच अधिक समन्वय की आवश्यकता है, जिनमें से रक्षा और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में भारत की जबरदस्त वृद्धि और जुड़ाव को प्रमाणित करते हुए 27 देशों के रक्षा और उप रक्षा मंत्रियों, 80 देशों के 15 रक्षा और सेवा प्रमुखों और 12 स्थायी सचिवों सहित कई देशों के 160 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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