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भारत-अफगान में नई विकास साझेदारी-नायडू

अफगान के उपराष्ट्रपति और वेंकैया नायडू में हुई बातचीत

'आतंकवाद ‌के खिलाफ बनेगा अंतर्राष्ट्रीय सत्यापन तंत्र'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 13 December 2017 03:51:54 AM

conversations between afghan vice-president and venkaiah naidu

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए इस्लामिक राजतंत्र अफगानिस्तान के द्वितीय उपराष्ट्रपति मोहम्मद सरवर दानिश का जोरदार स्वागत किया। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उपराष्ट्रपति मोहम्मद सरवर दानिश के साथ एक बैठक में बातचीत करते हुए उन्हें जानकारी दी कि भारत ने हाल ही में भारतीय निवेश और वित्तपोषण से निर्मित ईरान में चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के उद्घाटन से अब तक इस बंदरगाह से अफगानिस्तान को 1,70,000 टन गेहूं की आपूर्ति की है। वेंकैया नायडू ने बताया कि जून 2017 में एयर फ्रेट कॉरिडोर के शुभारंभ के बाद से अफगानिस्तान और भारत के बीच 50 से अधिक उड़ानें भरी गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष तक भारत ने अफगानिस्तान को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त सहायता की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि इन सब कार्यों से सितंबर 2017 में नई विकास साझेदारी की नींव रखी गई, जिसके तहत अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 31 में 116 'उच्च परिणामी सामुदायिक विकास परियोजनाओं' का चयन किया गया है और कई नई परियोजनाओं की घोषणा भी की गई है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पूरे एशियाई और यूरेशियन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार, निवेश और संपर्क माध्यम के रूपमें उभर सकता है।
अफगानिस्तान के सामने खड़ी चुनौतियों और सीमापार से आतंकवादियों को मिलने वाली मदद तथा उनकी आश्रय स्थली जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें अपने पड़ोसी द्वारा आतंकवाद को राज्य के समर्थन की नीति का पुरजोर विरोध करना चाहिए। वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें आतंकवाद से लड़ने और उनके सुरक्षित आश्रयों तथा अन्य मदद को खत्म करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सत्यापन तंत्र की स्थापना करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2001 से अब तक अफगानिस्तान के लिए पिछला वर्ष अत्यधिक हिंसा का रहा, जिसके दौरान 10,000 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें 25 प्रतिशत आम जनता से थे।

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