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Tuesday 23 August 2016 06:31:13 AM
नई दिल्ली। भारतीय राजस्व सेवा के परिविक्षार्थियों से राष्ट्रपति ने कहा है कि कर निर्धारण के समय इस बात का ध्यान रखें कि करदाता को उससे कोई नुकसान न हो और वे कर देने के लिए प्रेरित हों। भारतीय राजस्व सेवा के 66वें 2014 बैच के परिविक्षार्थियों के एक समूह ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय परीक्षा में सफल होने पर उनकी योग्यता और अकादमिक उत्कृष्टता परिलक्षित होती है। राष्ट्रपति ने कहा कि राजस्व एकत्रित करना देश की अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों का कार्य राजस्व एकत्रित करने में सुविधा प्रदान करना है, ताकि सरकार को राजस्व का अपना हिस्सा मिल सके। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा में उनके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होगी, जबकि यह अवसर किसी अन्य सेवा में उपलब्ध नहीं है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कर वसूलने के बारे में कौटिल्य के कथन को याद रखने की सलाह देते हुए कहा कि करदाताओं से उसी प्रकार कर लिया जाना चाहिए जैसे मधुमक्खी फूलों की पंखुड़ियों को नुकसान पहुंचाए बिना फूल-पंखुड़ी से शहद की अनुपातिक मात्रा एकत्रित करती है। उन्होंने परिविक्षार्थियों से सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति का उपयोग करने और अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाने के लिए स्वयं को व्यावहारिक और आधुनिक बनाए रखने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्ष में देश के वित्तीय ढांचे में काफी परिवर्तन हुआ है, जिसमें हाल ही में संसद में वस्तु एवं सेवाकर कानून बनाने के संबंध में पारित विधेयक प्रमुख कर सुधार है। उन्होंने कहा कि इसके कार्यांवयन की जिम्मेदारी अधिकारियों की होगी। राजस्व सेवा के परिविक्षार्थी वर्तमान में राष्ट्रीय सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं नार्कोटिक्स अकादमी फरीदाबाद में व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं।