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इराक में बंधकों की जल्द रिहाई की उम्मीद

नरेंद्र मोदी सरकार की टीम रिहाई के लक्ष्य तक पहुंची

भारतीयों को इराक से सुरक्षित निकालना एक चुनौती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 20 June 2014 08:05:33 PM

seen of iraq

नई दिल्ली। इराक में अपह्रत भारतीयों का पता लग जाने के बाद उनको छुड़ाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता में गठित संकट प्रबंधन समूह ने उन्हें सु‌रक्षित छुड़ा कर भारत लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। संकेत मिल रहे हैं कि उनको सकुशल रिहा करा लिया जाएगा, भारत से इराक पहुंचे राजनयिकों का सही लक्ष्य से संपर्क हो जाने की खबरों के बीच यह आशा बलवती हुई है। खाड़ी क्षेत्र के प्रभारी अनिल वाधवा ने इराकी राजदूत अहमद तहसीन अहमद बेरवारी के साथ बात की है। खबर है कि इराक में भारत के दूत रहे सुरेश रेड्डी के इराकियों से पूर्व संबंध भी बड़े काम आ रहे हैं, वे इस वक्त बगदाद में हैं और इराकी अधिकारियों के साथ ही साथ इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के प्रभावशाली समर्थकों के भी संपर्क में आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपने भारतीयों को इराक से सुरक्षित निकालना एक चुनौती है, मगर उनके प्रयासों के सामने भारत सरकार को यह सफलता भी कभी भी मिल सकती है।
भारत ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया है कि इराक के हिंसाग्रस्त मोसुल शहर सेअगवा हुए सभी चालीस भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं और इराकी अधिकारियों ने उनके ठिकानों की पहचान कर ली है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पंजाब के कुछ अपह्रत भारतीयों के परिवारों से कहा है कि उनके सदस्य पूरी तरह से सुरक्षित हैं, सूचना के अनुसार उन्हें दो स्थानों पर रखा गया है, जिनमें एक कपास मिल और एक सरकारी इमारत है। बगदाद से आने वाली सूचनाओं में कहा जाता है कि अपह्रताओं ने एक अंतर्राष्ट्रीय मिशन के तहत भारतीयों को अगवा किया है, जैसा कि उनका बाकी लोगों से बर्ताव है, वैसा भारतीयों से नहीं है, अपहरणकर्ता यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि भारत के इराक और इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से अभिन्न संबंध रहे हैं और वे भारतीयों की भावना को समझते हुए ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे उन्हें विश्व समुदाय के घोर विरोध का सामना करना पड़े। चरमपंथी गुटों ने इराक में जो मारकाट मचा रखी है, उसमें अभी तक किसी भारतीय के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी आशावादी हैं कि उनके प्रांत के लोगों की सकुशल रिहाई हो जाएगी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अगवा भारतीयों के परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं और उन्होंने कहा है कि सभी भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने कि हम हर कोशिश कर रहे हैं, हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, वहां स्थिति सामान्य होते ही हम उन्हें वापस लाने की गारंटी देते हैं। विदेश मंत्री के इस बयान के मायने बिल्कुल स्पष्ट हैं और उनके इस आत्मविश्वास में सफलता मिल जाने का संदेश महसूस किया जा सकता है। विदेश मंत्री ने इराक में फंसे सभी लोगों को सलाह दी है कि वे अपने घरों से बाहर नहीं निकलें। विदेश मंत्री ने संकट प्रबंधन समूह की दो बैठकों में मुश्किल हालात से निपटने के विभिन्न विकल्पों की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। विदेश मंत्री ने कहा है कि अपह्रत भारतीयों के बदले फिरौती की कोई मांग अभी तक नहीं हुई है। उनका कहना है कि अभी यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि अपहरण में मोसुल, तिकरित और इराक के कुछ अन्य हिस्सों पर कब्जा करने वाले सुन्नी चरपमंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया का हाथ है या नहीं।
भारत सरकार ने अपह्रताओं को छुड़ाने के हरसंभव प्रयासों का दावा करते हुए कहा है कि बगदाद में भारतीय दूतावास लगातार इराकी अधिकारियों के संपर्क में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा है कि इराक के विदेश मंत्रालय ने हमें बताया है कि अपहृत भारतीयों को कुछ अन्य देशों के नागरिकों के साथ बंधक बना कर रखा गया है। अकबरूद्दीन ने ज्यादा सूचना साझा करने से इंकार करते हुए कहा है कि इराकी अधिकारियों ने हमसे जो सूचनाएं साझा की हैं, उनके बारे में और ज्यादा कुछ नहीं बता सकूंगा। क्या अपहृत भारतीय सुरक्षित हैं तो उनका कहना था कि अपहरण में कोई सुरक्षा नहीं होती है। अपह्रत भारतीयों में पंजाब और उत्तरी भारत के अन्य क्षेत्रों से हैं और वे उत्तरी इराक के मोसुल शहर की एक निर्माण परियोजना में कार्य कर रहे थे। इस क्षेत्र पर सुन्नी चरमपंथी समूह आइएसआइएस ने कब्जा कर लिया है। अकबरूद्दीन के अनुसार चरमपंथियों के कब्जे में इराक के अन्य शहर तिकरित में फंसी भारत की 46 नर्सें भी हैं। भारतीय दूतावास के आग्रह पर इंटरनेशनल रेड क्रीसेंट ने इन नर्सों से संपर्क किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि हिंसाग्रस्त इराकी क्षेत्रों से फंसे भारतीयों को सड़क परिवहन के जरिए निकालना कठिन है, इस सिलसिले में अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, जमीनी स्थिति का जायजा लेने व स्थानीय अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद उन्हें भारत लाने के सर्वोत्तम विकल्प को अपनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इराक के बारे में सूचना उपलब्ध कराने के लिए चौबीस घंटे चलने वाले नियंत्रण कक्ष को 130 फोन काल आई हैं, जिनमें से 15 इराक से हैं। 

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