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योग विश्व केलिए भारत का अमूल्य उपहार-वेंकैया

'स्वास्थ्य समाधान के रूपमें योग पर और शोध करने की आवश्यकता'

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पर्यटन मंत्रालय का वृहद योग कार्यक्रम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 21 June 2022 01:03:31 PM

vice president practicing yoga

सिकंदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज आठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड में पर्यटन मंत्रालय के योग कार्यक्रम में सैकड़ों प्रतिभागियों केसाथ योगाभ्यास किया। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहाकि योग का प्राचीन विज्ञान विश्व केलिए भारत का अमूल्य उपहार है और उन्होंने सभीसे योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने एवं इससे लाभ प्राप्त करने केलिए कहा। उन्होंने स्वास्थ्य समाधान के रूपमें योग पर और शोध करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। योग के अर्थ को जुड़ना या एकजुट होना बताते हुए उन्होंने कहाकि यह मन और शरीर, मनुष्य और प्रकृति केबीच एकता और सामंजस्य पर जोर देता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्राचीन दर्शन से प्रेरणा लेने और न केवल हमारे मन और शरीर को बदलने केलिए, बल्कि राष्ट्र के समग्र परिवर्तन केलिए भी काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्रीमदभागवत गीता को उद्धृत करते हुए उन्होंने योग को कार्य में उत्कृष्टता के रूपमें वर्णित किया और अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहाकि यह प्रत्येक भारतीय केलिए देश को आगे ले जाने का मंत्र बने। उन्होंने कहाकि यदि आप अपने चुने हुए क्षेत्रमें उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं तो राष्ट्र निश्चित रूपसे तेजीसे आगे बढ़ेगा। वेंकैया नायडू ने नागरिकों केबीच अच्छे स्वास्थ्य और खुशी को बढ़ावा देने केलिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जैसे आयोजनों के महत्व पर प्रकाश डाला। इस वर्ष योग दिवस की थीम-'मानवता के लिए योग' के बारेमें उपराष्ट्रपति ने समग्र शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और जनता केबीच कल्याण सुनिश्चित करने में योग की भूमिका पर जोर दिया।
कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि इस महामारी ने योग को हमारे स्वास्थ्य को दुरुस्त और बेहतर बनाने में और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। योग को बढ़ावा देने के प्रयासों केलिए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि योग प्रकृति केसाथ सद्भाव, सभी जीवों केलिए प्रेम और आध्यात्मिकता की भारतीय संस्कृति को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि हमें अपने पूर्वजों के इस शानदार उपहार पर गर्व होना चाहिए और मानवता के व्यापक कल्याण केलिए योग को दुनियाभर में फैलाना और बढ़ावा देना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि योग में उम्र, जाति, धर्म और क्षेत्र का कोई बंधन नहीं है, यह सार्वभौमिक है और लोगों से योगाभ्यास करने, इसका प्रचार करने एवं इसपर गर्व महसूस करने केलिए कहा। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, ओलंपियन पीवी सिंधु और गणमान्य नागरिकों ने इस वृहद आयोजन में भाग लिया।

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