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कैलाश मानसरोवर का नया सड़क मार्ग खुला

रक्षामंत्री ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए किया उद्घाटन

सड़क लिंक से अब एक सप्ताह में पूरी होगी यात्रा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 8 May 2020 06:39:17 PM

rajnath singh inaugurates the 80 kilometre long crucial road from ghatiabgarh to lipulekh

नई दिल्ली। कैलाश मानसरोवर का नया सड़क मार्ग खुल गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तराखंड में धारचूला से चीन सीमा पर लिपुलेख तक सड़क मार्ग का उद्घाटन किया और कहा है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीमा क्षेत्र कनेक्टिविटी में यह नए युग की शुरुआत है। उन्होंने पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के एक काफिले को भी रवाना किया। रक्षामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुदूर क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष दृष्टिकोण रखते हैं, इस महत्वपूर्ण सड़क संपर्क मार्ग के पूरा होने से स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों के दशकों पुराने सपने और आकांक्षाएं पूरी हो गई हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सड़क के परिचालन के साथ क्षेत्र में स्थानीय व्यापार और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। रक्षामंत्री ने कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा को हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों में पवित्र एवं पूजनीय बताते हुए कहा कि इस सड़क लिंक से यह यात्रा एक सप्ताह में पूरी हो सकेगी, जबकि पहले इसमें 2-3 सप्ताह का समय लग जाया करता था।
कैलाश मानसरोवर की नई सड़क घटियाबगड़ से और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रा पर समाप्त होती है। करीब 80 किलोमीटर लंबी इस सड़क की ऊंचाई 6,000 से 17,060 फीट तक है। इस परियोजना के पूरा होने से अब कैलाश मानसरोवर के तीर्थयात्री जोखिमभरे व अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके के मार्ग पर कठिन यात्रा करने से बच सकेंगे। सिक्किम या नेपाल मार्गों से कैलाश मानसरोवर की यात्रा में लगभग दो से तीन सप्ताह का समय लगता है। लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों से होकर 90 किलोमीटर लंबे मार्ग की यात्रा करनी पड़ती थी और इसमें बुजुर्ग यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। सिक्किम और नेपाल के रास्ते अन्य दो सड़क मार्ग हैं, इसमें भारतीय सड़कों पर लगभग 20 प्रतिशत यात्रा और चीन की सड़कों पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा करनी पड़ती थी। घटियाबगड़-लिपुलेख सड़क के खुलने से यह अनुपात उलट गया है, अब मानसरोवर तीर्थयात्री भारतीय भूमि पर 84 प्रतिशत और चीन की भूमि पर केवल 16 प्रतिशत की यात्रा करेंगे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सड़क वास्तव में ऐतिहासिक है। उन्होंने सीमा सड़क संगठन के इंजीनियरों और कर्मियों को बधाई दी, जिनके समर्पण ने इस उपलब्धि को संभव बनाया है। उन्होंने सड़क के निर्माण के दौरान हुए लोगों की मौत पर शोक भी व्यक्त किया। उन्होंने बीआरओ कर्मियों के योगदान की प्रशंसा की, जो कोविड-19 के कठिन समय में भी सुदूर स्थानों में रहते हैं और अपने परिवारों से दूर हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि बीआरओ प्रारंभ से ही उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के विकास में सक्रिय रूपसे शामिल है। बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने बताया कि इस सड़क के निर्माण में कई बाधाएं आई हैं, लगातार बर्फबारी, ऊंचाई में अत्यधिक वृद्धि और बेहद कम तापमान से काम करने लायक मौसम पांच महीने तक सीमित रहा, कैलाश मानसरोवर यात्रा भी जून से अक्टूबर के बीच काम के मौसम के दौरान ही होती थी। स्थानीय लोग अपने लॉजिस्टिक्स के साथ इस दौरान ही यात्रा करते थे, चीन के साथ व्यापार के लिए व्यापारी भी यात्रा करते थे, इस तरह सड़क निर्माण के लिए दैनिक घंटे और भी कम हो जाते थे।
कैलाश मानसरोवर सड़क मार्ग पर पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे यहां भारी नुकसान हुआ। शुरुआती 20 किलोमीटर में पहाड़ों में कठोर चट्टान हैं और ये चट्टान सीधे खड़ी हैं, जिस कारण बीआरओ के कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। काली नदी में गिरने के कारण बीआरओ के 25 उपकरण भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे। इन बाधाओं के बावजूद दो वर्ष में बीआरओ कई कार्यस्थल बिंदु बनाकर और आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरणों को शामिल करके अपने उत्पादन को 20 गुना बढ़ाने में सफल हुआ। इस क्षेत्र में सैकड़ों टन स्टोर/ उपकरण सामग्री की उपलब्धता के लिए हेलीकॉप्टरों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। सड़क उद्घाटन के अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, अल्मोड़ा (उत्तराखंड) से लोकसभा के सदस्य अजय टम्टा और रक्षा मंत्रालय एवं बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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