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आतंकवाद के खिलाफ सार्क देश एकजुट हों-रक्षामंत्री

पाकिस्‍तान ने आतंकवाद को देश की नीति के रूपमें प्राथमिकता दी

रक्षामंत्री का दिल्‍ली में 12वें दक्षिण एशिया सम्‍मेलन में संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 29 January 2020 03:59:27 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सीमापार आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। उन्‍होंने कहा कि 2016 और 2019 में आतंकवादी हमले के खिलाफ किए गए स्‍ट्राइक ने आतंकवाद को परास्‍त करने के देश के दृढ़ संकल्‍प को दिखाया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह नई दिल्‍ली में रक्षा अध्‍ययन और विश्‍लेषण संस्‍थान में 12वें दक्षिण एशिया सम्‍मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि बातचीत और आतंकवाद दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। उन्‍होंने पाकिस्‍तान की धरती से भारत पर किए जा रहे हमलों के लिए जिम्‍मेदार आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़े कदम उठाने को कहा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए संयुक्‍त दृष्टिकोण विकसित करने के उद्देश्‍य से अपने पड़ोसियों के साथ बातचीत करता रहा है। उन्‍होंने दक्षिण एशिया सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्‍य देशों से कहा कि वे आतंकवाद को परास्‍त करने के प्रयास में एकजुट हों। राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्‍तान को छोड़कर सार्क देशों ने एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप नहीं करने तथा सीमापार से आतंकवाद को समर्थन नहीं देने के सिद्धांतों का पालन किया है। रक्षामंत्री ने कहा कि एकमात्र देश पाकिस्‍तान के व्‍यवहार और नीतियों के कारण सार्क की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया गया है। इस संबंध में उन्‍होंने 2015 में काठमांडू अधिवेशन में सार्क मोटरवाहन समझौते को रोकने का उदाहरण दिया। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान ने भारत के प्रति आतंकवाद को देश की नीति के रूपमें प्राथमिकता दी है और यह बातचीत से विवादों का शांतिपूर्ण समाधान नहीं चाहता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद को विदेश और सुरक्षा नी‍ति के औजार के रूपमें इस्‍तेमाल करने से उग्रवाद तथा आतंकवाद को प्रोत्‍साहन मिला है और इससे सभी देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है। उन्‍होंने कहा कि अप्रैल 2019 में किया गया ईस्‍टर बम हमला यह दिखाता है कि क्षेत्र और उससे आगे के लिए ऐसी नीति कितनी खतरनाक है। उन्‍होंने कहा कि भारत में मुम्‍बई, पठानकोट, उरी तथा पुलवामा में किए गए आतंकवादी हमले पड़ोसी देश पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद की याद दिलाते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि एशिया क्षेत्र का सबसे बड़ा देश होने के नाते भारत ने हमेशा अपनी समृद्धि को पड़ोसियों के साथ साझा करने की दिशा में प्रयास किया है। उन्‍होंने सरकार की पड़ोसी प्रथम नीति की विशेषताओं की चर्चा करते हुए कहा कि इस नीति में पारस्‍परिक रूपसे लाभकारी तथा व्‍यापक दृष्टिकोण को अपनाते हुए विकास और सुरक्षा दोनों को शामिल किया गया है, इस तरह यह नीति समावेशी है और पड़ोसी देशों की प्राथमिकताओं के प्रति संवेदी है।
रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार ने पड़ोस को सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण विदेश नीति की प्राथमिकता माना है। राजनाथ सिंह ने क्षेत्रीय एकता और सहयोग की आवश्‍यकता पर बल देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा भाईचारे की सांस्‍कृतिक परंपरा का पालन किया है। उन्‍होंने कहा कि वेदों, उपनिषद तथा पुराणों से देश को एकता की शक्ति की सीख मिली है और परंपरागत ज्ञान हासिल हुआ है। उन्‍होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत में गहरी आस्‍था है और इससे सबको लाभ होगा। उन्‍होंने बताया कि सरकार ने पिछले एक दशक में पड़ोस को 13.14 बिलियन डॉलर का ऋण दिया है और लगभग 4 बिलियन डॉलर की सहायता दी है। उन्‍होंने कहा कि भारत पड़ोसी प्रथम नीति के अंतर्गत विकास के मामले में अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है, भारत कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए पड़ोसियों को आवश्‍यक और अवसंरचना निर्माण में संसाधन उपलब्‍ध कराना चाहता है, ताकि वस्‍तुओं, सेवाओं, लोगों तथा विचारों की क्षेत्रव्‍यापी सहज आवाजाही हो सके।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दक्षिण एशिया इतिहास के महत्‍वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है, सामने अवसरों का संसार है। राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय समृद्धि को क्षेत्रीय सहयोग के प्रयासों में बाधक कुछ चुनिंदा देशों के हितों का बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि क्षेत्रीय व्‍यापार नाममात्र का है। सम्मेलन और इसके आयोजकों के बारे में रक्षामंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजन सरकार को प्रभावित कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय सिविल सोसाइटी ऐसे प्रयासों को प्रोत्‍साहित कर सकती है। सम्मेलन में आईडीएसए के महानिदेशक एम्‍बेसडर सुजन आर चिनॉय, वरिष्‍ठ सैनिक और रक्षा मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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