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मायावती का यह बरेली दौरा था या दहशत?

शहर में कर्फ्यू और मेयर, सांसद तक नज़रबंद !

मनोज शर्मा

बरेली में मायावती का दौरा-mayawati's visit in bareilly

बरेली। यह बरेली शहर है और जो आप देख रहे हैं यह किसी घटना के फलस्वरूप कोई घोषित कर्फ्यू नहीं है बल्कि महाशिवरात्रि के दिन मुख्यमंत्री मायावती इस समय बरेली दौरे पर हैं और यह स्थानीय प्रशासन की दहशतभरी सुरक्षा तैयारी है जिसमें आदमी तो क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता।
जनसामान्य में भारी आलोचनाओं और निंदा से घिरे विकास कार्यों की स्थलीय समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री मायावती बरेली में लगभग एक घंटा रहीं और इस दौरान बरेली की जनता, बीमार, दुकानदार, पत्रकार, सांसद, मेयर, समेत तमाम लोगों को उनके दौरे के कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ा। सबने एक दूसरे से पूछा कि यह क्या है, ये तो मायावती का सामंतवादी ठाट-बांट है जिसमें लोकतंत्र कहां है? मायावती के इस दौरे ने बरेली के जनसामान्य के होश उड़ा दिए। शहर में उनके गुजरने की हर जगह को बैरियर लगाकर सील कर दिया गया था। तमाम दैनिक मजदूरों, फल, ठेके, खोमचे की शामत थी और शहर में एक तरह से अघोषित कर्फ्यू था, बाजार बंद और सन्नाटा। हां, बैरियर्स पर लोगों का हजूम जरूर दिखाई दिया।

बरेली के सांसद प्रवीन सिंह ऐरन के यहां स्थानीय प्रशासन ने मायावती के दौरे की पूर्व संध्या से डेरा डाल दिया था, और दौरे के दिन उन्हें डीआईजी ऑफिस में लाकर बैठा दिया गया। बरेली की मेयर को भी इस दिन नज़रबंद कर दिया गया जबकि मेयर शहर का प्रथम नागरिक होता है और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित अनेक विशिष्ट नागरिकों की सबसे पहले अगवानी करता है। स्थानीय प्रशासन के लोगों ने मेयर के इस अधिकार की धज्जियां उड़ाईं और प्रोटोकॉल को पूरी तरह से ध्वस्त किया। प्रशासन की नाकेबंदी एवं नज़रबंदी के कारण मेयर सुप्रिया ऐरन, मुख्यमंत्री मायावती से शिष्टाचार भेंट करने और उन्हें शहर की समस्याओं से अवगत कराने के लिए बुर्का पहन कर मायावती से मिलने तहसील तक पहुंच गईं मगर उन्हें गिरफ्तार कर डीआईजी आफिस में ले जाकर बैठा दिया गया। मायावती के बरेली से कूच करने के बाद ही प्रवीन सिंह ऐरन और सुप्रिया ऐरन को जाने दिया गया।

स्थानीय प्रशासन के मेयर और सांसद से इस प्रकार के व्यवहार से नाराज कांग्रेसियों ने डीआईजी के ऑफिस पर धरना देकर नारेबाजी की। सांसद और मेयर ने मुख्यमंत्री के बरेली आगमन पर महाशिवरात्रि जैसे पावन पर्व पर अघोषित कर्फ्यू लगाए जाने, श्रद्धालुओं को मंदिर पहुंचकर दर्शन न कर पाने, कई जगहों पर पुलिस द्वारा भंडारा रोक दिये जाने की भर्त्सना की और कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है इस पर न्यायालय में आईएलपी दायर होनी चाहिए। मेयर ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें गुलदस्ता भेंट कर बरेली की समस्याओं से अवगत कराना चाहती थीं। इस संबंध में उन्होंने कल ही फैक्स से मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत भी करा दिया था।

आज का सबसे कड़वा अनुभव पत्रकारों का रहा जो जहां था वहां एक तरह से कैद होकर रह गया। अस्पताल, कोतवाली, तहसील, पुलिस लाइन सहित हर उस जगह जहां मुख्यमंत्री गईं जनता और पत्रकारों को उनसे दूर ही रखा गया। तैयार स्थलों का निरीक्षण कर, पब्लिक से दूरी बनाकर, कर्फ्यू जैसे हालातों में मात्र एक घंटे के लिए आकर करोड़ों रुपये खर्च कर दौरा करने का मुख्यमंत्री का क्या औचित्य था? इससे किसकी भलाई हो पायी? किसका दुःख दर्द उन्होंने सुना और किसके लिए विकास कार्यों की समीक्षा की? आदि सवाल लोगों के जहन में आक्रोश बन रहे हैं।

उधर लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मुख्यमंत्री के बरेली दौरे के दौरान वहां की महापौर सुप्रिया ऐरन को नजरबंद किये जाने की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने जारी बयान में कहा कि परंपरा एवं प्रोटोकाल यही है कि देश और प्रदेश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर आसीन अतिविशिष्ट व्यक्तियों के जिले में आगमन पर प्रथम नागरिक होने के नाते महापौर उनका स्वागत करें, किंतु एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को इस अधिकार से वंचित कर नजरबंद करना मायावती के लोकतंत्र विरोधी रवैये का परिचायक है। कांग्रेस पार्टी ने सवाल किया है कि आखिर आम आदमी या चुने हुए जनप्रतिनिधियों का सामना करने से मुख्यमंत्री मायावती क्यों डरती हैं? बरेली की महापौर सुप्रिया ऐरन बरेली की प्रथम नागरिक हैं, इसके नाते उनका अधिकार था कि वह मुख्यमंत्री का स्वागत करतीं एवं स्थानीय समस्याओं की जानकारी उन्हें देतीं, परंतु जब उन्होंने घर से बाहर निकलने की कोशिश की तो उन्हें पुलिस ने जबरिया नजरबंद कर दिया।

श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती का यह पूरी तरह तानाशाहीपूर्ण रवैया है। स्थापित मान्यताओं एवं परंपराओं को ध्वस्त करने का मायावती सरकार जो कुत्सित प्रयास कर रही है, उससे यही साबित होता है कि वह अपनी सरकार की जनविरोधी कारगुजारियों एवं बसपा नेताओं के कुकृत्यों के कारण बढ़ रहे जनाक्रोश से बुरी तरह भयभीत हो गई हैं और सरकारी अमले के जरिए आम लोगों से दूरी बनाकर जनता के कोप से बचने का प्रयास कर रही हैं।

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