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रियल एस्‍टेट कानून पहली मई से सख्‍़त

'सभी राज्य सरकारें अपने निर्धारित कानून बनाएं'

मंत्री एम वेंकैया नायडू का राज्यों को फरमान

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 13 February 2017 02:57:09 AM

m. venkaiah naidu

नई दिल्ली। रियल एस्‍टेट विनियमन एवं विकास अधिनियम 2016 के तहत जहां खरीदार इस वर्ष पहली मई से राहत पाने के हकदार हैं, वहीं केंद्र सरकार ने राज्‍यों को आगाह किया है कि अगर उन्होंने उससे पहले अपने कानून नहीं बनाए तो इस अधिनियम के तहत जरूरी आवश्‍यक संस्‍थागत तंत्रों के अभाव में इस क्षेत्र में खालीपन की गंभीर स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है। अभी तक केवल चार राज्‍यों एवं छह केंद्रशासित प्रदेशों ने अंतिम रियल एस्‍टेट नियमों एवं कुछ राज्‍यों ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों के उल्‍लंघन की शिकायतों को अधिसूचित किया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने 9 फरवरी 2017 को सभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों को लिखे पत्र में जोर देकर कहा था कि रियल एस्‍टेट अधिनियम सबसे महत्‍वपूर्ण सुधारों में एक है, जिससे सभी हितधारकों को लाभ पहुंचेगा, इसलिए राज्य इस मसले पर व्‍यक्तिगत ध्‍यान दें, जिससे कि इस अधिनियम का कार्यांवयन सही समय और सही प्रकार से हो सके, जिसके लिए इसे संसद में पारित किया गया था।
वेंकैया नायडू ने मुख्‍यमंत्रियों को यह कहते हुए आगाह किया है कि उपयुक्‍त सरकारों से अधिकतम 30 अप्रैल 2017 तक रियल एस्‍टेट नियामकीय प्राधिकरणों एवं अपीली ट्रिब्‍यूनलों की स्‍थापना करने की अपेक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि यह समय सीमा महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि यह अधिनियम पहली मई 2017 से पूरी तरह संचालन में आ जाएगा और नियमों एवं नियामकीय प्राधिकरण तथा अपीली ट्रिब्‍यूनल के अभाव में अधिनियम का कार्यांवयन उनके राज्‍य में प्रभावित होगा। उन्होंने मुख्‍यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा कि रियल एस्‍टेट अधिनियम 2016 संसद में पारित सबसे अधिक उपभोक्‍ता हितैषी कानूनों में से एक है और इसका समय पर कार्यांवयन केंद्र और राज्‍य सरकारों दोनों की ही जिम्‍मेदारी है, इससे न केवल उपभोक्‍ताओं को आवश्‍यक सुरक्षा उपलब्‍ध होगी, बल्कि यह रियल एस्‍टेट क्षेत्र को भी बढ़ावा देगा, जिससे सभी हितधारकों को लाभ पहुंचेगा।
आवास मंत्रालय ने पिछले महीने की 17 तारीख को सभी राज्‍यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ एक परामर्शदात्री कार्यशाला का आयोजन किया था, जिससे उनकी प्रगति की समीक्षा की जा सके तथा इस अधिनियम के तहत उनकी जिम्‍मेदारियों के बारे में बताया जा सके। इसके अतिरिक्‍त कार्यशाला का उद्देश्‍य इस वर्ष पहली मई से प्रभावी होने वाले इस अधिनियम से लाभ उठाने में उपभोक्‍ताओं को सक्षम बनाने के लिए समय सीमा को पूरा करना भी था, साथ ही यह सुनिश्चित करना था कि इनसे संबंधित नियम अधिनियम की मूल भावना से अ‍लग न हों। अधिनियम के 60 से अधिक खंडों को आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय ने पिछले वर्ष पहली मई को अधिसूचित किया था। इसमें खंड 84 भी शामिल था, जिसके तहत राज्‍यों को पिछले वर्ष 31 अक्‍टूबर तक रियल एस्‍टेट नियमों को अधिसूचित करने और अधिनियम के कार्यांवयन के लिए जमीन तैयार करने की आवश्‍यकता थी। जिन राज्‍यों ने अंतिम नियमों को अधिसूचित किया है, वे हैं-गुजरात, मध्‍य प्रदेश, केरल एवं उत्‍तर प्रदेश। मंत्रालय ने इनमें भी कुछ राज्‍यों में अधिनियम के कुछ प्रावधानों के उल्‍लंघन की कुछ शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं, जिसकी वजह से अधिनियम की भावना कमजोर पड़ गई है।
रियल एस्टेट मंत्रालय ने इन शिकायतों को राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समिति को निर्दिष्‍ट कर दिया है। वेंकैया नायडू ने इस पृष्‍ठभूमि में मुख्‍यमंत्रियों से इस अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया है, जैसा कि संसद में पारित किया गया है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत रियल एस्‍टेट संपत्ति के खरीदार एवं डेवलपर दोनों ही इस वर्ष मई से रियल एस्‍टेट नियामक अधिकारियों के पास जाकर अनुबंधात्‍मक बाध्‍यताओं एवं अधिनियम के अन्‍य प्रावधानों के उल्‍लंघन के मामले में एक-दूसरे के खिलाफ राहत की मांग कर सकते हैं तो इसके लिए यह जरूरी है किसामान्‍य नियमों और विक्रय नियमों के लिए समझौते हों, रियल एस्‍टेट प्राधिकरणों और अपीली ट्रिब्‍यूनलों समेत रियल एस्‍टेट के सभी नियम उपयुक्‍त तरीके से लागू हों और अपना कार्य आरंभ करने की स्थिति में हों।

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