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'हमारा बेहतर समय आने वाला है'

नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए घातक

दिल्‍ली में संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री का संबोधन

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Friday 3 January 2014 09:47:46 PM

pm manmohan singh

नई ‌‌दिल्‍ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज अपने संवाददाता सम्मेलन में आज बड़े ही उत्‍साहित और आत्‍मविश्‍वास से कहा कि सर्वप्रथम मैं यह कहना चाहता हूं कि हमें यकीन है कि हमारा बेहतर समय आने वाला है, वैश्विक आर्थिक वृद्धि का चक्र बेहतरी की ओर घूम रहा है, अपनी घरेलू कठिनाइयों को दूर करने के लिए हमने जो अनेक कदम उठाए थे, वे अब फलीभूत हो रहे हैं, भारत की वृद्धि दर फिर से रफ्तार पकड़ने वाली है। उन्‍होंने कहा कि बीते वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि हमने अपने लोकतंत्र की ताकत का प्रदर्शन किया, हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में हमारी जनता ने रिकॉर्ड संख्या में मतदान कर लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति विश्वास व्‍यक्‍त किया, इन चुनावों में मेरी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, लेकिन इनमें जिस बड़े पैमाने पर जनता की भागीदारी हुई, उसका हम स्वागत करते हैं और हम मंथन करेंगे कि यह नतीजे भविष्य के बारे में क्या कहते हैं और हम इनसे सबक सीखेंगे। जब राजनीति की बात आई तो उन्‍होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनका प्रधानमंत्री बनना देश के लिए घातक होगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी जरूर कहा कि हमारा लोकतांत्रिक संविधान और हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं आधुनिक भारत की बुनियाद हैं, हम सभी को, जो बेहतर भारत का निर्माण करना चाहते हैं, गरीबी और भ्रष्टाचार से छुटकारा पाना चाहते हैं, इन संस्थानों का अवश्य सम्मान करना होगा और उनके अनुरूप कार्य करना होगा, वे हमारे हाथों में वैध माध्यम हैं, जिनकी अपनी सीमाएं हैं, कोई भी एक व्यक्ति अथवा प्राधिकरण, लोकतांत्रिक शासन की प्रक्रियाओं का स्‍थान नहीं ले सकता। उन्‍होंने कहा कि पिछले एक दशक में हम कई उतार-चढ़ावों के गवाह बने हैं, अर्थव्यवस्थाओं में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और हमें सिर्फ अल्‍पकालिक समय पर ही आवश्‍यकता से अधिक ज़ोर नहीं देना चाहिए, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि आर्थिक मंदी के वर्षों को जोड़ने के बाद भी, पिछले 9 वर्षों में हमने वृद्धि की जो दर हासिल की है, वह किसी भी 9 वर्षों की अवधि में सर्वाधिक है और केवल तेज वृद्धि दर मुझे संतोष नहीं देती, उतनी ही महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने वृद्धि की प्रक्रिया को पहली बार सामाजिक रूप से ज्यादा समावेशी बनाया है।
मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार की उपलब्‍धियों के साथ कहा कि वर्ष 2004 में मैंने वायदा किया था कि मेरी सरकार ग्रामीण भारत के लिए नया दौर साबित होगी, मुझे यकीन है कि हमने उस वायदे को बहुत अच्छे से निभाया है, हमने किसानों के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने, किसानों के ऋण का दायरा बढ़ाने तथा बागवानी, ग्रामीण विकास और ग्रामीण बुनियादी ढांचे, विशेषकर सड़कों और बिजली में निवेश बढ़ाने सहित किसानों के अनुकूल नीतियों का अनुकरण किया है। उन्‍होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना ने खेतिहर मजदूर में भरोसा जगाया है और उनकी मोल-भाव करने की ताकत बढ़ाई है, बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं देश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों में नई आशा का संचार कर रही हैं। उन्‍होंने कहा कि इन प्रयासों की बदौलत कृषि क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पहले से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से बढ़ना सुनिश्चित हुआ है। भारत अनाज, चीनी, फल और सब्जियों, दूध और पोल्ट्री उत्पादों के दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में शुमार हो गया है, ग्रामीण मजदूरी पहले से कहीं ज्यादा तेजी से वास्तविक मायनों में बढ़ी है, गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाली आबादी का प्रतिशत काफी तेजी से कम हुआ है, गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या घटकर 13.8 करोड़ रह गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा हमारी अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता बढ़ाने और अच्छी नौकरियों तक बेहतर पहुंच बनाने की हमारी रणनीति का प्रमुख घटक रहा है, मैं स्वयं उदार छात्रवृत्तियों और शिक्षा में सार्वजनिक निवेश का लाभार्थी रहा हूं, इसलिए मैं शिक्षा में निवेश के विशेष महत्व को बखूबी समझ सकता हूं। उन्‍होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए बेहद गर्व हो रहा है कि हमने अपने देश के शैक्षिक परिदृश्य को बदल डाला है, सर्वशिक्षा अभियान, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्गों और अल्पसंख्यकों के लिए नई छात्रवृत्तियों के माध्यम से और बालिकाओं और युवतियों पर विशेष ध्यान देते हुए हमने शैक्षणिक अवसरों को व्यापक बनाया है, हमने नये विश्वविद्यालयों, नये विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों, नये औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की है तथा कौशल निर्माण और शिक्षा में प्रत्येक उद्यम को सक्षम बनाया है। उन्‍होंने कहा कि अपने विधायी प्रयास से भी मैं खुद को संतुष्ट महसूस कर रहा हूं, संसद में अभूतपूर्व व्‍यवधानों के बावजूद हमने अपनी जनता और लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाने वाले कई महत्वपूर्ण कानून पारित किए हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं आर्थिक क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करना चाहता, तीन बिंदुओं का मैं उल्लेख करना चाहता हूं। पहला, मुझे इस बात की चिंता है कि विनिर्माण क्षेत्र में रोज़गार के अवसर सृजित करने में हम उतने सफल नहीं रहे, जितना हमें होना चाहिए था, इस क्षेत्र में अपने प्रदर्शन कोसुधारने के लिए हम कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लघु और मझौले उद्यमों की सहायता के लिए हमें कहीं ज्यादा सशक्त प्रयास करने की जरूरत है, जो गुणवत्ता वाले रोज़गार के अवसरों का प्रमुख स्रोत हो सकते हैं, भविष्य के लिए हमारी विनिर्माण रणनीति की यह सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। दूसरा, हम मुद्रास्‍फीति पर नियंत्रण करने में भी उतना सफल नहीं हुए हैं, जितना हम चाहते थे, ऐसा इसलिए कि खाद्यान्‍नों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी समावेशीनीतियों ने कमजोर वर्गों के लोगों के हाथों में और अधिक धन दिया है, खाद्यान्‍नों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए हमें आपूर्ति बढ़ाने की आवश्‍यकता होती है, हमने जो खाद्य सुरक्षा कानून पारित किए हैं, वह आम आदमी को खाद्य सामग्री की बढ़ती कीमतों सेबचाने के लिए कुछ हद तक ढाल प्रदान करेगा। महंगाई को लेकर चिंता वाजिब है, लेकिन हमें यह भी मानना चाहिए कि मंहगाई की तुलना में अधिकतर लोगों की आय तेजी से बढ़ी है।
उन्‍होंने कहा कि तीसरा बिंदु है कि हम भ्रष्‍टाचार से मुकाबला करने के लक्ष्‍य के प्रति गंभीर रूप से प्रतिबद्ध हैं, सरकार के काम को पारदर्शी तथा जिम्‍मेदाराना बनाने के लिए अनेक ऐतिहासिक विधेयक लाए गये हैं, शासन व्‍यवस्‍था पहले से कहीं ज्‍यादा अधिक जवाबदेह हो गयी है, लोग सूचना के अधिकार कानून का इस्‍तेमाल कर रहे हैं, पहले ऐसा संभव नहीं था। टू-जी स्‍पेक्‍ट्रम आवंटन, कोल ब्‍लॉक आवंटन तथा जमीन से जुड़े मामलों जैसे बड़े भ्रष्टाचार के आरोपों से लोगों में चिंता है, स्‍पेक्‍ट्रम आवंटन के लिए वर्तमान प्रक्रिया को बदलने के बारे में हमने प्रमुख कदम उठाएं हैं, नीलामी के जरिए कोल ब्‍लॉक आवंटन के उपाय किए गये हैं, ताकि भविष्‍य में ऐसी समस्‍याएं खड़ी न हों, जब प्रशासनिक रूप से आवंटन किया गया तो पहले लिए गए कुछ निर्णयों पर सवाल उठे, इनकी जांच की जा रही है, दोषी व्‍यक्ति को न्‍याय की उचित प्रक्रिया के जरिए सज़ा दी जाएगी, जमीन के मामले राज्‍य सरकारों के दायरे में हैं और हमने लगातार राज्‍य सरकारों को सलाह दी है कि वे इन मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं बाहरी वातावरण के बारे में भी कुछ कहना चाहूंगा, हमारे आसपास की दुनिया और अधिक चुनौतीपूर्ण होती जा रही है, यह दुनिया के साथ हमारे जुड़ाव तथा उज्‍जवल भारत से अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय की आकांक्षाओंके कारण है, यह भारत की स्‍पष्‍ट नियति है, इसे हमें इसी रूप में स्‍वीकार करना चाहिए और इससे निपटने के बारे में सीखना चाहिए, भारत अपने लोगों को सुरक्षा देने तथा क्षेत्रीय सुरक्षा तथा स्‍थायित्‍व सुनिश्चित करने के लिए रक्षा तथा राष्‍ट्रीय सुरक्षा में निवेश जारी रखेगा, साथ-साथ हम अपने निकट पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाये रखना जारी रखेंगे, यह जानते हुए कि साझा इतिहास और साझे भूगोल के जरिए भारतीय उपमहाद्वीप की नियति जुड़ी है। उन्‍होंने कहा कि मुझे घरेलू चुनौतियों से निपटने में हमारी जनता की क्षमताओं में प्रगाढ़ विश्‍वास है, मैं आम चुनाव के बाद कुछ महीनों में नये प्रधानमंत्री को दायित्‍व सौंप दूंगा, मुझे विश्‍वास है कि नये प्रधानमंत्री यूपीए से चुने जाएंगे और हमारी पार्टी इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए आम चुनाव में अभियान चलाएगी, मुझे विश्‍वास है कि हमारे नेताओं की नई पीढ़ी इस महान राष्‍ट्र को दिशा दिखाएगी।

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