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बेमिसाल और बेनज़ीर हिमाचल!

जोगिंदर पाल

हिमाचल प्रदेश/himachal pradesh

हिमाचल प्रदेश।बेमिसाल और बेनज़ीर है, यह प्रदेश। विविधताओं भरी संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत से समृद्धशाली हिमाचल प्रदेश आज विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक सुरक्षित एवं शांत पर्यटन क्षेत्र बन गया है। हर क्षेत्र से, हर मौसम में यहां पर्यटकों की आवाजाही हिमाचल के 'फेवरेट डेस्टिनेशन' होने का प्रमाण है। देश में आपसी सौहार्द के लिए विख्यात देवभूमि कहलाने वाले हिमाचल में जहां हिंदू देवी-देवताओं के असंख्य मदिंर, बौद्ध मठ और गौपाएं हैं, वहीं कसौली, शिमला, धर्मशाला, डलहौजी में प्राचीन चर्च, तो पांवटा साहिब, रिवालसर और मणिकार्ण में ऐतिहासिक गुरूद्वारे पर्यटकों को आकर्षक वास्तु शैली दर्शन और आध्यात्मिक संतुष्टि के लिए अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
हिमाचल प्रदेश ने पारिस्थितकीय संतुलन को कायम रखते हुए पर्यटन क्षेत्र में तीव्र गति से प्रगति की है। प्रदेश में पर्यटन का अब सर्किट और डेस्टिनेशन के आधार पर तेजी से विकास किया जा रहा है। कोई भी सरकार आई हो उसके विकास मैप पर यहां का पर्यटन सबसे ऊपर रहा है। पर्यटकों के लिए सुविधाएं एवं अन्य आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए शिमला, कांगड़ा, चंबा, मंडी, बिलासपुर सर्किट और सिरमौर डेस्टिनेशन के लिए कई बड़े काम हुए हैं। पर्यटन विकास प्रक्रिया को तेज करने के लिए धार्मिक और जन-जातीय सर्किट और रोहडू-चांशल और धर्मशाला डेस्टिनेशन के लिए करोड़ों रूपए की योजनाएं बनाई गई हैं। यही नहीं, बौद्ध सर्किट के विकास पर भारी धनराशि खर्च की गई है। इसके तहत बौद्ध मठों-गोपाओं का रख रखाव और आस-पास भू-दृश्य बनाए गए हैं। पार्किंग, संपर्क मार्ग, शौचालय, पेयजल, आवास आध्यात्मिक केंद्र सहित कई आधुनिक सुविधाएं सैलानियों के लिए जुटाई गई हैं।
संस्कृति और धरोहरों को सहेजने की दिशा में हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन को भी बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से मिल रहा है। देश के प्रथम धरोहर गांव परागपुर-गरली और नग्गर में आधुनिक सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। इसके अलावा मशोबरा, मलाणा और बड़ोह भी पर्यटन के लिए विकसित किए जा रहे हैं। उत्तर भारत का एलोरा समझे जाने वाले मसरूर गांव में रॉक कट टैंपल अद्भूत कला का बेजोड़ नमूना है। मसरूर, कांगड़ा नगर से 40 किलोमीटर दूर है।
साहसिक पर्यटन हिमाचल का एक खास आकर्षण है। पर्यटन विभाग ने बीड़-बिलिंग कांगड़ा घाटी में लगातार चार प्री-वर्ल्ड कप पैरा ग्लाइडिंग और हिमालयन पैरा-ग्लाइडिंग फेस्टिवल सफलतापूर्वक आयोजित किया है। अन्य साहसिक आयोजनों में मोटर बाइक, साइकिल, रेड-दि-हिमालय कार रेस, रिवर राफटिंग, हैली स्कींग, पर्वतारोहण, ट्रैकिंग और कैपिंग आदि प्रकृति से रू-ब-रू होते प्रमुख आकर्षण हैं। पौंग जलाशय और गोविंदसागर झील में वाटर स्पोर्ट्स का प्रशिक्षण दिया ही जाता है। पर्यटन विभाग ने सैलानियों की सुविधा के लिए पठानकोट-मंडी, स्वारघाट से सारचू और परवाणू से काजा तक के नेशनल हाईवे और चंबा, डलहौजी, धर्मशाला, मैक्लोडगंज, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, मनाली, शिमला, चायल, सोलन, कसौली और नाहन जैसे पर्यटक स्थलों पर आधुनिक एवं आकर्षक साइन बोर्ड स्थापित किए हैं। विभाग ने आन लाइन होटल आरक्षण सेवा और टॉल फ्री सर्विस 1800 180 8077 पर्यटकों की सुविधा के‍ लिए दी हुई है।
हिमाचल पर्यटन विभाग ने प्रदेश और देश के प्रमुख नगरों में स्थापित पर्यटन सूचना केंद्रों को आधुनिक रूप प्रदान किया है। इसके तहत यहां आने वाले सैलानी प्रदेश की संस्कृति, विरासत, मेले एवं त्योहार, साहसिक पर्यटन गतिविधियों और धर्मस्थलों की जानकारी प्रदान करने वाली फिल्मों को देख सकेंगे। देश-विदेश में हिमाचल को बढ़ावा देने के लिए विभाग और पर्यटन निगम ट्रेड फेयरों में लगातार शिरकत कर राज्य की संस्कृति, रीति-रिवाज और खूबसूरत सैरगाहों से पर्यटकों को अवगत करवाते हैं। प्रदेश में पर्यटकों के ठहरने के लिए पर्यटन विकास निगम के 56 होटलों सहित 1768 निजी होटल पंजीकृत हैं।
यहां पहुंचने के लिए रेल, सड़क और वायुमार्ग से आया जा सकता है। पठानकोट हवाई अड्डा नागरिक उड़ानों के लिए खोल देने से कांगड़ा और चंबा में विशेषकर पर्यटन को बढ़ावा मिला है। धर्मशाला मे निर्वासित तिब्बतियों के धर्मगुरू दलाईलामा का निवास स्थान होने से पूरे साल हजारों की तादाद में विदेशी सैलानी और उनके अनुयायी यहां आते हैं। प्रदेश में गग्गल कांगड़ा, भुंतर (कुल्लू) और जुब्बड़हट्टी (शिमला) में तीन हवाई पट्टियां हैं। इसके अलावा पठानकोट-जोगिंद्रनगर और कालका-शिमला और नंगल-ऊना रेल लाइन हैं। पठानकोट से कांगड़ा और डलहौजी 90 किलोमीटर, चंडीगढ़ से शिमला 125 किलोमीटर, धर्मशाला 250 किलोमीटर, मनाली 320 किलोमीटर और मणिकर्ण 305 किलोमीटर है। अंबाला से नाहन 60 किलोमीटर और नाहन से रेणुका झील 45 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से केलांग 371 किलोमीटर और शिमला से ताबो की दूरी 460 किलोमीटर है। दिल्ली, जम्मू, अमृतसर, देहरादून आदि प्रमुख नगरों से हिमाचल के लिए नियमित बस सर्विस उपलब्ध हैं। कहीं बर्फ से लकदक चोटियां, कहीं शीतल जल धाराएं, तो कहीं गर्म पानी के चश्में। यह सब नजारे हिमाचल में एक साथ मिलते हैं। यहां के लोग अतिथि का आदर-सत्कार करने के लिए बहुत विख्यात हैं, तभी तो हिंसा मुक्त हिमाचल प्रदेश, पर्यटकों के लिए सुरक्षित एवं आरामदायक डेस्टिनेशन माना जाता है।

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