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रूखसाना कौशर को हिंदुस्तान का सैल्यूट !

गुल मोहम्मद

रूखसाना कौशर/rukhsana kausar

जम्मू। राजौरी के कलसियां गांव में लश्कर-ए-तैयबा के हथियार बंद पाकिस्तानी शीर्ष कमांडर को घर में घुसने पर उसी की एके 47 छीन कर उसे ढेर कर देने वाली बहादुर लड़की रूखसाना कौशर अब विशेष पुलिस अफसर बना दी गई है। इसी ओहदे के साथ पुलिस की यह वर्दी उसके भाई एजाज और चाचा वकालत हुसैन को भी पहना दी गई है। कश्मीर में आतंक का बहादुरी से मुकाबला करने वाली रूखसाना कौशर और उसके भाई का हिंदुस्तान कायल हो गया है।इनकी बहादुरी के चर्चे पाकिस्तान अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में हो रहे हैं। हिंदुस्तान रूखसाना कौशर की बहादुरी देख गर्व से फूले नहीं समा रहा है। हर कोई उसे सैल्यूट करता है। जम्मू कश्मीर में न जाने कितनी ऐसी बहादुर लड़कियां होंगी जिनकी भुजाएं आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने के लिए फड़फड़ा रही होंगी। इस हिंदुस्तानी लड़की ने एक ऐसी मिसाल पेश की है जिसकी चर्चा हमेशा होती रहेगी।
भारत का दिल कहे जाने वाले और दुनिया में अपनी प्राकृतिक खूबसूरती का डंका बजाने वाले कश्मीर को बंदूकों के बल पर और यहां के बासिंदों एवं उनके बच्चों को धर्म जाति और ज़ेहाद के नाम पर बहका कर हड़पने की कोशिश करने वाले पाकिस्तान के मुह पर तमाचा पड़ रहा है। कश्मीर के लोग अब इनका मुकाबला करने के लिए घर से निकल रहे हैं। यहां मां-बहने अब कोई परवाह नहीं कर रही हैं कि इनसे टक्कर लेने का अंजाम क्या होगा। यूं तो कश्मीर के और भी गांवों में ग्रामीणों और उनके बच्चों ने आतंकवादियों से डट कर लोहा लिया है लेकिन उनमें कई की बहादुरी के किस्से मीडिया तक नहीं पहुंच सके। रूखसाना कौशर का एक शीर्ष आतंकवादी को ढेर करना मीडिया में आया और अब उसके चर्चे सात समंदर पार तक छाए हुए हैं। पाकिस्तान के खूंखार संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने बौखलाकर दोबारा फिर रूखसाना कौशर के घर पर ग्रेनेड से हमला किया लेकिन अब अगर रूखसाना कौशर घर राख भी बना दिया जाए तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि रूखसाना वह बहादुरी का इतिहास लिख चुकी है और आज वह विशेष पुलिस अधिकारी है, जिसके दिल में अपने वतन और कश्मीर की शांति और हिफाज़त के लिए न जाने क्या-क्या अरमान होंगे।
रूखसाना कौशर से हर कोई मिलना चाहता है। राजौरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सफकत वट्टाली ने कहा कि यह लड़की रातों-रात बहादुरी की मिसाल बन गई। वाकया यह था कि 26 सितंबर की रात को चार आतंकवादियों ने रुखसाना के दरवाजे पर दस्तक दी। घरवालों ने दरवाजा नहीं खोला, लेकिन रुखसाना के चाचा ने गलती से दरवाजा खोल दिया। फिर क्या थालश्कर-ए-तैयबा के एके-47 से लैस दो शीर्ष आतंकवादी रूखसाना कौशर के घर में बदनियत से घुस गए और उन्होंने उसके मां-बाप को पीटते हुए पूरे परिवार को अपनी दहशत में ले लिया। रूखसाना कौशर और उसका भाई एज़ाज मुकाबले पर उतर आए और जीवन-मृत्यु के एक खतरनाक संघर्ष के साथ दोनो ने आतंकवादियों से मोर्चा ले लिया। रूखसाना कौशर ने बहादुरी से आतंकवादी सरगना की एके 47 पर हाथ डाल दिया और छीनकर उसी से उसे वहीं ढेर कर दिया। भाई ने भी दूसरा आतंकवादी घायल कर दिया। इसके बाद यह खबर जम्मू-कश्मीर में आग की तरह फैल गई और रुखसाना जम्मू-कश्मीर में 'शेरनी' के नाम से मशहूर हो गई। रुखसाना की बहादुरी से तमतमाए पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 30 अक्टूबर को उसके घर पर फिर हमला बोला लेकिन पुलिस की मदद से रुखसाना का परिवार बच गया।

आतंकवादियों के सरगना इस समय काफी खौफज़दा हैं क्योंकि उन्हें अभी तक तो पुलिस और सेना से खतरा था लेकिन अब उन्हें वहां भी खतरा पैदा हो गया है जहां वे अपने कुकर्मो को अंजाम देने के लिए जबरन पनाह मांगने और मनमर्जी की कोशिश करते हैं, ज़ेहाद के नाम पर लोगों को एकत्र करके उन्हें हिंदुस्तान के खिलाफ भड़काते हैं और यदि किसी घर में कोई लड़की या बहु उनकी नापाक नज़रों में चढ़ गई तो उसे भी अपना शिकार बनाते हैं। आतंकवादियों के लिए अब कश्मीर के गांव उतने सुरक्षित नहीं रहे हैं। यहां पर ग्राम सुरक्षा समितियां काफी चौकस हैं और इसी चौकसी में अपनी हिफाज़त समझकर लोग आतंकवादियों से मोर्चा लेने लगे हैं।

काफी समय से पाकिस्तानी आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में बड़ी वारदात की फिराक में हैं और उनकी भारत में घुसपैठ जारी है। गांव के लोग पुलिस का साथ दे रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि आतंकवादियों को पनाह देने का मतलब है कि भारतीय पुलिस और अर्ध सैनिक बलों से दुश्मनी मोल लेना इसलिए वे इकतरफा हैं और अब आतंकवादियों के खिलाफ उन्हीं के हथियार इस्तेमाल कर रहे हैं। रूखसाना कौशर की बहादुरी को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नागरिकों की जीत बताया है। उनका कहना है कि इससे गांव के लोगों में विश्वास और हिम्मत बढ़ेगी जिसे सरहद पार के आतंकवादियों ने दहशत फैलाकर कमज़ोर कर रखा था। इस घटना के बाद कई परिवारों ने जम्मू-कश्मीर सरकार से संपर्क किया है कि वह उनके लिए भी कुछ करे जिन्होंने आतंकवादियों से जमकर लोहा लिया है।
रूखसाना कौशर के बारे में खबर आ रही थी कि वह सुरक्षा कारणों से दिल्ली में रहेगी क्योंकि यह तो सच है कि रूखसाना कौशर आतंकवादियों के सरगनाओं के निशाने पर है और वे उसे निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन रूखसाना कौशर का कहना है कि वह कश्मीर में ही जाकर रहेगी और आतंकवादियों का मुकाबला करेगी। राजौरी के एसएसपी ने भी यही बात कही है कि रूखसाना कौशर पुलिस लाइन में विशेष प्रशिक्षण लेकर अपनी ड्यूटी पर चली जाएगी, उसके चेहरे पर किसी दहशत या चिंता की कोई लकीर नहीं है, बल्कि वह हौसले से भरी है और अपने उस कर्तव्य की ओर बढ़ने जा रही है जिससे शांति और सुरक्षा के रास्ते खुलते हैं।

नई दिल्ली में रूखसाना कौशर को मनिंदरजीत सिंह बिट्टा की अगुवाई वाले अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी फ्रंट के पुरस्कार वितरण समारोह में बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस समय रूखसाना कौशर के परिवार और उसके गांव को आतंकवादियों के हमले के खतरे को देखते हुए विशेष सर्तकता बरती जा रही है लेकिन रूखसाना कौशर का कहना है कि वह अपनी नई जिम्मेदारी के साथ आतंक का मुकाबला करेगी। यहां एक पक्ष काफी विचारणीय है कि क्या विशेष पुलिस अधिकारी के अस्थाई ओहदे से रूखसाना का काम चल जाएगा क्यों‍कि यह पुलिस की कोई पक्की नौकरी नहीं कहलाती है। यहां एक प्रश्न भी उठ रहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में बहादुरी में मिली इस आधी-अधूरी सौगात को क्या नाम दिया जाए? बात उठ रही है कि यदि सरकार रूखसाना को सच्चा ईनाम देना चाहती है तो वह इसे इसी ओहदे पर पुलिस की पक्की नौकरी दे।

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