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मृणाल पांडेय की रोचक 'हिमुली हीरामणि कथा'

राजपाल एंड संज़ दिल्ली का ग़ौरतलब उत्कृष्ट प्रकाशन

यह मैंने व्यंजनों की थाली परोसी है-मृणाल पांडेय

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 29 September 2017 10:19:43 AM

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नई दिल्ली। प्रसिद्ध कथाकार और पत्रकार मृणाल पांडेय ने मिरांडा हाऊस में अपनी सद्य प्रकाशित कथा कृति 'हिमुली हीरामणि कथा' के लोकार्पण एवं परिचर्चा के अवसर पर कहा है कि हिमुली हीरामणि कथा की रचना युवाओं के लिए हुई है, यदि इसे हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की परंपरा को आगे ले जाने वाली कृति समझा जाता है तो यह मेरे लेखन का सम्मान है। उन्होंने कहा कि यह कहानी यथार्थ की कहानी है, जिसकी भाषा दादी की कहानियों वाली है, यह नानी के घर और छठी के दूध के बीच की कथा है। मृणाल पांडेय ने परिहास भाव के लगातार विरल होते जाने को चिंताजनक बताते हुए कहा कि ऐसे दौर में मैने बोलियों के बाल्यावस्था के साहित्य को पढ़ा और उस विरल होते परिहास भाव को इस कृति में समेटा है।
जाने-माने आलोचक वैभव सिंह ने पुस्तक के लोकार्पण के बाद परिचर्चा प्रारंभ करते हुए कहा कि इस उपन्यास की संरचना में लोककथा को पुनः गढ़ा गया है, जिसमें लोककथा का मनोविज्ञान है तो वर्तमान राजनीति और विडंबनाओं की गूंज भी है। उन्होंने कहा इसमें आज के सत्य को लोककथाओं के माध्यम से सुनाया गया है, जिससे आस्थाओं की पुर्नस्‍थापना भी होती है, सुखांत की अनिवार्यता इस आस्था को जीवंत बनाए रखती है। डॉ वैभव का कहना था कि देश में आधुनिकता की ब्लैक मार्केटिंग की गई है और ग्रामीण एवं अनपढ़ लोगों से उनकी परंपरा को छीना गया है। उन्होंने कहा कि हिमुली की कहानी को जेंडर डिस्कोर्स की कहानी के रूप में देखा जा सकता है, वहीं कथा में राजसत्ता से मिले हुए नगर सेठों की ख़बर लेने का रोचक प्रसंग भी है।
कवि और कथाकार प्रियदर्शन ने परिचर्चा में कहा कि शब्द की सत्ता पिछले दशकों में टूटी है और तकनीक के दौर में संघर्षपूर्ण चुनौती से साहित्यिक लेखन हुआ है। उन्होंने कहा आधुनिकता के पार जाने के क्रम में हम पीछे जाते हैं तो ‌इस किताब को पढ़ते हुए यथार्थ की परिधि को तोड़ने वाले मनोहर श्याम जोशी, विजयदान देथा की याद आ जाती है। प्रियदर्शन ने कहा यह लोककथा नहीं है, बल्कि उसके विन्यास में वर्तमान दीखता है, जिसमें नीरा राडिया, अम्बानी, रतन टाटा सब दिख जाएंगे। 'हिमुली हीरामणि कथा' की प्रशंसा में उन्होंने कहा कि इसमें हिंदी का रस ठेठ भाव में मौजूद है, इसमें सत्ता के गलियारों के प्रपंच फूटता है और यह स्त्री के दुखों और प्रतिरोध की कथा भी बन जाती है।
मृणाल पांडेय का परिचर्चा के बाद छात्राओं से संवाद भी हुआ, जिसमें यथार्थवाद पर सार्थक और लंबी बहस हुई। बहस में मृणाल पांडेय ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा बहुधा लेखन खेल की तरह लगता है, जिसमें उत्सुकता और भावुकता भरी होती है। 'हिमुली हीरामणि कथा' के लिए उन्होंने कहा कि ‌यह मैंने व्यंजनों की थाली परोसी है, जो मन आए आप आस्वादन कर सकते हैं। लोकार्पण और परिचर्चा के आयोजन पर राजपाल एंड संज़ की अधिकारी मीरा जौहरी ने कहा कि इस कृति के प्रकाशन को वे अपने लिए गौरव की बात मानती हैं। मिरांडा हाउस के हिंदी विभाग की रजनी सिसोदिया ने प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। प्रणव जौहरी ने बताया कि मृणाल पांडेय को सुनने के लिए प्रतिभागियों में बड़ी उत्सुकता थी।

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