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पढ़िए कहानी संग्रह 'छबीला रंगबाज़ का शहर'

युवा कथाकार प्रवीण कुमार का यथार्थ पहला कहानी संग्रह

हिंदी के सुप्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश ने किया लोकार्पण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 20 September 2017 11:52:22 AM

praveen kumar's first story collection chhabeela rangabaaz ka shahar

नई दिल्ली। सुप्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश ने साहित्य अकादमी सभागार में युवा कथाकार प्रवीण कुमार के पहले कहानी संग्रह 'छबीला रंगबाज़ का शहर' का लोकार्पण करते हुए कहा कि आजकल कहानीकारों की उम्र कम होने लगी है, ऐसे में नए कहानीकार के लिए सबसे जरूरी शुभकामना यही होगी कि हम उनसे लंबी सक्रियता की अपेक्षा करें। हिंदी के प्रसिद्ध प्रकाशक राजपाल एंड सन्ज़ ने इस कहानी संग्रह का प्रकाशन किया है। कथाकार स्वयं प्रकाश ने कहा कि हमारे चरित्रहीन समय में बड़े चरित्रों का बनना बंद हो गया है, इसलिए परिवेश ने अब चरित्रों का स्थान ले लिया है। उन्होंने कहा कि 'छबीला रंगबाज का शहर' में ऐसे ही चरित्रहीन परिवेश की कहानियां हैं, जहां कथाकार वास्तविक पात्रों की काल्पनिक कहानियां दिखा रहा है।
लोकार्पण समारोह में युवा आलोचक संजीव कुमार ने 'छबीला रंगबाज़ का शहर' को यथार्थ के गढ़े जाने का पूरा कारोबार बताने वाला संग्रह बताया।उन्होंने कहा कि ख़बरों के निर्माण की कार्यशाला का हिस्सा हो जाने की इन कहानियों को पढ़ना विचलित करने वाला अनुभव है, जहां नए ढंग से कहने की वापसी हो रही है। संजीव कुमार ने कहा कि संयोग से वे इन कहानियों की रचना प्रक्रिया के भी साक्षी रहे हैं,'छबीला रंगबाज़ का शहर' का एक वाक्य 'हर जगह यही हो रहा है' वस्तुत: आगरा शहर ही नहीं, हमारे समूचे परिदृश्य की बात कहता है। पत्रकार और जनसत्ता के पूर्व सम्पादक ओम थानवी ने प्रवीण कुमार की कहानियों की रचना शैली में नाटकीय तत्वों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ये ऐसी कहानियां हैं, जहां चीज़ें मज़े-मज़े में बताई जा रही हैं, लेकिन कहने का ढंग अलहदा है। उन्होंने कहा कि कहानी का यह नया ढांचा है, जिसमें यथार्थ वास्तव में 'उघाड़ा' हो रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व सम कुलपति और प्रसिद्ध आलोचक और प्रोफेसर सुधीश पचौरी ने कहा कि प्रवीण कुमार की कहानियां विकास की आड़ में हो रही लूटखोरी को दिखाती हैं और विराट लुम्पेनाइजेशन का नया पाठ प्रस्तुत करती हैं। लुम्पेनाइजेशन को कहानी का विषय बनाकर बिल्कुल नए ढंग से लिखने के लिए प्रोफेसर पचौरी ने प्रवीण कुमार को बधाई दी उन्होंने कहा कि जिस प्रसन्न गद्य में वे लिखते हैं, वह सचमुच 'रीडरली टेक्स्ट' कहा जाएगा।उन्होंने कहा कि 'छबीला रंगबाज़ का शहर' में कथाकार विडंबनामूलकता को नष्ट करते चले हैं और यही बात उन्हें सिविल सोसायटी का पक्षधर बनाती है। कथाकार प्रवीण कुमार ने 'छबीला रंगबाज़ का शहर' संग्रह के कुछ अंश श्रोताओं को सुनाए। कार्यक्रम संयोजक डॉ उमा राग ने अतिथियों का परिचय दिया।
राजपाल एंड सन्ज़ की अधिकारी मीरा जौहरी ने ‌लोकार्पण कार्यक्रम में पधारे साहित्य जगत के महानुभावों और दूसरे प्रतिभागियों का आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि नई रचनाशीलता के लिए हिंदी का सबसे पुरानाप्रतिष्ठित प्रकाशन साहित्यकारों और रचना संसार के नवोदितों का सदैव स्वागत करता है। लोकार्पण आयोजन में विचारक प्रोफेसर अपूर्वानंद, कवि अनामिका, कथाकार प्रियदर्शन, पाखी संपादक प्रेम भारद्वाज, बनास जन के संपादक पल्लव, हिंदू कालेज के आचार्य डॉ रामेश्वर राय, डॉ रचना सिंह, डॉ मुन्ना कुमार पांडेय, डॉ अमितेश कुमार, डॉ नीरज कुमार, प्रणव जौहरी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं युवा पाठक उपस्थित थे।

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