स्वतंत्र आवाज़
word map

मंतोस्थान के साथ भी चल पड़े विवाद

इस्लाम में संगीत मना है या नहीं बहस छिड़ी

फिल्म में ‌जटिल मुद्दे और बोल्ड भूमिकाएं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 29 August 2017 05:53:31 AM

film mantothan

मुंबई। फिल्म निर्देशक राहत काज़मी की भारत में भारत-पाकिस्तान बंटवारे की हिंसक रात पर आधारित फिल्म मंतोस्थान के बाद, इस पर बहस चल गई है कि इस्लाम में संगीत की मनाही है या नहीं। इस फिल्म में जटिल मुद्दे पर बोल्ड भूमिकाएं हैं, इसके ट्रेलर में पहला दृश्य लोक संगीत और व्यंग्य को स्पर्श करता है। इसमें अभिनय बिदाता बेग और वीरेंद्र सक्सेना का है, निर्माता ज़ेबा साजिद और संजय अमर हैं एवं इसके प्रस्तुतकर्ता मुजीब उल हसन और जितेश कुमार हैं। फिल्म के संगीत निर्देशक आमिर अली, इमरान शाहिद ने इसमें पृष्ठभूमि संगीत दिया है। फिल्म के ट्रेलर लांचिंग पर इन सबके साथ और बाकी कलाकार, क्रू के सदस्य सिनेमाटोग्राफर श्रीशंकर, उमंग जैन, समीर पटेल और रविंदर रेड्डी भी उपस्थित थे।
मंतोस्थान इस साल की एक पौराणिक उर्दू लेखक सादात हसन मंटो की चार विवादास्पद लघु कथाओं पर आधारित फिल्म है। लोगों ने इसके ट्रेलर को पसंद किया है और कुछ आलोचकों ने भारत, कनाडा और अन्य देशों में इस फिल्म की समीक्षाओं की प्रशंसा की है। उनका कहना है कि ऐसी फिल्में ही दर्शकों में पसंद की जाती हैं। इसके एवर प्रेंटरर्स और युवा ऊर्जावान उद्यमी जैतेश कुमार एवं मुजीब उल हसन का ध्यान फिल्म की सामग्री उन्मुख सिनेमा को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
राहत काज़मी के अलावा फिल्म में रचनात्मक भूमिका में ज़ेबा साजिद और संजय अमर हैं, जो फिल्म के निर्माता हैं। तारिक खान प्रोडक्शंस और मीडिया मार्क इंटरनेशनल कार्पोरेशन ने साथ मिलकर फिल्म का सह-उत्पादन किया है। फिल्म में रब्बी सितारों बाबुसूई बंडुख़ाज़ की प्रसिद्धि के साथ बिदिता बैग, फुरक़ान मर्चेंट, रघुबीर यादव, डॉली अहलूवालिया, बृजेंद्र काला, वीरेंद्र सक्सेना, शोएब शाह और मानीनी मिश्रा प्रमुख किरदार में हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]