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जयंत चौधरी रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुए

चौधरी चरण सिंह की तीसरी पीढ़ी के उत्तराधिकारी

रालोद को और ज्यादा बल मिलेगा-अजीत सिंह

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Sunday 13 August 2017 04:16:24 AM

jayant chaudhary

नई दिल्ली। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने रालोद के राष्ट्रीय महासचिव और युवा नेता जयंत चौधरी को आज राष्ट्रीय लोकदल का उपाध्यक्ष मनोनीत किया है। जयंत चौधरी अपने दादा और पिता की तरह किसान राजनीति के प्रमुख नेता माने जाते हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश उनकी राजनीति का प्रमुख गढ़ माना जाता है। यद्दपि वे इस बार मथुरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत पाए, तथापि वे मथुरा और किसान राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हैं। जयंत चौधरी को रालोद का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत किए जाने के बाद उनकी राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता और बढ़ जाएगी। जयंत चौधरी लगातार विभिन्न मुद्दों पर अपने राजनीतिक कार्यक्रमों में पूरी तरह सक्रिय हैं। उनका मानना है कि राजनीति में संघर्ष और हार-जीत लगी रहती है।
दिल्ली में 27 दिसंबर 1978 को जन्में जयंत चौधरी भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे अभीतक राष्ट्रीय लोकदल यानी रालोद के राष्ट्रीय महासचिव थे और वे पंद्रहवीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश के मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रहे हैं। जयंत चौधरी लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स से स्नातक हैं और देश की युवा राजनीति में सक्रिय प्रमुख राजनेताओं में गिने जाते हैं। जयंत चौधरी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौत्र एवं उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी चौधरी अजीत सिंह के पुत्र हैं। चौधरी चरण सिंह परिवार की यह तीसरी राजनीतिक पीढ़ी है। चौधरी अजीत सिंह ने जयंत चौधरी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत करते हुए उनसे आशा प्रकट की है कि वे रालोद को चुस्तदुरुस्त बनाने एवं संगठन की मजबूती हेतु उनका भरपूर सहयोग करेंगे। चौधरी अजीत सिंह का कहना है कि इस कदम से संगठन को और ज्यादा बल मिलेगा।
जयंत चौधरी के राजनीतिक सफर पर नज़र डालें तो वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूपसे इसके बावजूद पूरेतौर पर सक्रिय हैं कि उनके दल को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पिछले दिनों उन्होंने लखनऊ में भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया, जिसमें रालोद कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस राजनीतिक माहौल में जयंत चौधरी की राजनीतिक लाइन आगे क्या होगी यह तो अभी नहीं कहा जा सकता, किंतु उन्हें अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को उसी प्रकार फिरसे वापस पाने के लिए न केवल कड़ा संघर्ष करना होगा, जिसमें उन्हें अपने सजातीय वर्ग को भी रालोद के पक्ष में एकजुट करना होगा। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि‌ जयंत चौधरी के राजनीतिक एजेंडे में उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि युवा पीढ़ी की राजनीतिक धारणाएं बदल रही हैं और जैसा माहौल बना हुआ है, उसमें उन्हें एक संतुलन स्‍थापित करना होगा, अर्थात उन्हें अपनी पुरानी पड़ चु‌की राजनीतिक रणनीतियों पर फिरसे विचार करना होगा।

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