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ईला रमेश भट्ट को इंदिरा गांधी शांति पुरस्‍कार

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Monday 18 February 2013 09:50:26 AM

pranab mukherjee addressing at the indira gandhi prize for peace

नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को राष्‍ट्रपति भवन में सेल्‍फ एंपलॉयड वुमेन एसोसिएशन (सेवा) से जुड़ी ईला रमेश भट्ट को वर्ष 2011 का इंदिरा गांधी शांति निरस्‍त्रीकरण एवं विकास पुरस्‍कार प्रदान किया। ईला भट्ट को बधाई देते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि उनका जीवन इंदिरा गांधी के दर्शन और विचारों का वा‍स्‍तविक प्रतिबिंब है। यह पुरस्‍कार समाज में महिलाओं की बेहतरी और मानवता की प्रगति के लिए इला भट्ट के अदम्‍य उत्‍साह को एक सम्‍मान है।
इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने राष्‍ट्र निर्माण में सभी नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्‍यकता पर बल देते हुए महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी की बात कही। समारोह में उपस्थित होने वाले गणमान्‍य लोगों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं सोनिया गांधी थीं।
इला रमेश भट्ट के भारत में गरीब ग्रामीण महिलाओं के उत्‍थान की दिशा में किए गए अनुकरणीय कार्यों ने जमीनी लोकतंत्र को संभव बनाने के मामले में एक मॉडल प्रस्‍तुत किया है। इंदिरा गांधी के नाम पर संस्‍थापित यह पुरस्‍कार उन मूल्‍यों को दर्शाता है, जिनके साथ वह हमारे राष्‍ट्र और इसके लोगों की सेवा के लिए तत्‍पर थीं। वह लोगों की सच्‍ची नेता थीं, जो गरीबों और वंचित लोगों का हमेशा समर्थन करती थीं और उन्‍होंने मानव समाज के उत्‍थान के लिए निरंतर शांति और सार्वभौमिक निरस्‍त्रीकरण को बढ़ावा दिया। प्रत्‍येक वर्ष हम इंदिरा गांधी के आदर्शों की दिशा में गंभीर, रचनात्‍मक रूप से प्रयास करने वाले व्‍यक्तियों अथवा संस्‍थाओं की पहचान करते हैं।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी का मानना था कि मनुष्‍य की नियति सामूहिक है, इसलिए यह उनका कर्तव्‍य है कि वे दुनिया में शांति को स्‍थापित करने और बनाए रखने के लिए संयुक्‍त रूप से कार्य करें। उन्‍होंने दृढ़ता के साथ देश में शांति का पूर्ण समर्थन किया, ताकि मानव कल्‍याण के लिए एक मजबूत विश्‍वास के साथ इसका पालन किया जा सके। शांति और विकास आंतरिक रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं, जब तक प्रगति समाज के सभी वर्गों तक नहीं पहुंचती, तब तक शांति न सिर्फ कमजोर होगी, बल्कि तनाव का कारण भी बनेगी और इसके परिणाम स्‍वरूप ख़तरनाक अभिव्‍यक्तियां भी सामने आएंगी।
इला भट्ट ने 1972 में सेल्‍फ इम्‍प्‍लाइड वुमेन एसोसिएशन (सेवा) का गठन किया था, जिसमें 1.3 मिलियन सदस्‍य हैं। उन्‍होंने 1974 में सेवा सहकारी बैंक की भी स्‍थापना की, जिसकी पहुंच 30 लाख महिलाओं तक है। ये आंकड़े इला भट्ट के समर्पित कार्य और महिलाओं को ग़रीबी से बाहर निकाल कर एक आत्‍मविश्‍वास और सम्‍मान का जीवन जीने के लिए किए गए उनके प्रयासों को व्‍यक्‍त करते हैं। यदि हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के उत्‍पादक प्रयासों में महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व कम रहता है, तो यह न केवल विवेकहीन है, बल्कि सामाजिक प्रगति के लिए भी हानिकारक है।
इला भट्ट के अथक प्रयासों के कारण सेवा महिलाओं के बीच स्‍वरोज़गार और आत्‍मनिर्भरता को प्रोत्‍साहन देने के मामले में एक प्रभावी साधन बन कर सामने आया। इन लक्ष्‍यों को साकार करने के लिए संगठन बचत और ऋण, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल, बच्‍चों की देखभाल, कानूनी सहायता, बीमा, क्षमता संवर्धन और संचार के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करने में मदद कर रहा है। यह एक बहुआयामी संस्‍था, एक समन्वित इकाई और महिलाओं का आंदोलन बन चुका है।
इला भट्ट ने देश की सीमाओं से परे भी अपने कार्य का विस्‍तार किया। वह सामाजिक एकजुटता के माध्‍यम से सामूहिक प्रगति के उद्देश्‍य के साथ कई अंतर्राष्‍ट्रीय पहलों में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्‍होंने महिलाओं की विश्‍व बैंकिंग, घर पर काम करने वाले श्रमिकों का अंतर्राष्‍ट्रीय संगठन, सड़क विक्रेताओं का अंतर्राष्‍ट्रीय संगठन और कामकाजी गरीब महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए अनौपचारिक रोजगार में महिलाएं: वैश्‍वीकरण और आयोजन नामक एक अंतर्राष्‍ट्रीय नेटवर्क की स्‍थापना और इनकी अध्‍यक्षता की।
भारत की कुल जनसंख्‍या में 48.5 प्रतिशत महिलाएं हैं। हालांकि 2001 से 2011 के दशक के दौरान समग्र लिंगानुपात 7 प्रतिशत तक बढ़ा है। 2011 की जनगणना में 1000 पुरुषों की तुलना में 940 महिलाओं का प्रतिशत निराशाजनक आंकड़े हैं और यह दर्शाता है कि सच्‍ची समानता को प्राप्‍त करने के मामले में अभी भी अंतर बाकी है। महिलाओं के बीच साक्षारता दर 2001 के 53.7 प्रतिशत से 2011 में 65.5 प्रतिशत तक बढ़ी है। हालांकि पुरुष साक्षारता की तुलना में अभी भी महिला साक्षरता 16.7 प्रतिशत तक कम है। सर्वेक्षणों से यह संकेत मिला है‍कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं की प्रति घंटा मजदूरी दरें भी पुरुष मजदूरी दरों की तुलना में 50 से 75 प्रतिशत तक भिन्‍नता रखती हैं।

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