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पत्रकारिता हो तो नारद जैसी-सारांश कनौजिया

कानपुर में संघ के प्रचार विभाग की महर्षि नारद जयंती

पत्रकारों के नैतिक पतन पर गहरी चिंता प्रकट

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 15 May 2017 05:45:12 AM

maharishi narada jayanti

कानपुर। राष्ट्रीय पाक्षिक पत्रिका ‘चाणक्य वार्ता’ के उपसंपादक सारांश कनौजिया ने जूनियर हाईस्कूल बिल्हौर कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार विभाग की ओर से नारद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूपमें सम्‍बोधित करते हुए कहा है कि देश को आज स्वतंत्रता के पूर्व होने वाली पत्रकारिता की जरूरत है। उन्होंने इस पत्रकारिता की तुलना महर्षि नारद की पत्रकारिता से की और कहा कि वैसी ‌ही पत्रकारिता की आज भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नारद को हम देवऋषि के रूपमें जानते हैं, लेकिन वे विश्व के सबसे पहले पत्रकार थे, उस समय प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, नवीन और अन्य मीडिया नहीं था, मगर देवऋर्षि नारद तबके खोजी पत्रकार थे और सदैव समाजहित में नए-नए समाचारों की खोज में रहते थे, आवश्यकता पड़ने पर आवश्यकतानुसार भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा आदि से प्रश्न भी पूछते थे। कार्यक्रम में आज की पत्रकारिता के उद्देश्य और पत्रकारों के नैतिक पतन पर गहरी चिंता प्रकट हुई।
सारांश कनौजिया ने कहा कि समाचार संकलन करके देवऋर्षि नारद उनका विश्लेषण भी करते थे और निष्कर्ष को सुनने वालों तक पहुंचाते थे। उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता से पूर्व की पत्रकारिता भी कुछ इसी प्रकार की थी। उन्होंने कहा कि कोलकाता से 30 मई 1826 को निकले भारत के पहले हिंदी साप्ताहिक समाचारपत्र उदंत मार्तंड सहित लगभग सभी समाचार पत्र-पत्रिकाएं देश की स्वतंत्रता का पुनीत उद्देश्य लेकर प्रकाशित की जाती थीं, जिनमें लिखे जाने वाले समाचार एवं लेख जनहित को ध्यान में रखकर तय किए जाते थे, उनका उद्देश्य आय का साधन कभी नहीं था, यद्यपि इस कारण स्वतंत्रता पूर्व की अधिकांश पत्र-पत्रिकाएं पांच वर्ष से भी कम समय में बंद हो गईं।
सारांश कनौजिया ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के बाद जो वर्ग पत्रकारिता या साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय था, खेद है कि वह भारत पर चीन आक्रमण के समय हमारे ही देश की ग़लतियां निकालने में तथा चीन को सही साबित करने में लग गया था, इसीलिए नारद की तरह जनहित में पत्रकारिता करने वालों की आवश्यकता का अनुभव किया गया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के गुण नारद की तरह हों, इसलिए संघ ने नारद जयंती को आद्य पत्रकार नारद जयंती के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के विभाजन से कहीं आगे निकल गई है, अब सोशल मीडिया का दौर है, सोशल मीडिया के माध्यम से आने वाले अधिकांश समाचार गलत होते हैं, हम अपनी विचारधारा से जुड़े सामचारों को बिना पुष्टि किए ही आगे प्रसारित कर देते हैं, जबकि नारद जब तक किसी समाचार के पीछे का पूरा सत्य नहीं जान लेते थे, तब तक वे वह समाचार प्रसारित नहीं करते थे।
सारांश कनौजिया ने कहा कि यदि हमने पत्रकारिता में नारद को आदर्श मान लिया और उनके जैसी पत्रकारिता की तो वह देशहित, जनहित में होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा करते समय हमें थोड़े कम पैसे मिल सकते हैं, हमारे सामने समस्याएं अधिक आ सकती हैं, लेकिन जबभी हमारे सामने कठिनाई आए हम स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारियों के त्याग और बलिदान को ध्यान कर लें, हमें हर समस्या छोटी लगने लगेगी। कार्यक्रम में पत्रकार राहुल त्रिपाठी, अरुण पांडेय, मार्शल, अनुराग शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार अनिल पांडे आदि का शॉल, डायरी और पेन देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूपसे स्वयं सेवक संघ जिला प्रचार प्रमुख अमित मिश्रा, जिला व्यवस्था प्रमुख अखिलेश अग्निहोत्री, नगरकार्यवाह मोनू शर्मा, मुख्यशिक्षक राम अवतार और स्वयंसेवक उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर संघचालक श्याम दुलारे अवस्थी ने की।

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