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नाईक ने की 'द गवर्नर्स गाइड' की गीता से तुलना

मुख्यमंत्री, विस अध्यक्ष व मुख्य न्यायाधीश ने की सराहना

राज्यपाल के विधि परामर्शी की पुस्तक का विमोचन

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Sunday 9 April 2017 04:47:14 AM

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के विधि परामर्शी एसएस उपाध्याय की पुस्तक ‘द गवर्नर्स गाइड’ का राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले, विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति डॉ गुरदीप सिंह ने राजभवन के गांधी सभागार में संयुक्त रूपसे लोकार्पण किया। विधि परामर्शी एसएस उपाध्याय न्यायिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं। ‘द गवर्नर्स गाइड’ पुस्तक अंग्रेजी भाषा में है, जिसकी राज्यपाल ने सराहना करते हुए कहा कि यह राज्यपाल के दायित्वों के निर्वहन में यह पुस्तक अत्यधिक लाभदायी सिद्ध होगी। उन्होंने अपेक्षा की कि पुस्तक ‘द गवर्नर्स गाइड’ का हिंदी में भी अनुवाद होना चाहिए, ताकि हिंदी भाषी व्यक्ति भी इसका उपयोग कर सकें।
राज्यपाल राम नाईक ने ‘द गवर्नर्स गाइड’ की तुलना गीता से की। राज्यपाल ने ‘द गवर्नर्स गाइड’ पुस्तक का महत्व प्रकट करते हुए उसमें चार चांद लगा दिए। उन्होंने कहा कि राजभवन और अनेक संवैधानिक, राजनैतिक एवं शैक्षिक क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए यह पुस्तक गीता की तरह है। राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि जब उनकी नियुक्ति उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद पर हुई थी तो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें संविधान की प्रति देते हुए कहा था कि अब संविधान ही आपका मार्गदर्शक है और इसी के अनुसार आपको काम करना होगा। उन्होंने कहा कि राजभवन में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए उन्हें संविधान के अनुसार कई निर्णय करने पडे़ हैं, चाहे वह विधानपरिषद में नाम निर्देशन, लोकायुक्त की नियुक्ति, मंत्री पद पर बने रहने का औचित्य या हाल ही में नेता विरोधी दल के पद पर नियुक्ति जैसे प्रकरण हों। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णयों के कारण आम जनता का राज्यपाल जैसी संस्था पर विश्वास बढ़ा है, ऐसे मामलों में राजभवन में निर्णय लेने में विधि परामर्शी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पुस्तक ‘द गवर्नर्स गाइड’ के माध्यम से जनता को संवैधानिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली के बारे में नजदीक से जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों के विधि परामर्शी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, कानून का सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं देश, काल और परिस्थिति के अनुसार उसकी व्यावहारिकता कितनी अनुकूल होनी चाहिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि परामर्शदाता की छोटी सी भूल अर्थ का अनर्थ कर देती है, जो विवाद का विषय भी बन सकती या बन जाती है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें संकीर्णताओं से उभरना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, संवैधानिक अभिभावक के रूप में कोई भी राज्यपाल अपने दायित्वों का निर्वहन करता है तो यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत होता है।
योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल राम नाईक की सराहना करते हुए कहा कि जिस प्रखरता से उन्होंने अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया है, उससे आम आदमी के बीच उनकी छवि जनता के राज्यपाल की बनी है। उन्होंने कहा कि जनसामान्य के बीच उन्होंने बेहतर संवाद स्थापित किया है, प्रदेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार यदि अपने मार्ग से भटकी है तो उन्होंने अपनी बेबाक टिप्पणी से उसे नियंत्रित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि कुलाधिपति के रूप में भी राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले ने कहा कि एसएस उपाध्याय की पुस्तक केवल राज्यपालों के लिए नहीं है, बल्कि न्यायाधीशों के भी काम आएगी। उन्होंने कहा कि किताब पूरी प्रमाणिकता से लिखी गई है, जिसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों के संदर्भ दिए गए हैं। न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले ने एसएस उपाध्याय की प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्यपाल के विधि परामर्शी न्यायिक सेवा के अधिकारी हैं, वे विधि के अच्छे ज्ञाता होने के साथ-साथ अच्छे लेखक भी हैं।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि ज्ञान ग्रंथों में लिखा है कि प्रकृति ने अपने नियम बनाए हैं, नियम से जीवन आनंद से भर जाता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश की परंपरा के अनुसार उसका संविधान बनता है। उन्होंने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि सुसंगत पुस्तक लिखना वास्तव में मुश्किल काम होता है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह पुस्तक समाज को दिशा देने वाली पुस्तक है, जिससे लोकतंत्र को ताकत मिलेगी। उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक अनुभव और शोध का समागम है। उन्होंने कहा कि विधि सम्मत व्यवहार न करने से विसंगति पैदा होती है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने भी विधि के अनुसार अपनी बात को रखकर लोकतंत्र मजबूत किया है। पुस्तक के लेखक एसएस उपाध्याय ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन के कार्यक्रम अधिशासी आत्मप्रकाश मिश्रा ने किया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति एपी शाही, न्यायाधीश, न्यायिक सेवा के अधिकारी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित थे।

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