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जल को जीवन की तरह बचाएं-महंत देव्या

मनकामेश्वर मठ मंदिर ने आईटी पर लगाया प्याऊ

'जल संरक्षण सरकार का नहीं हमारा भी फर्ज़'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 3 April 2017 06:15:11 PM

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लखनऊ। ग्रीष्मकाल प्रारंभ हो गया है और सूर्य के बढ़ते तेज के सामने जल ही जीवन है, इस शाश्वत सच्चाई का सभी तरफ और सभी पर साक्षात प्रभाव दिखाई पड़ने लगा है, पेयजल की ठंडी महंगी बोतलों की बाज़ार में मांग और बिक्री बढ़ गई है। लखनऊ की बात करें तो राहगीरों के मार्ग, भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्‍थानों, नुक्कड़ों पर ठंडे पेयजल के प्याऊ की खोज होने लगी है। मनकामेश्वर मठ मंदिर लखनऊ की महंत देव्या गिरि ने इसकी पहल करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय मार्ग पर आईटी चौराहे पर मठ मंदिर की ओर से निःशुल्क प्याऊ का शुभारंभ किया। महंत देव्या गिरि ने प्याऊ पर पहुंचे लोगों को शुद्ध ठंडा पेयजल पिलाया और अपने हाथों से रिक्शा ठेलेवालों से लेकर राहगीरों को पेयजल के साथ गुड़, बिस्कुट, मिसरी, लड्डू वितरित किए। महंत देव्या गिरि ने इस अवसर पर सभी की पेयजल की आवश्यकता पूरी करने के लिए अनिवार्यरूप से पानी के सदुपयोग और उसके संरक्षण का आह्वान किया।
मनकामेश्वर मंदिर लखनऊ की महंत देव्या गिरि ऐसे तमाम अवसरों पर बढ़चढ़कर सामाजिक आध्यात्‍मिक और धमार्थ कार्यों की पहल के लिए विख्यात हैं। उन्होंने अवध की जीवनरेखा गोमती नदी के जल की स्वच्छता के लिए अनेक प्रयासों में अनुकरणीय भागीदारी की है, उन्होंने गोमती नदी की भव्य आरती से सबको जोड़कर उसके निर्मल प्रवाह के प्रति लखनऊवासियों की जिम्मेदारियों को जगाने का काम किया है। बहरहाल महंत देव्या गिरि ने बताया कि यह निःशुल्क प्याऊ पूरी गर्मी तक लगा रहेगा। उन्होंने आह्वान किया कि लोग जल का संरक्षण करें, अपनी क्षमता और श्रद्धानुसार सार्वजनिक स्‍थानों पर और राहगीरों की राह में प्याऊ लगाएं। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकाल की विभीषिका को देखते हुए पानी की आस से घूमते पशु-पक्षियों के लिए पेयजल उपलब्‍ध कराने के भरपूर यत्न करें। उन्होंने लखनऊवासियों से अपील की कि वे गौरैया जैसे संकटग्रस्त घरेलू पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए भी छतों जैसे खुलेऔर उनके लिए सुरक्षित स्‍थानों पर गर्मीभर थोड़ा पानी रखें और बदलें।
महंत देव्या गिरि ने इस अवसर पर जल के संरक्षण और जल की एक-एक बूंद के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जल को बर्बाद न होने दें और दूसरों को भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित करें। उनका कहना है कि यदि हमने शुरू से ही गंगा और नगरों से गुजरने वाली नदियों को साफ रखते और उनके जल संरक्षण पर ध्यान दिया होता तो आज पेयजल बोतलों में दूध के भाव नहीं बिकता। महंत देव्या गिरि ने कहा कि सबको पेयजल देना अकेले सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, इसमें जनभागीदारी भी अनिवार्य है, जल का सदुपयोग हम सभी का फर्ज है, यह अमृत है, इसे समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनकामेश्वर मठ मंदिर अपने सामाजिक दायित्वों निभाने में अपने को धन्य समझता है, सभी ऐसा करें और पृथ्वी पर मानवजाति, वन्यप्राणियों, पर्यावरण और स्वच्छता के पुण्य कार्य के भागीदार बनें। प्याऊ के शुभारंभ के अवसर पर डब्बू भैया, गोलू, विक्की, राजकुमार समेत अनेक सेवादार मौजूद थे। 

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