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सुरेश कलमाड़ी व चौटाला फिर हुए पैदल

सरकार ने की डीम्ड आईओए की मान्यता निलंबित

आईओए वैसे भी कुछ बदनाम लोगों से घिरा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 31 December 2016 04:41:22 AM

suresh kalmadi and abhay chautala

नई दिल्ली। सरकार ने भारतीय ओलंपिक संघ को दी गई मान्‍यता निलंबित कर दी है, यह मान्‍यता तब तक निलंबित रहेगी, जबतक आईओए आजीवन अध्‍यक्ष के रूप में सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला की नियुक्ति का निर्णय नहीं बदला जाता है। आईओए की मान्यता के निलंबन के बाद अब राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के रूप में आईओए के विशेषाधिकार समाप्‍त हो गए हैं। इसी के सा‌थ आईओए को मिलती आ रही सभी प्रकार की सरकारी सहायता, वित्तीय या अन्य सहायता भी बंद कर दी जाएगी। गौरतलब है कि इन दोनों पर गंभीर कदाचार, भ्रष्टाचार, अनियमिताओं और आईओए में गलत लोगों को संरक्षण देने और संगठन की आड़ में कुपात्रों को अवसर देने के गंभीर आरोप हैं।
सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला की आईओए आजीवन अध्‍यक्ष के रूप में नियुक्ति की जानकारी मिलते ही भारत सरकार में प्रतिक्रिया हुई और राजनीतिक दलों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया। आईओए की आमसभा की बैठक में 27 दिसंबर को सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला को आजीवन अध्‍यक्ष नियुक्‍त करने से संबंधित एक प्रस्ताव पारित होने के बाद सरकार ने 28 दिसंबर को आईओए को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया। आईओए को इस कारण बताओ नोटिस का जवाब देना आवश्‍यक था। अपनी प्रतिक्रिया में आईओए ने कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 15 जनवरी 2017 तक के अतिरिक्‍त समय की मांग करते हुए कहा कि आईओए के अध्‍यक्ष देश से बाहर हैं और इस मामले में उनसे परामर्श करने की जरूरत है।
भारत सरकार आईओए की ओर से मिली प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं हुई है, क्योंकि उसने विशेषकर सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला की गैरपात्रता के संबंध में कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। सरकार का मानना है कि आईओए का जवाब कुछ और नहीं, बल्कि अतिरिक्त समय प्राप्त करने की एक चाल है। यह मूल खेल संस्था आईओए की ओर से सुशासन के मानकों का एक गंभीर उल्लंघन है, अतः इस दिशा में तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करने की जरूरत है, क्योंकि यह राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और जनता की भावनाओं का विषय है। इसके बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए आईओए की मान्यता ही रद्द कर दी, जिसके फलस्वरूप यह संगठन भी नोटबंदी की तरह केवल काग़जी बनकर रह गया है, इसका अस्तित्व न केवल धूमिल हो गया है, अपितु इससे जुड़े अन्य पदाधिकारी भी खेल गतिविधियों से अलग हो गए हैं। यह भी गौरतलब है कि आईओए के कुछ जुगाड़ू कृपापात्र लोग इनकी पैरवी में आगे आए थे, उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी है।

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