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पासपोर्ट बनवाना हुआ और भी आसान

विदेश मंत्रालय के नियम हुए उदार और सरल

जन्मतिथि के लिए दे सकते हैं कई विकल्प

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 December 2016 03:50:34 AM

passport

नई दिल्ली। भारत सरकार में विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट बनवाने के नियमों को और उदार एवं आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले भारतीय नागरिकों को सुविधा होगी जैसे-पासपोर्ट नियमावली 1980 के मौजूदा वैधानिक प्रावधानों के अनुसार 26/01/1989 को या उसके बाद जन्म लेने वाले आवेदकों को पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्मतिथि के प्रमाण के तौर पर अपना जन्म प्रमाणपत्र को पेश करना अनिवार्य होता था, लेकिन अब आवेदक जन्मतिथि प्रमाण के तौर कोई दस्तावेज दिखा सकते हैं, जिनका पूरा ब्योरा इस प्रकार है-
जन्म एवं मृत्य के रजिस्ट्रार या नगर निगम या भारत में जन्म लेने वाले बच्चों को पंजीकृत करने के लिए जन्म एवं मृत्यु अधिनियम 1969 के अंतर्गत अन्य किसी निर्धारित प्राधिकारी द्वारा जारी जन्मतिथि प्रमाणपत्र, लास्ट अटेंडेड स्कूल, मान्यता प्राप्त शैक्षणिक बोर्ड द्वारा जारी ट्रांसफर, स्कूल लीविंग, 10वीं का सर्टिफिकेट जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो, आयकर विभाग का जारी पैन कार्ड जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो, आधार कार्ड या ई-आधार कार्ड जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो, आवेदक के सर्विस रिकॉर्ड की प्रति (केवल सरकारी कर्मियों के संबंध में) या पे पेंशन ऑर्डर (केवल सेवानिवृत कर्मियों के संबंध में) आवेदक के संबंधित मंत्रालय या विभाग के प्रशासन में ऑफिसर या इनचार्ज से अटेस्टेड या सर्टिफाइड, जिसमें जन्मतिथि लिखी हो, संबंधित राज्य सरकार का ड्राइविंग लाइसेंस, जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो, भारत निर्वाचन आयोग का चुनाव फोटो पहचानपत्र जिस पर उम्मीदवार की जन्मतिथि लिखी हो, पब्लिक लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन या कंपनियों के पॉलिसी बॉन्ड जिस पर इंश्योरेंस पॉलिसी के होल्डर की जन्मतिथि लिखी हो, पासपोर्ट बनवाने में मान्य होंगे।
पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया में सिंगल पेरेंट और गोद लिए बच्चों से जुड़ी तमाम समस्याओं को निपटाने के लिए विदेश मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों की तीन सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी समिति बनाई गई थी। अंतर-मंत्रालयी समिति की रिपोर्ट को विदेश मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है। समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिसमें ऑनलाइन पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब माता या पिता या फिर कानूनी अभिभावक के नाम में से किसी एक का नाम देना होगा। इससे सिंगल पेरेंट्स के बच्चों को पासपोर्ट जारी करने में आसानी होगी। पासपोर्ट नियमावली 1980 के 15 बिंदुओं को कम करके अब 9 कर दिया गया है। बिंदुओं ए, सी, डी, ई, जे और के को हटा दिया गया है और कुछ बिंदु किसी दूसरे में मिला दिए गए हैं। आवेदकों द्वारा विभिन्न बिंदुओं पर दी जाने वाली जानकारी सादे कागज पर एक स्वघोषणा के रूप में होगी। किसी अटेस्टेशनय, शपथ, नोटरी, कार्यकारी मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की आवश्यकता नहीं होगी। शादीशुदा आवेदकों को एनेक्चर के या विवाह प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा।
पासपोर्ट प्रक्रिया में तलाक या अलग होने की स्थिति में पासपोर्ट आवेदन पत्र में अब पति या पत्नी का नाम देना जरूरी नहीं होगा, इसके लिए तलाकनामे की जरूरत भी नहीं होगी। अनाथालय में रहने वाले बच्चे, जिनके पास जन्मतिथि या 10वीं कक्षा का प्रमाणपत्र नहीं हैं, वह अनाथालय या चाइल्ड केयर होम के प्रमुख की ओर से उनके आधिकारिक लेटर हेड पर आवेदन की जन्मतिथि की पुष्टि करने वाला एक शपथ पत्र जमा कर सकते हैं। बच्चे को गोद लेने के स्थिति में इसका प्रमाणपत्र देना जरूरी नहीं होगा। सादे कागज पर भी गोद लेने की पुष्टि करने वाला शपथ पत्र दिया जा सकता है। साधु-सन्यासी पासपोर्ट आवेदन पत्र में अपने धर्मगुरु का नाम अपने माता-पिता के नाम की जगह दे सकते हैं।

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