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बेटियां अपना पढ़ाई का धर्म निभाएं-राज्यपाल

ग़रीब मेधावी छात्राओं को छात्रवृत्तियां वितरित की गईं

मनीषा मंदिर का स्थापना दिवस एवं मनीषा जयंती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 25 September 2016 12:49:54 AM

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लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने मनीषा मंदिर के स्थापना दिवस एवं मनीषा जयंती पर अल्प आय वर्ग की 28 मेधावी छात्राओं को छात्रवृत्ति देकर सम्मानित किया। ये छात्राएं 12वीं कक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने के बाद लखनऊ के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में बीटेक, बीफार्मा, स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। राज्यपाल ने छात्राओं को छात्रवृत्ति से सम्मानित करने के बाद विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बेटियां पढ़ाई का अपना धर्म निभाएं। उन्होंने कहा कि समाज में यह धारणा गलत है कि लड़कियां बोझ हैं, बल्कि कन्या भ्रूण हत्या, दहेज उत्पीड़न व महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध सभ्य समाज के लिए उचित नहीं हैं।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे। राम नाईक ने डॉ सरोजनी अग्रवाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि माता-पिता के लिये संतान का खोना सबसे बड़ा दुःख होता है, उन्होंने व्यक्तिगत दुःख भुलाने तथा समाज में दूसरों को सुखी देखने में अपना जीवन लगा दिया, वे बिना अपेक्षा के दूसरों की सेवा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि दूसरों की सेवा करने से जो समाधान और संतुष्टि मिलती है, वह अतुल्य होती है, यही वजह है कि डॉ सरोजनी अग्रवाल को पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित अनेक महान लोगों से सम्मान प्राप्त हुआ है।
राज्यपाल ने लोगों का आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति का प्रयोग समाज के हित के लिए करें, चरैवेति! चरैवेति!! का संदेश ग्रहण करके आगे बढ़ते रहें। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति बैठ जाता है उसका भाग्य भी बैठ जाता है और जो चलता रहता है उसका भाग्य भी निरंतर आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच वसुधैव कुटुम्बकम की होनी चाहिए। इस अवसर पर मनीषा मंदिर की संस्थापक डॉ सरोजनी अग्रवाल, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी गोपबंधु पटनायक आदि ने भी अपने विचार रखे। राज्यपाल ने कार्यक्रम में मनीषा स्मारिका का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में मनीषा मंदिर के पदाधिकारी, विशिष्ट एवं सामान्यजन उपस्थित थे।

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