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'प्रौद्योगिकी अपना रहे हैं आतंकवादी'

खुफिया ब्यूरो के निदेशक ने सार्क को चेताया

आतंकी संस्थाओं पर कड़े प्रतिबंध लागू करें!

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 24 September 2016 03:05:03 AM

second meeting of high level group

नई दिल्ली। खुफिया ब्यूरो के निदेशक दिनेश्‍वर शर्मा ने सार्क आतंकवाद रोधी कार्य प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए प्रख्यात विशेषज्ञों के उच्चस्तरीय समूह की दूसरी बैठक में सार्क देशों से कहा है कि वे आतंकवादी संस्थाओं और आतंकवादियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य प्रतिबंधों को सख्‍ती से लागू करें। उन्होंने आठ सदस्य देशों को आतंकवाद के दमन और अतिरिक्‍त प्रोटोकॉल तथा आपराधिक मामलों में आपसी सहायता के बारे में समझौतों सहित सार्क समूह के अधिनियमित विभिन्‍न समझौतों की अभिपुष्टि और उन्‍हें सक्षम बनाने के लिए भी कहा है। उन्‍होंने कहा कि इस बैठक का आयोजन ऐसे समय में किया गया है, जब सभी देशवासी जम्‍मू-कश्‍मीर के उरी क्षेत्र में सैनिक ‌शिविर पर आतंकवादी हमले के कारण शहीद हुए 18 बहादुर जवानों की शहादत से बहुत उत्‍तेजित हैं।
दिनेश्‍वर शर्मा ने कहा कि उरी की आतंकवादी वारदात पिछले कुछ दशकों के दौरान हुई ऐसी ही नृशंस घटनाओं की श्रृंखला का एक कायरतापूर्ण कृत्‍य है, ऐसे दुष्‍कृत्‍यों के लिए भारत की सीमाओं से बाहर योजना, वित्‍तपोषण, प्रशिक्षण, हथियार उपलब्‍ध कराने और धार्मिक आधार पर भावनाओं को भड़काने का कार्य किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि आज आतंकवाद पूरे विश्‍व के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है, दुनिया का कोई भी देश अपने दम पर इस समस्‍या से निपटने की स्थिति में नहीं है, इसलिए निकट सहयोग और वास्तविक खुफिया जानकारियां साझा करना हम सभी के लिए बहुत जरूरी है, तभी हम अपने देश और अपने लोगों को सुरक्षित रख सकते हैं। दिनेश्‍वर शर्मा ने कहा कि आतंकवादी संगठन सभी आसान और मुश्किल लक्ष्‍यों पर हमला करने के लिए आसानी से सुलभ प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।
खुफिया ब्यूरो के निदेशक दिनेश्‍वर शर्मा ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अपनी कट्टरता और हमारे देश सहित चारों ओर इस्‍लामिक स्‍टेट के प्रभाव को बढ़ाने के प्रयासों से इस चुनौती में नए आयाम जुड़ रहे हैं। उन्‍होंने आतंकवाद का वित्‍त पोषण रोकने की पहचान करते हुए कहा कि यह आतंक की समस्‍या से निपटने का सबसे महत्‍वपूर्ण औजार है, इसी प्रकार साइबर स्पेस कट्टरता और जिहादी सामग्री के प्रसार का महत्‍वपूर्ण क्षेत्र बन गया है, इसके अलावा नकली नोटों की समस्या आतंकवाद की मदद करती है और इससे हमारे क्षेत्र में आर्थिक अस्थिरता पैदा होती है। उन्‍होंने फरवरी 2012 में आयोजित सार्क आतंकवाद निरोधी तंत्र की पहली बैठक का जिक्र करते हुए हाल में सृजित सार्क आतंकवादी अपराध निगरानी डेस्‍क और कोलम्‍बो में डाटा बेस के सृजन के लिए सार्क ड्रग अपराध निगरानी डेस्क के तत्काल संचालन की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इनका सभी सदस्‍य उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल के बारे में कोई विशेष प्रगति दिखाई नहीं देती है।
दिनेश्‍वर शर्मा ने सभी प्रतिनिधियों का 'आतंक वित्तपोषण, मनी लॉंड्रिंग' और 'साइबर अपराध' को नए एजेंडा मदों के रूप में शामिल करने का भी आह्वान किया। सार्क आतंकवाद रोधी तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रख्यात विशेषज्ञों के एक उच्चस्तरीय समूह की बैठक में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कोलंबो में फरवरी 2009 में आयोजित सार्क मंत्रियों की परिषद की 31वीं बैठक में सार्क अधिकार प्राप्‍त घोषणा को अपनाया गया था। भारत ने 9-10 फरवरी 2012 में नई दिल्ली में इसकी पहली बैठक का आयोजन किया था। भारत दूसरी बार इस बैठक की मेजबानी आतंकवाद निरोधक गतिविधियों के लिए क्षेत्रीय सहयोग में अपनी उच्‍च प्राथमिकता के अनुसार ही कर रहा है, क्‍योंकि आतंकवाद इस क्षेत्र और इससे बाहर भी शांति स्थिरता और प्रगति के लिए एक सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।

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