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स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़ी

दबाव बनाकर बेटे-बेटी को ‌चाहते थे टिकट-मायावती

मायावती का भी स्वामी प्रसाद मौर्य पर तगड़ा पलटवार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 22 June 2016 07:11:13 AM

swami prasad maurya

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता और बहुजन समाज पार्टी में राष्‍ट्रीय महासचिव पद पर रहे पिछड़े वर्ग के बड़े नेता कहलाने वाले स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने आज बसपा से इस्‍तीफा दे दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा अध्यक्ष मायावती पर लोकसभा चुनाव में और आनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए भी टिकट बेचने का आरोप लगाकर मायावती को और भी ज्यादा बेनकाब कर दिया। पलटवार करते हुए मायावती ने भी कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बेटी और बेटे के लिए टिकट का दबाव बना रहे थे, मना करने पर उन्होंने ऐसा ‌किया और वैसे भी मैं उनकी पार्टी विरोधी शिकायतों को देखते हुए उन्हें दो चार दिन में बसपा से निकालने ही वाली थी।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया कि मायावती ने चुनावों में बसपा का टिकट बेचकर बसपा को व्‍यापार बना दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्‍तीफा बसपा के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी आरोप लगाया कि मायावती बसपा के समर्पित कार्यकर्ताओं को पार्टी से निकाल कर भाजपा को मजबूत कर रही है, मायावती भीमराव अंबेडकर और बसपा संस्‍थापक कांशीराम के नाम का ग़लत इस्‍तेमाल कर रही हैं, मायावती दलित की नहीं, दौलत की बेटी हैं। गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में कुछ समय से देखा जा रहा था कि वे पार्टी लाइन से हटकर भी बोल रहे हैं, उनका सत्तापक्ष के साथ विधानसभा में मित्रवत व्यवहार देखा जा रहा था और मायावती का आरोप काफी हद तक सही है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बेटे और बेटी के लिए ऊंचाहार और कुशीनगर से टिकट मांग रहे थे और बेटी-बेटा पिछले चुनाव हार भी चुके हैं।
बसपा अध्यक्ष मायावती ने लखनऊ में मीडिया से कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य एक ऐसी पार्टी ज्‍वाइन करने जा रहे हैं, जो वंशवाद की राजनीति में यकीन रखती है। उन्‍होंने कहा कि उनके लिए समाजवादी पार्टी सबसे बेहतर विकल्‍प साबित होगी, क्योंकि उनकी मुलायम सिंह यादव से निकटता जगजाहिर रही है। मायावती ने स्वामी प्रसाद मौर्य के राजनीतिक जीवन पर टीका ‌टिप्पणी करते हुए कहा कि वे कई दलों से होते हुए बसपा में आए थे और उन्हें पूरा अवसर दिया गया था। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को कई बार समझाया गया ‌था कि वे बसपा की नीति के विरुद्ध बयान न दें, लेकिन वे ऐसा करते रहे। मायावती ने कहा कि वे मुलायम सिंह यादव की तरह परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देंगी, क्योंकि बसपा अपने संस्‍थापक कांशीराम की नीतियों पर चल रही है, जो परिवारवाद के विरुद्ध थे, इसीलिए मैने भी अपने परिवार में किसी को एमएलए-एमपी नहीं बनाया। मायावती ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य कई बार जिद्द पर अड़े, उनकी बहुत शिकायतें भी थीं, जिनको मैने नज़रअंदाज किया, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य दूसरों के हाथों में खेलते रहे।
स्वामी प्रसाद मौर्य के फैसले से राज्य में चुनावी सरगर्मियों को तेज़ हवा मिली है, इसलिए लगता है कि इस बार विधानसभा चुनाव से पहले बड़े उलटफेर होंगे। इसी हफ्ते समाजवादी पार्टी में भी कौमी एकता दल का विलय हुआ है। इस दल की खास बात यह है कि यह दल पूर्वांचल के आपराधिक छवि वाले बाहुबलि नेता मुख्तार अंसारी का है, जिसे उनके भाई अफजाल अंसारी चलाते हैं। वैसे तो इस दल की खासतौर से पूर्वांचल के मुसलमानों पर जबरदस्त पकड़ है, किंतु मुख्तार अंसारी की माफिया छवि के कारण दूसरे राजनीतिक दल उन्हें मुद्दा बनाते हैं। इस दल के सपा में विलय को दूसरे दलों ने उछाल दिया है और सुना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी को लेकर समाजवादी पार्टी में भी कुछ मतभेद उभरे हैं, हालांकि सपा ने मुख्तार अंसारी को अभी अपने यहां नहीं लिया है, तथापि यह जरूर माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी को इससे निश्चितरूप से लाभ मिलने की संभावना है।
मायावती के लिए यह परेशानी का सबब है कि अकेले दलित वोटों क‌े बल पर उनकी सत्ता में वापसी बेहद कठिन है। मायावती को पिछड़े वर्ग के वोटों की दरकार के साथ उन्हें अपरकास्ट और मुसलमानों का भी समर्थन चाहिए। राज्य की सुरक्षित सीटों पर बसपा का प्रदर्शन कभी संतोषजनक नहीं रहा है और जहां तक सामान्य सीटों का सवाल है, उन्हीं पर बसपा दलित अगड़े-पिछड़ों के सहयोग से जीतती आई है। इस बार समाजवादी पार्टी की वापसी नामुमकिन तो लग रही है, ले‌किन वह विधानसभा चुनाव में सबको जोरदार टक्कर देगी। माना जाता है कि सपा जितनी ताकत से चुनाव लड़ेगी, उतना ही बसपा का नुकसान होगा और भाजपा को इसका लाभ होगा। उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है। लोगों के विभिन्न मत हैं। कुछ कह रहे हैं कि इस बार जनसामान्य में सपा से नाराजगी का वोट बसपा को मिलने जा रहा है, इसलिए बसपा सत्ता में आएगी और कुछ कह रहे हैं कि यह भी हो सकता है कि या तो बसपा बहुत पीछे रह जाएगी या फिर बसपा स्वीप करेगी। विश्लेषणकर्ताओं का मत है कि फिलहाल मुकाबला त्रिकोणात्मक है और सबकुछ राज्य में आगे के माहौल पर निर्भर है।

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