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राज्यपाल ने बच्चों को प्रोत्साहित किया

बच्चों में आत्मविश्वास के लिए संकोच दूर करें

उत्तराखंड बाल कल्याण परिषद का शिविर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 May 2016 07:13:21 AM

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देहरादून। उत्तराखंड बाल कल्याण परिषद के राज्यस्तरीय 'मिलकर रहना सीखो' शिविर में उत्तराखंड के 12 जनपदों के 67 प्रतिभागी बच्चे 20 एस्कार्ट्स शिक्षकों के साथ राजभवन में राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल से मिले। ये सभी बच्चे 10 से 16 वर्ष आयु के हैं, जिन्हें राज्यपाल डॉ कृष्णकांत पाल ने विशेष रूप से आमंत्रित किया था। राज्यपाल ने बच्चों से सीधा संवाद स्थापित किया। उन्होंने बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम देखे और उनकी भरपूर सराहना की। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों को विस्तार देने के लिए राज्यपाल ने विवेकाधीन कोष से राज्य बाल कल्याण परिषद को दो लाख रूपए की वित्तीय सहायता प्रदान की।
राज्यपाल ने राजभवन के प्रेक्षागृह में अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि यह शिविर स्कूली जीवन का एक अहम हिस्सा और बच्चों के शैक्षिक जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है, दूर-दराज से आए बच्चों को नए परिवेश और नए वातावरण से परिचित होकर हर दिन कुछ नया सीखने का मौका मिलता है, अलग-अलग जगह से आए बच्चों की आपस में मुलाकात होती है। उन्होंने कहा कि अलग भाषा-बोली और अलग-अलग पारिवारिक माहौल से आए बच्चों का एक हफ्ते तक हर समय एक साथ रहना, खाना, सोना, जीवन का एक अलग अनुभव है, नए-नए दोस्त बनते हैं, हो सकता है कोई सारे जीवन भर के लिए हो। उन्होंने कहा कि बचपन की दोस्ती सारी ज़िंदगी चलती है, क्योंकि वह नि:स्वार्थ होती है, शिविर में मिल-जुलकर रहने की समझ और एक दूसरे की मदद करने की भावना विकसित होती है।
डॉ कृष्णकांत पाल ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि शिविर में शामिल बच्चों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता इससे उनके दिल में सामाजिक सद्भाव, देश-प्रेम तथा राष्ट्रीय एकता की भावना पोषित होती है। उन्होंने शिविर के दौरान आयोजित निबंध और सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान हासिल करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया और उन्हें शाबासी दी। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को पुरस्कार नहीं मिल पाया वो ये ना समझें कि उनमें कोई काबिलियत नहीं है, लगन, मेहनत, ईमानदारी और अनुशासन उन्हें किसी और क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता दिलाएगा, कड़ी मेहनत, लगन, ईमानदारी और अनुशासन ऐसे औजार हैं, जिनके बलबूते कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि यहां से वापस जाकर अपने अनुभवों और अपने ज्ञान को अपने साथियों के साथ जरूर साझा करें। शिविर को और अधिक सार्थक व प्रभावी बनाने के लिए राज्यपाल ने आयोजकों को कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए।
राज्यपाल ने कहा कि ऐसे श्रेष्ठ अतिथि वक्ताओं को शिविर में आमंत्रित किया जाए, जिनके अनुभव बच्चों के चरित्र निर्माण, मानवीय मूल्यों की अहमियत तथा कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करें। राज्यपाल ने कंप्यूटर शिक्षा को आवश्यक बताते हुए कहा कि बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा के फायदे बताकर उनकी जिज्ञासाएं बढ़ाएं, ताकि वे स्वयं ही कंप्यूटर सीखने को लालायित हों। उन्होंने कहा कि बच्चों में आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए जरूरी है कि उनका संकोच दूर किया जाए, उनकी संवाद क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें सबके सामने खुद को अभिव्यक्त करने के अवसर दिए जाएं। शिविर के दौरान बच्चों को कुछ प्रेरणादायक फिल्में दिखाने के साथ ही उनकी तर्कशक्ति व सोचने की क्षमता बढ़ाने वाले खेल कराए जाएं। उन्हें अधिक से अधिक एक्सपोजर दें, ताकि जब वे शिविर से वापस लौटें तो उनमें कुछ सुखद बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
राज्यपाल ने सुविधाविहीन परिवारों के बच्चों की पढ़ाई में मददगार शिक्षकों व स्वयंसेवियों की सराहना करते हुए उनका विशेष आभार प्रकट करते हुए कहा कि समाज के और लोग भी इनसे प्रेरित होंगे और शीघ्र ही ऐसा समय भी आएगा, जब प्रत्येक बच्चे को समान शिक्षा का मौलिक अधिकार प्राप्त हो सकेगा। कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल ने द्वीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम में राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी एवं सचिव अरुण ढौंडियाल, बाल कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष डॉ आईएस पाल, डॉ कुसुम रानी नैथानी, मधु बेरी, महासचिव बालकृष्ण डोभाल, संयुक्त सचिव केपी भट्ट, परिषद के सदस्य और स्वैच्छिक कार्यकर्ता भी मौजूद थे।

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