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भारत में नए शहरी प्रबंधन की शुरूआत

भारत में अमरीका व ब्राजील से भी अधिक शहरी

नीति आयोग का देश के शहरों पर फोकस

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Thursday 28 April 2016 05:14:10 AM

new urban management programme

नई दिल्ली। भारत में सिंगापुर के सहयोग से नया शहरी प्रबंधन कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का सूत्रधार भारत का नीति आयोग है। कल विज्ञान भवन नई दिल्ली में यह कार्यक्रम लांच किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया ने की। नीति आयोग के सदस्य डॉ बि‍बेक देबरॉय, सिंगापुर के उच्चायुक्त कोंग वाई मुन, टेमासेक फाउंडेशन के सीईओ बेनेडिक्ट चियोंग और तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं असम की राज्य सरकारों और शहरी विकास मंत्रालय, आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालयों, नीति आयोग और शैक्षणिक संस्थानों स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित थे। राज्यों की भागीदारी शहरी विकास सचिवों, नगर निगम आयुक्तों और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर थी।
नीति आयोग के अपर सचिव आलोक कुमार ने प्रतिभागियों के समक्ष शहरी प्रबंधन कार्यक्रम का अवलोकन पेश किया। इस कार्यक्रम की रूपरेखा नीति आयोग एवं सिंगापुर सहयोग उद्यम के बीच हस्ताक्षरित सहमति पत्र के प्लेटफॉर्म के तहत नीति आयोग, टेमासेक फाउंडेशन और सिंगापुर सहयोग उद्यम ने तैयार की, ताकि शहरी समस्याओं के कारगर समाधान ढूंढने के लिए राज्य सरकारों एवं शहरी स्थानीय निकायों के क्षमता सृजन हेतु शहरी क्षेत्र में सिंगापुर को हासिल विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सके। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रतिभागियों को संबोधित किया और शहरी रूपांतरण से जुड़े मुद्दों की समग्र तस्वीर उनके सामने पेश की। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के उसके अधिशेष के एक हिस्से के तहत नीति आयोग राज्यों से सम्पर्क साधता रहा है, ताकि विभिन्न मंत्रालयों में लंबित उनके मुद्दों को सुलझाया जा सके।
नीति आयोग ने तेलंगाना राज्य और केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी और इस राज्य के अनेक लंबित मुद्दे सुलझाये थे। डॉ बिबेक देबरॉय ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए विशेषकर ऐसे जनगणना कस्बों में गवर्नेंस सुधारने पर विशेष जोर दिया, जिनकी संख्या वर्ष 2001 एवं वर्ष 2011 में की गई जनगणना के बीच काफी बढ़ गई है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि शहरी रूपांतरण के विजन को सफलतापूर्वक साकार करने के लिए नगरपालिका कैडर को मजबूत करना और नगरपालिकाओं में कार्यरत अधिकारियों के कार्यकाल को स्थिरता प्रदान करना आवश्यक है। सिंगापुर सहयोग उद्यम के सीईओ और टेमासेक फाउंडेशन के सीईओ ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया और शहरी प्रबंधन कार्यक्रम के लिए नीति आयोग के साथ अपनी साझेदारी को सिंगापुर द्वारा दी जा रही अहमियत पर विशेष बल दिया।
शहरीकरण भारत को उच्च आर्थिक विकास दर अर्जित करने का एक अवसर प्रदान करता है, क्योंकि शहर संकुलन की अर्थव्यवस्थाएं मुहैया कराते हैं। भारत में शहरीकरण स्तर जो 2011 की जनगणना में लगभग 31 प्रतिशत था उसके बढ़ने और 2030 तक उसके 40 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। प्रतिशत के लिहाज से शहरीकरण स्तर मामूली प्रतीत हो सकता है, लेकिन समग्र संख्या के लिहाज से यह बहुत बड़ा संचार है। भारत में शहरी जनसंख्या अमेरीका और ब्राजील की पूरी आबादी से अधिक है। शहरी अर्थव्यवस्था ने भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है और यह सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान दे रही है। बहरहाल, शहरीकरण का पूरा लाभ उठाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि यह कुशल और संवहनीय हो। तेजी से बढ़ता शहरीकरण देश में नागरिकों के लिए पानी, स्वच्छता एवं शहरी क्षेत्रों में गतिशीलता जैसी मूलभूत सेवाओं के प्रावधान पर दबाव बढ़ा रहा है। ढांचागत सुविधाओं की कमी लागत में वृद्धि कर रही है तथा इससे शहरों में उत्पादकता में कमी हो रही है।
शहरों की जनसंख्या के बढ़ने के साथ ही साथ शहरी केंद्रों में प्रशासन व्यवस्था भी विशेष रूप से एक बड़ी चुनौती बन रही है। प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता दबाव भी एक बड़ी चिंता है। शहरी अपशिष्ट के परिशोधन एवं वैज्ञानिक निपटान में कमी का परिणाम एक ऐसी स्थिति के रूप में सामने आ रहा है, जहां भारतीय नगर कहीं अधिक तेजी से जल निकायों को प्रदूषित कर रहे हैं, वह मिट्टी तथा पर्यावरण को भी खराब कर रहे हैं, इसलिए भारतीय नगरों की पर्यावरण संवहनीयता कुशल शहरीकरण को दिशा-निर्देश देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनती जा रही है। यह आवश्यक है कि शहरीकरण कारगर हो। हमारे नगरों में मूलभूत ढांचों एवं प्रशासन को बेहतर बनाना जरूरी है, जिससे शहर में जीवन स्तर को बेहतर और सक्षम बनाया जा सके, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले, शहर आर्थिक विकास के वाहक के रूप में उभरें, शहरी केंद्र सघन गतिशीलता, सामाजिक आर्थिक गतिविधि का क्षेत्र बनें। देश में शहरी परिदृश्य को रूपांतरित करने के लिए सरकार ने हाल ही में शहरी पुनरोत्थान मिशन (यूआरएम) प्रारंभ किया है, जो अटल शहरी पुनरोत्थान एवं रूपांतरण मिशन (अमृत), स्मार्ट सिटी मिशन एवं सभी लोगों के लिए आवास योजना से निर्मित हैं।

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