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इग्नू में महिला समाज पर विचार संगो‌ष्ठी

शिक्षा ही महिला सशक्तिकरण का सुदृढ़ विकल्प

इग्नू के पाठ्यक्रमों का महिलाओं को लाभ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 9 March 2016 02:10:46 AM

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लखनऊ। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका शीर्षक था-'महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहन प्रदान करने वाले सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं विधिक आधारभूत ढांचे।' संगोष्ठी में इग्नू के विद्यार्थी, क्षेत्रीय केंद्र के अधिकारी, कर्मचारी एवं अध्ययन केंद्रों के भी समन्वयकों सहित लगभग 150 व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। इग्नू की क्षेत्रीय निदेशक डॉ मनोरमा सिंह ने संगोष्ठी में वक्ताओं एवं छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा से महिलाओं का सशक्तिकरण एक सुदृढ़ विकल्प है, जिसके माध्यम से महिलाओं को रोज़गार तथा अनेक उद्यमों को प्रारंभ करने के अवसर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि इग्नू के पाठ्यक्रमों का लाभ महिलाओं ने लिया एवं अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है, जो सराहनीय है।
इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक अंशुमान उपाध्याय ने क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ में महिला शिक्षा के प्रसार में किए जा रहे प्रयासों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने क्षेत्रीय केंद्र के महिला शिक्षा से सशक्तिकरण के अनेक अभियान कार्यक्रमों तथा क्षेत्रीय केंद्र के नारे बेटियों को पढ़ाओ, परिवार का गौरव बढ़ाओ को जन-जन तक विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाने के प्रयास का वर्णन किया। तकनीकी सत्र में आईटी कॉलेज की एसोसियेट प्रोफेसर डॉ पूजा जुएल ने कहा कि जिन समस्याओं का सामना महिलाएं करती हैं, उन्हें मूल रूप से समझने की आवश्यकता है, जिससे समाज में एक स्थिर संतुलन स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि लगभग 50 प्रतिशत की आबादी को सशक्त करने हेतु महिला सशक्तिकरण को भारतीय परिप्रेक्ष्य में समझने की आवश्यकता है। डॉ पूजा जुएल ने विभिन्न महिला आंदोलनों की भूमिका की चर्चा की, जिससे समाज में महिला सशक्तिकरण लाने में सहजता हुई।
लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शीला मिश्रा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण एक मानवता का विषय है और इसे आर्थिकोपार्जन से नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि समानता का अवसर सबको प्राप्त होना चाहिए, जिससे समाज का प्रत्येक व्यक्ति वह कार्य कर सके, जो उसे करने में अच्छा लगता हो एवं उस क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सके। प्रोफेसर शीला मिश्रा ने कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा एवं सम्मान बनाए रखने के लिए उचित आचरण की व्याख्या करते हुए कार्य स्थल पर प्रबंधित व्यवहार की श्रेणी में आने वाले आचरणों पर भी प्रकाश डाला। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कुमार असकंद पांडेय ने महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने वाले विधियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने पुलिस एवं प्रशासन में महिलाओं की सहायता हेतु चलाए जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया।
नेशनल पीजी कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पीके खत्री ने उन पहलुओं की मनोवैज्ञानिक विवेचना की, जिनके कारण समाज में महिला सशक्तिकरण लाने में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा एक ऐसा अस्त्र है, जो समाज में व्यापक सुधारात्मक परिवर्तन ला सकता है, जिसके माध्यम से समाज में समानता की स्थापना की जा सकती है। संगोष्ठी में एक प्रश्नकाल भी रखा गया, जिसमें उत्सुक व्यक्तियों ने प्रश्न किए, जिनका समाधान वक्ताओं ने किया। सहायक कुलसचिव एमआर सिद्दीकी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ अनामिका सिन्हा ने किया। कार्यक्रम में डॉ अमित कुमार श्रीवास्तव, डॉ कीर्ति विक्रम सिंह, सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ रीना कुमारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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