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आजादी में बंगाली साहित्य की भूमिका-राष्ट्रपति

समृद्ध है गुरूदेव और काजी नजरूल इस्लाम का गीत और संगीत

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Monday 11 January 2016 12:45:18 AM

pranab mukherjee addressing at the nbbss

रांची। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने झारखंड के रांची में निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के तीन दिन तक चलने वाले 88वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि वह पिछले तीन दशकों से संगठन के साथ करीब से जुड़े हुए हैं, बंगाली साहित्य, भाषा और संस्कृति की महान परंपराओं की उत्पत्ति 'चार्यापदा' काल की है। उन्होंने कहा कि यह एक बंगाली संकलन है, जिसे विख्यात विद्वान हाराप्रसाद शास्त्री ने 1907 में नेपाल में खोजा था। राष्ट्रपति ने कहा कि निखिल बंग साहित्य सम्मेलन को शुरुआत में प्रबासी बंग साहित्य सम्मेलन के रूप में जाना जाता था, इसकी शुरुआत 1922 में हुई थी, अगले ही वर्ष 1923 में हुए वाराणसी सत्र में इसे रबींद्रनाथ टैगोर का संरक्षण प्राप्त हुआ और अन्य दिग्गजों के साथ-साथ रबींद्रनाथ और काजी नजरूल इस्लाम के गीत-संगीत ने राष्ट्र निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति ने कहा कि बंगाली साहित्य का मूल तत्व मानव और उसकी सोच है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह बंगाली साहित्य ही था, जिसने हमारी सामाजिक सोच और सामाजिक सुधारों को प्रभावित किया। उन्होंने माइकल मधुसूदन दत्ता, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, रबींद्रनाथ टैगोर और अन्य कवियों तथा लेखकों का नाम लिया, जिन्होंने हमारे मन को समृद्ध बनाने में काफी योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने सम्मेलन के सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे भारतीय साहित्य के संरक्षण और प्रोत्साहन की दिशा में सार्थक योगदान देना जारी रखें।

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