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गांधीजी राष्‍ट्र निर्माता भी थे-राष्ट्रपति

'वे' 'हम' 'शुद्ध' 'अशुद्ध' के दृष्टिकोण को छोड़ें

आश्रम में अभिलेखागार एवं अनुसंधान केंद्र

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Wednesday 2 December 2015 01:17:26 AM

pranab mukherjee inauguration of new archives and research centre

अहमदाबाद। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम में एक नए अभिलेखागार एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन करते हुए कहा है कि असली मलिनता सड़कों पर नहीं, बल्कि हमारे मन-मस्तिष्‍क में है कि हम समाज को विभाजित करने वाले ‘वे’ और ‘हम’ तथा ‘शुद्ध’ और ‘अशुद्ध’ के दृष्टिकोण को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि सार्वजनिक बहसों को हर प्रकार की शारीरिक और शाब्दिक हिंसा से मुक्‍त होना चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया को गांधीजी की ज्‍यादा जरूरत है, गांधीजी केवल राष्‍ट्रपिता ही नहीं थे, बल्कि वे राष्‍ट्र निर्माता भी थे।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि गांधीजी ने हमें नैतिक मूल्‍य प्रदान किए, जिन्‍हें अपनाकर हम आगे बढ़ सकते हैं, गांधीजी ने कहा था कि किसी कार्य की उपयोगिता इस बात से समझी जानी चाहिए कि समाज के अंतिम व्‍यक्ति के लिए वह कितनी लाभप्रद है, समाज का यह अंतिम व्‍यक्ति महिला, दलित या आदिवासी है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि आज हम अपने आसपास अभूतपूर्व हिंसा देख रहे हैं, इस हिंसा की जड़ में अंधकार, भय और अविश्‍वास है, हिंसा का जवाब अहिंसा, संवाद और तर्क होता है, हमें हर प्रकार की हिंसा छोड़नी होगी, ताकि समाज के सभी वर्गों और खासतौर से वंचित वर्गों के लिए हम अहिंसक समाज की रचना कर सकें।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें स्‍वच्‍छ भारत अभियान को सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह भी ध्‍यान रखना चाहिए कि हम गांधीजी के दृष्टिकोण के अनुसार अपने मन-‍मस्तिष्‍क को भी स्‍वच्‍छ करें। उन्‍होंने कहा कि गांधीजी और बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का कथन था कि जब तक अस्‍पृश्‍यता दूर नहीं होगी, त‍ब तक हम असली स्‍वच्‍छ भारत प्राप्‍त नहीं कर पाएंगे। राष्‍ट्रपति ने कहा कि गांधीजी बिना किसी अवरोध वाले ज्ञान के पक्षधर थे, गांधीजी के जीवन को समझने के लिए उसे टुकड़ों में नहीं, बल्कि समूचे जीवन को समझना होगा। उन्‍होंने कहा कि गांधीजी ने सभ्‍यता के लिए एक विशेष शब्‍द ‘सुधार’ का इस्‍तेमाल किया था, जो मानव सभ्‍यता को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सही मार्ग है। उन्‍होंने कहा कि भारत निर्माण के लिए हम सभी को इसी ‘सुधार’ के प्रति दृढ़ता अपनानी चाहिए।

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