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पत्रकार 7 दिसंबर को संसद घेरेंगे

सरकार सुरक्षा कानून व मीडिया काउंसिल बनाए

लखनऊ में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर उपजा का समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 17 November 2015 09:02:49 AM

national press day in lucknow

लखनऊ। उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने तथा भारतीय प्रेस परिषद के बावजूद मीडिया काउंसिल की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है, जिसके लिए 7 दिसंबर को दिल्ली में संसद भवन का घेराव किया जाएगा। प्रेस दिवस समारोह में पत्रकारिता में विश्वसनीयता के संकट, पेड न्यूज़ के बढ़ते चलन, संपादक की बदलती परिभाषाओं, इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया के बढ़ते वर्चस्व, पत्रकारों की सुरक्षा, पेंशन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार दादा पीके राय ने मीडिया जगत और खासकर अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों का आह्वान किया कि वे अच्छी ख़बरें लिखकर समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें। उपजा और उसकी स्थानीय इकाई लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने संयुक्तरूप से राजधानी लखनऊ में राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह का आयोजन किया था, जिसमें उठे विभिन्न विषयों का यह निष्कर्ष है।
जयशंकर प्रसाद सभागार कैसरबाग में हुए प्रेस दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए दादा पीके राय ने कहा कि लोकतंत्र में पब्लिक ओपिनियन का बहुत महत्व होता है, इस प्रणाली में विशेष रूप से प्रिंट मीडिया जनता की राय बनता है, लिहाजा उसके पत्रकारों को चाहे वे संवाददाता हों अथवा डेस्क पर कार्यरत उप संपादक या संपादक, उन्हें समाचार के साथ बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उनकी लिखी और संपादित खबरें सनद और दस्तावेज़ के समान बन जाती हैं। उन्होंने कहा कि खबरों, पत्रकारों और मीडिया मालिकों पर भी नैतिक अंकुश रखने तथा उन्हें मार्गदर्शित करने के लिए प्रेस परिषद की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और इसका विस्तार किया जाना चाहिए, ताकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा ख़बरिया चैनल इसकी परिधि में आ सकें। उन्होंने इस संबंध में मीडिया काउंसिल बनाए जाने की पुरज़ोर वकालत की। उत्तर प्रदेश सूचना आयोग में जन सूचना आयुक्त रह चुके वीरेंद्र सक्सेना, उपजा के प्रदेश अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित, महामंत्री रमेश चंद्र जैन ने निडर एवं फ्री प्रेस की महत्ता पर अपने गंभीर विचार रखे और प्रेस की मजबूती तथा स्वतंत्रता के अलावा पत्रकारों के आर्थिक हितों और उनकी सुरक्षा पर ज़ोर दिया।
उपजा के प्रांतीय अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित ने समाज को दिशा तथा निर्देशन में मीडिया की अहमियत को रूपांकित करते हुए लोकतंत्र में इसकी भूमिका पर विचार प्रकट किए। रतन कुमार दीक्षित ने मीडिया पर शासन प्रशासन तथा कारपोरेट घरानों के बढ़ते प्रभुत्व पर भी चिंता व्यक्त की। महामंत्री रमेशचंद्र जैन ने कहा कि प्रेस काउंसिल के दायरे में अभी सिर्फ प्रिंट मीडिया है, इसके स्वरूप में परिवर्तन कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी इसकी परिधि में ले आया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री सहित लोकसभा व विधानसभा के नेताओं को पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने हेतु एक ज्ञापन भेजने की बात कही। वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने विस्तार से आज की पत्रकारिता के स्वरूप और इसकी महत्ता की विवेचना की। उन्होंने पत्रकारों में विश्वसनीयता के संकट पर विस्तार से चर्चा की और स्मरण कराया कि स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक तथा कड़ी है। उन्होंने समय-समय पर पत्रकारों के पेशेवर प्रशिक्षण को जरूरी बताते हुए आजादी के पूर्व से लेकर अब तक मीडिया के बदलते स्वरूप तथा संपादक की बदलती प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला।
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में जन सूचना आयुक्त रहे पत्रकार वीरेंद्र सक्सेना ने समाज के बाकी वर्गों में आई गिरावट से पत्रकारों को भी अछूता नहीं बताया, मगर सवाल किया कि पत्रकारों पर ही सबकी निगाहें क्यों? नेता, अधिकारियों पर क्यों नहीं? उन्होंने उल्लेख किया कि जिलों, तहसीलों के पत्रकारों की हालत सबसे ज्यादा ख़राब है। उन्होंने हिंदी के अख़बारों में अंग्रेज़ी के बढ़ते प्रयोग को ग़लत बताया और कहा कि हिंदी बहुत समृद्ध और प्रभावशाली भाषा है। उन्होंने व्यवसायिकता की दौड़ में पेड न्यूज़ पर अंकुश लगाने की भी वकालत की। वरिष्ठ पत्रकार वीर विक्रम बहादुर मिश्र ने कहा कि पत्रकारों को चाहिए कि वे अपनी बौद्धिकता तथा साधनों का इस्तेमाल उन लोगों के विरुद्ध करें, जो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए समाज तथा जनसामान्य के हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं। उपजा के प्रांतीय उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना ने कुछ दूसरी बात कही। उनका कहना था कि समाचार पत्र मालिक मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करें। उन्होंने कहा कि अख़बार मालिकान सुप्रीमकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं और संबंधित सरकारें चुप्पी साधे हैं। दूसरे प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ राधेश्याल लाल कर्ण ने पत्रकारों के संकल्प तथा विजन पर ज़ोर दिया और कहा कि केवल लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता संभव है, लिहाजा प्रेसकर्मियों, कर्मचारियों और नियोक्ताओं में बेहतर समझ होनी चाहिए। उन्होंने क्षेत्रीय पत्रकारों, जिला, तहसील, ब्लाक एवं गांव स्तर तक के पत्रकारों की स्थित पर चर्चा कर उनकी सुरक्षा तथा उन्हें भी सरकारी सुविधाएं दिलाए जाने की मांग की।
उपजा की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष अरविंद शुक्ला ने पत्रकारों की सुरक्षा के साथ ही उनकी आर्थिक सुरक्षा मज़बूत करने की जरूरत पर बल दिया। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विधानसभा में पत्रकारों के लिए पेंशन विधेयक वापस ले लेने पर अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार को पत्रकारों को पेंशन स्कीम का लाभ देना चाहिए। अरविंद शुक्ला ने सूचना का अधिकार अधिनियम पत्रकारों के लिए ब्रह्मास्त्र बताया और कहा कि आरटीआई के प्रयोग से पत्रकार पारदर्शी कार्य करने की दिशा में बेहतर काम कर सकता है। राज्यसभा टीवी के पत्रकार डॉ अशफाक अहमद ने प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दायित्व की चर्चा करते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सक्रियता ने अख़बारों पर दबाव बढ़ा दिया है। पत्रकार पीएन द्विवेदी ने तीव्र संचार क्रांति को दबाव का कारण बताया। विनय जोशी ने पेशेवर पत्रकारिता पर चर्चा और उसकी पैरोकारी की। उन्होंने पत्रकारों की एकजुटता पर भी बल दिया। भरत सिंह ने पत्रकारिता को कम्युनिकेशन का जरिया बताया और सोशल मीडिया के विस्तार और उसकी स्वच्छंदता पर चिंता व्यक्त की।
प्रेस दिवस पर और भी वक्ताओं ने अपने विचार रखे। नीरजा मिश्रा ने पत्रकारिता मिशन, प्रोफेशन और सेंसेशन क्यों बनी, इस पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि शब्द ब्रह्म है, वह तारक भी है और मारक भी। उन्होंने लिंगभेद के बिना संतुलित पत्रकारिता पर बल दिया। पत्रकार पद्मकांत शर्मा और सूचना विभाग के विशेष कार्याधिकारी राजेश राय ने पत्रकारों से नैतिक मूल्यों पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने समूची मीडिया के व्यवसायीकरण को चिंताजनक बताते हुए कहा कि इससे पत्रकार जगत को भारी क्षति हो रही है। इस अवसर पर दादा पीके राय को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया। सुनील त्रिवेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर एलजेए के उपाध्यक्ष भारत सिंह, सुशील सहाय, मंत्री अनुराग त्रिपाठी, विकास श्रीवास्तव, शैलेंद्र श्रीवास्तव, अनुपम चौहान, राजेश सिंह उपस्थित थे। समारोह का संचालन भी लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद शुक्ल ने किया।

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