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भारत की मजबूत सरकार ने संभाला बाज़ार

यूपीए सरकार होती तो भारत का होता बद से बदतर हाल

सरकार किसी राहत की जरूरत नहीं समझती-जेटली

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 25 August 2015 06:36:30 AM

indian stock market

नई ‌दिल्ली। भारत की मजबूत सरकार के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्‍था दुनियाभर के साथ कल धड़ाम तो हुई, मगर भारतीय अर्थव्यवस्था को देश की मजबूत सरकार से बड़ा सहारा मिला। अर्थव्यवस्था के और ज्यादा सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यक कदम उठाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश एवं उधर एशियाई बाजारों में लौटी तेजी से उत्साहित निवेशकों की दमदार लिवाली से भारी गिरावट से उबरते हुए आज शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 373 अंक और निफ्टी में 112 अंक का उछाल देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल शेयर बाजार और रुपये की भारी गिरावट की समीक्षा में अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के संदेश से निवेशकों का उत्साह बढ़ा है। भारत में विपक्ष के लगातार सरकार विरोधी अभियानों का कुछ तो असर दिखना था, किंतु भारतीय अर्थव्यवस्‍था में जो निराशा दिखी है, वह दुनिया जैसी ही है।
शुरुआती कारोबार में चीन के शंघाई कंपोजिट के कल की आठ प्रतिशत से अधिक की गिरावट से उबरकर 4.33 प्रतिशत तक आने एवं जापान के निक्की की 0.05 प्रतिशत, हांगकांग के हैंगसैंग की 1.18 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया के कोस्पी में 1.58 प्रतिशत की उछाल से भी घरेलू बाजार के प्रति निवेशकों की निवेश धारणा मजबूत हुई। शेयर बाजार में आई भारी गिरावट से परेशान निवेशकों को शांत करने का प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए सुधारों को आगे बढ़ाने और सार्वजनिक खर्च में तेजी लाने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने वित्तमंत्री अरुण जेटली और शीर्ष अधिकारियों के साथ शेयर बाजार और रुपए में आई भारी गिरावट की समीक्षा की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था स्थिर है और जो भी समस्या है, वह बाहरी कारणों से है।
प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार के साथ-साथ रिजर्व बैंक और सेबी आदि नियामकों की वैश्विक घटनाक्रमों के साथ-साथ बाजार पर पैनी नज़र है, फिलहाल किसी तरह के राहत पैकेज की जरूरत नहीं है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री की राय थी कि अपनी अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के लिए हमें और कदम उठाने चाहिएं। वित्तमंत्री ने कहा कि रणनीति में कोई बदलाव नहीं होगा और निवेशकों को आकर्षित करने की पहल जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के भागीदारों के साथ और बातचीत की जाएगी, ताकि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए और उपाय किए जा सकें।
अरुण जेटली ने कहा कि हम फिलहाल किसी तरह के पैकेज की पेशकश नहीं कर रहे, क्योंकि हमारी आंतरिक बुनियाद, मसलन औद्योगिक उत्पादन, पूंजी और सार्वजनिक खर्च सुधरा है, पाइपलाइन में जो भी सामान्य सुधार हैं, वे जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक कारक अस्थायी हैं और सभी वैश्विक बाजार इससे प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और नियामक वैश्विक घटनाक्रमों पर नजदीकी नज़र रखे हैं और हमारे सभी संकेतक मजबूत हैं, हमारी वृद्धि की रफ्तार कायम रहेगी। अरुण जेटली ने कहा कि सेबी और रिज़र्व बैंक की स्थिति पर निगाह है और कोई भी ऐसा घरेलू कारक नहीं है, जो बाजार में गिरावट की वजह है। उन्होंने कहा कि हमारे राजकोषीय घाटे के आंकड़े नियंत्रण में हैं, मुद्रास्फीति भी काफी हद तक काबू में है, हम अपने वृद्धि के अनुमान पर कायम हैं।
वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सुधार ऐजंडा आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया और उम्मीद जताई कि भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहेगा। जयंत सिन्हा ने साथ ही यह भी कहा कि बाजारों में कुछ समय तक उतार-चढ़ाव की स्थिति बने रहने की संभावना है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि व्यापक आधार पर वैश्विक बाजारों में बुनियादी आधार का पुन: आकलन हुआ है। बाजार की हालत पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया कहा कि वे अर्थव्यवस्था के लिए ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ साबित हो रहे हैं, अर्थव्यवस्था और निर्यात नीचे आ रहे हैं, जबकि दाम बढ़ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अजय कुमार ने याद दिलाया कि नरेंद्र मोदी ने सेंसेक्स में बढ़ोतरी और पेट्रोल कीमतों में कमी पर कहा था कि वे ‘नसीब वाले’ हैं। अजय कुमार ने मीडिया से कहा कि अब वे बदकिस्मत हो गए हैं, सेंसेक्स 1,624 अंक टूट गया है, रुपए को भी तत्काल ‘इलाज’ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर नरेंद्र मोदी का रिपोर्ट कार्ड एक बड़ी विफलता का है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घरेलू शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के लिए वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार तथा रिज़र्व बैंक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं तथा उम्मीद है कि वर्तमान अस्थायी स्थिति का प्रभाव खत्म होते ही बाजार में स्थिरता आ जाएगी, इस उठा-पटक का भारतीय बाजार पर प्रभाव तो पड़ा है, लेकिन इसके कारक, पूरी तरह बाहरी हैं। ज्ञातव्य है कि वैश्विक बाजार में उठा-पटक के बीच शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है और बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 1,500 अंक से अधिक टूट गया, पिछले साढ़े सात साल में यह सबसे बड़ी गिरावट है। वित्तमंत्री ने दावा किया कि घरेलू संकेतक अत्यंत सकारात्मक है, एक बार ये अस्थायी प्रवृत्ति का प्रभाव खत्म हो जाता है, तो विश्व बाजार और खासकर भारत में स्थिति ठीक हो जाएगी।
ज्ञातव्य है कि कल दुनियाभर में चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच सोमवार को यूरोपीय और अमेरिकी शेयर बाजार धड़ाम से गिर गए। भारतीय शेयर बाजार भी इस ‘हाहाकार’ से अछूता नहीं रहा। चीन की अगुवाई में एशियाई बाजारों में गिरावट के असर से लंदन से लेकर पेरिस और न्यूयॉर्क सभी जगह बाजार धराशायी हो गए। कारोबार में प्रमुख यूरोपीय बाजार आठ फीसदी तक नीचे चल रहे थे। अमेरिकी शेयरों की भी कमजोर शुरुआत हुई। बेंचमार्क 30 शेयरों वाला डाउ इंडेक्स तीन फीसदी से अधिक टूट गया। बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में सोमवार को एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट आई। बेंचमार्क यूरोपीय सूचकांक फ्रांस का सीएसी और लंदन का एफटीएसई बुरी तरह टूट गया। गिरावट का आंकड़ा देखिए-यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में जोरदार गिरावट के मद्देनजर मंगलवार को भी भारतीय बाजारों में उतार-चढ़ाव दिखा है, कराची स्टॉक एक्सचेंज का भी बुरा हाल हुआ।

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