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गुरुवार को याकूब मेमन को मृत्युदंड

मृत्युदंड पर नेताओं में शर्मनाक बयानबाजी

देश के कई राज्यों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 29 July 2015 07:35:42 AM

yakub memon

मुंबई। मुंबई बम धमाकों से निर्दोष लोगों की जान लेने के मामले में दोषी पाए गए याकूब मेमन को मृत्युदंड देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला बरकरार रखते हुए किसी भी प्रकार की माफी से इंकार कर दिया है और इस मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल ने भी दया की अपील खारिज कर दी है, लिहाजा याकूब मेमन को गुरुवार तीस जुलाई 2015 को सवेरे सात बजे मृत्युदंड दिया जाएगा। हालांकि याकूब मेमन की ओर से कुछ लोगों ने अंतिम कोशिश के तौर पर राष्‍ट्रपति के पास फिर से रहम की गुहार लगाई है, किंतु इस बात की कम ही संभावना जताई जाती है कि राष्ट्रपति इस मामले में कोई राहत देंगे, क्योंकि राष्ट्रपति पहले ही उसकी दया याचिका खारिज कर चुके हैं। मृत्युदंड की तारीख और समय मुकर्रर हो चुका है, इसलिए राष्ट्रपति को भी इस अपील पर आज शाम तक अपना रुख तय कर देना होगा। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी का कहना है कि जब तक कोई भी अर्जी पेंडिंग है, तब तक फांसी नहीं दी जा सकती है।
याकूब मेमन के मामले में कानूनी तौर पर सारी दलीलें और विकल्प अपनाए जा चुके हैं एवं सजा लागू होने से पहले तक कोई भी राष्ट्रपति तक जा सकता है, इसलिए राष्ट्रपति को रात में भी और भी अपीलें जा सकती हैं, लेकिन अब उनका कोई मतलब नहीं रह जाता है, जिससे यह लगभग तय माना जा रहा है कि यदि राष्ट्रपति ने विचार का समय लिया, तभी सजा का समय आगे बढ़ सकता है, अन्यथा तय तारीख और समय पर मुंबई की टाडा कोर्ट के फैसले को लागू किया जाएगा, जिसकी सुप्रीम कोर्ट आज अंतिम रूप से पुष्टि कर चुका है। इससे पहले आज डेथ वारंट के खिलाफ दायर पिटीशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यों जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस प्रफुल्ल पंत और जस्टिस अमिताभ रॉय की पीठ ने एक राय से याकूब मेमन की क्यूरेटिव पिटीशन पर दोबारा सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि डेथ वारंट जारी करने में टाडा कोर्ट ने कोई खामी नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड को बरकरार रखते हुए कहा कि याकूब मेमन के केस में सभी कानूनी प्रक्रियाएं सही तरीके से अपनाई गई हैं।
याकूब मेमन के मामले में क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई में जस्टिस कुरियन जोसेफ की फैसले से जुदा राय को खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के 2002 में बनाए नियमों के मुताबिक, जिस बेंच ने रिव्यू पिटीशन खारिज की है, उसे ही क्यूरेटिव पिटीशन सुननी थी। डेथ वारंट को याकूब मेमन की चुनौती पर सुनवाई के दौरान सोमवार की बेंच ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से क्यूरेटिव पिटीशन से जुड़े नियमों को स्पष्ट करने को कहा था। इस पर उन्होंने कोर्ट को बताया कि 21 जुलाई को क्यूरेटिव पिटीशन खत्म होने के बाद याकूब मेमन के लिए सभी कानूनी रास्ते बंद हो गए हैं। याकूब मेमन के वकील राजू रामचंद्रन ने दावा किया था कि क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। याकूब मेमन ने सुप्रीम कोर्ट में जो पिटीशन दायर की थी, उसमें कहा गया था कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि टाडा कोर्ट का डेथ वारंट गैर-कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने सारे तर्क खारिज कर दिए हैं। याकूब मेमन का 30 जुलाई को 53वां जन्मदिन भी है। नागपुर सेंट्रल जेल प्रशासन ने याकूब मेमन के परिवार को उसके जन्मदिन पर केक भेजने की इजाजत भी दी है।
मृत्युदंड के समय याकूब मेमन की पत्नी राहिन, उसकी लड़की और एकाध परिजन को उपस्थित रहने की इजाजत दी गई ‌है। ज्ञात हुआ है कि याकूब मेमन का शव नागपुर जेल के भीतर ही किसी स्‍थान पर उसके धर्म की मान्यताओं के अनुसार दफन किया जाएगा। जानकारी मिल रही है कि नागपुर जेल प्रशासन ने उसको जेल में ही दफनाने की तैयारी भी पूरी कर ली है। प्रशासन कानून व्यवस्‍था की दृष्टि से याकूब मेमन के शव को नागपुर जेल में ही दफनाएगा। याकूब मेमन के वकील का कहना है कि वे सरकार से याकूब मेमन के शव को मांगेंगे। महाराष्ट्र की एडीजी (जेल) मीरा बोरवनकर भी नागपुर जेल का दौरा कर चुकी हैं। महाराष्ट्र सहित देश के कई इलाकों में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। याकूब मेमन को फांसी देने के विरोध और समर्थन में राजनीति भी अपने चरम पर है और कुछ राजनीतिक दलों के लोग टीवी चैनलों पर बैठकर अपने मुसलमान वोट पक्के कर रहे हैं और ‌कुछ फांसी का समर्थन कर रहे हैं। कुछ समाचार टीवी चैनलों ने फांसी सियासत पर आग में घी डालने का काम किया हुआ है और इसमें कई चैनल देश को आग में झोकने जैसी शर्मनाक भूमिकाओं में लिप्त देखे जा रहे हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को फांसी के पक्ष और विरोध में ज्ञापन दिए जा रहे हैं। मुंबई में 12 मार्च 1993 को एक के बाद हुए 12 बम विस्फोटों से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई दहल गई थी। इन विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।

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